भारत रत्न गुलजारी लाल नंदा जी की जयंती के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन के द्वारा वैदिक ब्रम्हचारियों द्वारा नंदा जी की ब्रम्हसरोवर स्थित समाधि सदाचार स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित की गई
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। गुलज़ारीलाल नंदा एक भारतीय राजनीतिज्ञ और विद्वान थे जो श्रम-संबंधी मुद्दों के विशेषज्ञ थे। गुलजारी लाल नंदा हमेशा अपनी छवि और राष्ट्र के प्रति समर्पित रहे, वह दो बार भारत के अंतरिम प्रधान मंत्री रहे, पहली बार 1964 में पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद और दूसरी बार वर्ष 1966 में लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद। गुलज़ारी लाल नंदा एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र में भारत रत्न गुलजारी लाल नंदा की पुण्यतिथि पर व्यक्त किये। मातृभूमि सेवा मिशन के द्वारा वैदिक ब्रम्हचारियों द्वारा नंदा जी की ब्रम्हसरोवर स्थित समाधि सदाचार स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा नंदा की राजनीति से बाहर, वह श्रम और शिक्षा में शामिल थे। नेशनल कॉलेज, मुंबई में राजनीति अध्यापन में शामिल होने से पहले और 1922 से 1946 तक, उन्होंने अहमदाबाद में कपड़ा उद्योग के श्रमिक संघ के निदेशक के रूप में भी कार्य किया। वह श्रमिकों के सामने आने वाली चुनौतियों के प्रति लगातार सचेत रहते थे और समाधान खोजने के लिए कड़ी मेहनत करने में सक्षम थे। डॉ.श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा गुलज़ारी लाल नंदा 1921 में असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाले एक भागीदार थे। गिरफ्तारी के अगले वर्ष, 1932 में सत्याग्रह विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के कारण उन्हें जेल में डाल दिया गया था। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया और 1944 तक जेल में रखा गया। नंदा जी 1937 में बॉम्बे विधान सभा के लिए चुने गए। वह 1937 और 1939 के बीच बॉम्बे सरकार के मंत्री सचिव (श्रम और उत्पाद शुल्क) थे। बॉम्बे सरकार में श्रम मंत्री के रूप में, उन्होंने ‘श्रम विवाद विधेयक’ को सफलतापूर्वक अपनाया। वह हिंदुस्तान मजदूर सेवक संघ के सचिव के साथ-साथ बॉम्बे हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष भी थे।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा आज भारत के सभी राजनेताओं को गुलजारी लाल जैसे महान राजनैतिक व्यक्तित्व से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है, जिससे एक सशक्त एवं संपन्न भारत का निर्माण हो सके। नंदा जी का कुरुक्षेत्र से अगाध और आत्मीय प्रेम था। नंदा जी वर्तमान कुरुक्षेत्र के वास्तुकार थे। आज आवश्यकता है नंदा जी के सपनो के कुरुक्षेत्र का निर्माण हो। इस अवसर पर आचार्य जीतेन्द्र जी, आचार्य नरेश जी, आचार्य केवल जी, समाजसेवी गुलशन ग्रोवर जी सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।