Sunday, November 24, 2024
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तपस्या पूर्ण जीवन ही विद्यार्थी को पहुंचाता है सफलता के शिखर पर:आचार्य देवव्रत

by Newz Dex
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गुरुकुल कुरुक्षेत्र में 12वीं के छात्रों का हुआ शानदार दीक्षा व्रत समारोह  

न्यूज डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि विद्यार्थी को आलस्य, प्रमोद त्याग कर एक तपस्या पूर्ण जीवन जीना चाहिए क्योंकि विद्या काल में की गई कठिन साधना और तपस्या ही छात्रों को सफलता के शिखर पर पहुंचाती है। आचार्य देवव्रत सोमवार को गुरुकुल कुरुक्षेत्र में 12वीं के छात्रों के दीक्षा व्रत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 12वीं के बाद उच्च शिक्षा हेतु छात्रों को अधिक परिश्रम करने की जरूरत होती है मगर स्वच्छ वातावरण और सही मार्गदर्शन के अभाव में कई प्रतिभाशाली छात्र अपने लक्ष्य से भटक जाते है। गुरुकुल में मिले संस्कार, यहां की दिनचर्या ऐसे ही भटकाव से छात्रों को बचाकर उन्हें कामयाब बनाते हैं।

कठोपनिषद में मनुष्य के जीवन के दो मार्ग बताए गए हैं एक है प्रेय मार्ग और दूसरा है श्रेय मार्ग। प्रेय मार्ग वह है जो दूसरों द्वारा बनाया गया है, जो आसान है और जिस पर आप आसानी से जा तो सकते हैं मगर अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाते। दूसरा है श्रेय मार्ग, श्रेय मार्ग वह है जो कठिन तो है मगर आप थोड़ा परिश्रम, थोड़े पुरुषार्थ के साथ इस मार्ग पर चलते हुए अपनी मंजिल को प्राप्त कर लेते हैं। भीड़ के साथ चलने वालों की कोई पहचान नहीं होती बल्कि भीड़ से अलग अपना रास्ता बनाने वाले और दूसरों को भी उस रास्ते पर चलाने वाले लोग ही दुनिया में महान कहे जाते हैं।

उन्होंने कहा कि उम्र के जिस पड़ाव से आप गुजर रहे हों, उस वक्त आपके शरीर में तेजी से हार्मोन्स चेंज होते हैं। इस उम्र में जो बच्चे दिल से सोचते हैं वो अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं, इसके विपरीत जो बच्चे दिमाग से सोचते है और अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कठोर परिश्रम करते हैं वे निश्चित ही उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करते है। गुरुकुल परिसर का जिक्र करते हुए आचार्य देवव्रत ने कहा कि यहां पर छात्रों को केवल अक्षर ज्ञान नहीं दिया जाता बल्कि अक्षर ज्ञान के साथ संस्कारों की अमूल्य निधि भी प्रदान की जाती है जो दूसरे शिक्षण संस्थानों में देखने को भी नहीं मिलती। गुरुकुल में मिले संस्कारों को, यहां की दिनचर्या को और गुरुजनों द्वारा दिये गये ज्ञान रूपी प्रकाश को अपने जीवन का अंग बनाएं, निश्चित ही आप सफलता को प्राप्त करोगे। दीक्षांत का अर्थ शिक्षा का अंत नहीं है बल्कि और अधिक उत्साह के साथ उच्च लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रेरणा है।

उन्होंने सभी छात्रों को उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। निदेशक व प्राचार्य कर्नल अरुण दत्ता ने समारोह में मुख्य अतिथि आचार्य श्री देवव्रत का स्वागत करते हुए कहा कि यह छात्रों के साथ हमारा भी परम सौभाग्य है कि दीक्षा व्रत समारोह में हमें आचार्य देवव्रत का आशीर्वाद, उनका मार्गदर्शन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि यह आचार्यश्री की 35 सालों की कठिन तपस्या और त्याग का ही परिणाम है कि आज गुरुकुल कुरुक्षेत्र हरियाणा का नंबर वन आवासीय विद्यालय है। उनके ओजस्वी मार्गदर्शन में यहां के छात्र सफलता की नई इबारत लिख रहे हैं। गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति को आधुनिक शिक्षा के साथ जोडक़र गुरुकुल कुरुक्षेत्र को आकाश की ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाले आचार्य देव्रवत महान् शिक्षाविद् तो हैं ही साथ ही कुशल प्रशासक, उच्च कोटि के वक्ता और हम सबके प्रेरणास्रोत हैं। कर्नल दत्ता ने समारोह में पहुंचने पर आचार्य श्री देवव्रत का आभार भी व्यक्त किया। इस अवसर पर गुरुकुल के प्रधान कुलवन्त सिंह सैनी, निदेशक-प्राचार्य कर्नल अरुण दत्ता, सह प्राचार्य शमशेर सिंह, मुख्य संरक्षक संजीव आर्य सहित अध्यापकगण उपस्थित रहे। मंच संचालन दिनेश राणा द्वारा किया गया।

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