संत शिरोमणि गुरु रविदास के विचारों, व्यवहार, गुणों व शिक्षाओं से युगों-युगों तक मिलता रहेगा मार्गदर्शन:दत्तात्रेय
5वें राष्ट्रीय अधिवेशन में विभिन्न राज्यों से पहुंचे राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य
अधिवेशन में संत शिरोमणि गुरु रविदास के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने और समाज में समरसता लाने के विषय पर हुआ मंथन
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि संत शिरोमणि गुरु रविदास के विचारों, व्यवहार, गुणों व शिक्षाओं से युगों-युगों तक समाज को मार्गदर्शन मिलता रहेगा। इस महान व्यक्तित्व के जीवन दर्शन से सामाजिक समरसता, समानता और बंधुत्व की राह अग्रसर होती है। आज समाज को संत शिरोमणि गुरु रविदास के दिखाए मार्ग पर चलकर धर्मांतरण, धार्मिक भेदभाव, छुआछूत जैसी कुरीतियों को समाप्त करने का संकल्प लेना होगा। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय शनिवार को आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर श्री गुरु रविदास मंदिर एवं धर्मशाला कुरुक्षेत्र में श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ द्वारा आयोजित 5वें राष्ट्रीय अधिवेशन व राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की बैठक में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
इससे पहले राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर, महापीठ के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सांसद दुष्यंत कुमार गौतम, महापीठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री सुरेश राठौर, केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री ए नारायण स्वामी, हरियाणा के सहकारिता मंत्री डा. बनवारी लाल, बिहार के खनन मंत्री जनकराम, हिमाचल से सांसद डा. सिकंदर कुमार, पूर्व सांसद आत्मा राम परमार, थानेसर विधायक सुभाष सुधा, महापीठ के राष्ट्रीय महामंत्री सूरजभान कटारिया, महामंत्री सूरज कुमार ने संत शिरोमणि गुरु रविदास मंदिर में पूजा अर्चना की दीपशिखा प्रज्वलित करके विधिवत रूप से आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर 2 दिवसीय 5वें राष्ट्रीय अधिवेशन का शुभारंभ किया।
इस दौरान राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर ने मथाना के सामाजिक समरसता भवन का उद्घाटन भी किया। इस कार्यक्रम में हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने महापीठ को 10 लाख और हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर ने 5 लाख रुपए की राशि अपने स्वैच्छिक फंड से देने की घोषणा की है। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि सच्चा साधु ही गुरु होता है, वही श्रद्धा का पात्र होता है। गुरु मनुष्य को सावधान करता है, अंधकार दूर करता है तथा विवेक पैदा करता है इसलिए गुरू परमात्मा और भक्त के बीच की कड़ी है। संत शिरोमणि गुरु रविदास जी ऐसे ही क्षमाशील, सृजनहार, विवेकी और सच्चे गुरु थे। संत शिरोमणि गुरु रविदास जी उन महान आत्माओं में से थे जिनके विचारों, व्यवहार, गुणों और शिक्षाओं से जन-जन को युगों-युगों तक मार्गदर्शन मिलता रहा है।
उनका जीवन दर्शन आज हमें सामाजिक समरसता, समानता और बंधुत्व की राह दिखाता है। वे ऐसे समय में अवतरित हुए जब समाज में धर्मांतरण, धार्मिक भेदभाव, छुआछूत व्याप्त था और गरीबों पर अत्याचार बढ़ रहे थे। गुरु रविदास जी बचपन से ही संतों की संगति में रहे। सत्संग के प्रभाव से ही उन्होंने भी जाति-आधारित भेदभाव, धर्मांतरण और छुआछूत जैसी सामाजिक बुराइयों/कुरीतियों से समाज को छुटकारा दिलाने के लिए भक्ति मार्ग को अपनाकर उन्होंने समानता, न्याय और बंधुत्व के मूल्यों का उपदेश देकर मानवता को जीवन की सच्ची राह दिखाई! उन्होंने कहा कि गुरू जी जो जनता को उपदेश देते थे उसे अपने जीवन में स्वयं भी उतारते थे। उनकी करनी और कथनी में कोई अंतर नहीं था। उन्होंने लोगों को सामाजिक कुरीतियों के प्रति जागरूक करने और सामाजिक सौहार्द की भावना से लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा सहित भारत के अन्य क्षेत्रों की कई यात्राएं की।
उन्होंने दलितों के उत्थान के लिए संघर्ष किया, 14वीं शताब्दी में भक्ति आंदोलन के दौरान उनकी सोच और दर्शन किसी जाति और एक वर्ग विशेष के लोगों तक सीमित नहीं थी। वह एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था के हिमायती थे जहां सबको खाना मिले और कोई भूखा न सोए और सभी में समता का भाव हो। आज देश में जिस राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की बात हो रही है, उसी विचार को गुरू महाराज ने 14वीं शताब्दी में आगे बढ़ा दिया था और वे कहते थे कि मानवता में भय और भूख का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। गुरु महाराज ने सदैव श्रीमद्भागवत गीता के कर्म के सिद्धांत को अपने जीवन में उतारा और अपने अनुयायियों को सदैव कर्म करने का संदेश दिया। हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर ने कहा कि संत गुरु रविदास, संत कबीर दास, श्री गुरु नानक देव जी के पदचिन्हों पर चलकर महात्मा गांधी ने भी अस्पृश्यता, असमानता के खिलाफ जोरदार लड़ाई लड़ी। भारतीय संविधान के जनक बाबा साहेब डा. बीआर अंबेडकर संत गुरु रविदास और संत कबीर दास के विचारों से बहुत प्रभावित थे।
उन्होंने सामाजिक सद्भाव, मानवाधिकार के लिए जो किया वह भारतीय संविधान में रूप में हम सब के सामने है। डा. अम्बेडकर ने संत गुरु रविदास और संत कबीर दास की शिक्षाओं से प्रेरणा ली और गरीबों के उत्थान के लिए संघर्ष किया। गुरू रविदास जी महाराज की शिक्षाओं से प्रेरणा पाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक समतामूलक व समावेशी शिक्षा नीति लागू करने के साथ-साथ समतामूलक की अनेक योजनाएं शुरू की है। इन योजनाओं से समाज के गरीबों, वंचितों, महिलाओं और पिछड़ों के जीवन में सुधार हुआ है। इस कार्यकारिणी की बैठक में हम सभी यह संकल्प करें कि समाज के गरीबों, वंचितों को उनके अधिकार दिलवाने के साथ-साथ उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करने में हर संभव सहायता व सहयोग करेंगें। उनकी शिक्षाओं पर चलकर काम करने से ही उनका सपना पूरा होगा और सच्चे शब्दों में हम उनके अनुयायी होगें। श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद दुष्यंत कुमार गौतम ने कहा कि श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ ने अनेकों कीर्तिमान स्थापित किए है।
इस पीठ के माध्यम से वर्ष 2018 से लेकर 2022 तक लगातार अधिवेशनों का आयोजन कर संत गुरु रविदास की वाणी और विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया गया। इस महापीठ के साथ हर क्षेत्र से समाज का व्यक्ति जुड़ा हुआ है। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रत्येक प्रांत में एक आईटी सेल का गठन किया जाए और इस सेल में 5-5 पदाधिकारियों को रखा जाए ताकि इस आईटी सेल के माध्यम से सरकार की तमाम योजनाएं समाज के व्यक्ति तक पहुंच सके। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री ए नारायण स्वामी ने कहा कि पहली बार हरियाणा की सरजमीं पर राष्ट्रीय अधिवेशन में शिरकत करने का अवसर मिला है। इस अधिवेशन के माध्यम से समाज के लोगों को जागरुक किया जा रहा है।
इससे समाज के लोगों को फायदा भी मिल रहा है। उन्होंने समाज को शिक्षित होकर आगे बढ़ने का आह्वान करते हुए कहा कि शिक्षा ही समाज के लोगों को उनकी मंजिल तक लेकर जाएगी। श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री सुरेश राठौर ने कहा कि 11 मार्च 2018 को हरिद्वार की पावन धरा से इस महापीठ की स्थापना की गई। आज इस महापीठ ने एक भव्य स्वरुप धारण कर लिया है और इस पीठ का उद्देश्य संत शिरोमणि गुरु रविदास की वाणी, विचारों और उपदेशों को जन-जन तक पहुंचा कर समाज को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया जा रहा है। हरियाणा के सहकारिता मंत्री डा. बनवारी लाल, हिमाचल के सांसद डा. सिकंदर कुमार, राष्ट्रीय महामंत्री सूरजभान कटारिया ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस कार्यक्रम के अंत में बिहार से खनन मंत्री जनक राम ने मेहमानों का आभार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम के मंच का संचालन राष्ट्रीय महामंत्री सूरजभान कटारिया ने किया। इस कार्यक्रम में महापीठ की तरफ से सभी मेहमानों का पगड़ी पहनाकर और शॉल भेंट कर सम्मानित किया गया। इस मौके पर उपायुक्त मुकुल कुमार, पुलिस अधीक्षक डा. अंशु सिंगला, एसडीएम नरेंद्र पाल मलिक, एएसपी कर्ण गोयल, डीएसपी सुभाष, महापीठ के प्रदेशाध्यक्ष हितेंद्र चौधरी, केडीबी सदस्य केसी रंगा सहित महापीठ के सदस्य और विभिन्न प्रदेशों से आए पदाधिकारी उपस्थित थे।