आयुष विवि के शरीर क्रिया विभाग द्वारा विश्व मस्तिष्क दिवस पर हुआ विचार संगोष्ठी का आयोजन
आयुर्वेदिक औषधियों और यौगिक क्रियाओं द्वारा मस्तिष्क की बीमारी से रोगी पा सकता है छुटकारा- डॉ. खुराना
तुषार/न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय के स्नातकोत्तर शरीर क्रिया विभाग द्वारा शनिवार को विश्व मस्तिष्क दिवस पर विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें पीजी स्कॉलर डॉ. रणधीर ने मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में आयुर्वेदिक औषधियों की उपयोगिता और डॉ. श्वेता द्वारा योग व प्राणायाम के माध्यम से मस्तिष्क को स्वस्थ कैसे रखा जाए, इसकी विस्तार से जानकारी दी। इसके साथ ही डॉ. रीना ने दिन प्रतिदिन युवाओं में बढ़ती चिंता, तनाव और अवसाद के कारणों और उनके समाधान के बारे में बताया। \
इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. देवेंद्र खुराना ने कहा कि तनाव हमारे शरीर को कई तरह से नुकसान पहुंचाता है। एलर्जी, अस्थमा, हाइपर कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्या तनाव की वजह से जन्म लेती हैं। तनाव से निवारण के लिए आयुर्वेद में अनेक औषधियां उपलब्ध हैं। जैसे शंखपुष्पी, गिलोय, मधुयष्टी इसके इस्तेमाल व आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अनुसार कर काफी हद तक मस्तिष्क की बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि योग एक ऐसी क्रिया है जिससे मस्तिष्क को संतुलित किया जा सकता है। इसलिए यौगिक क्रियाओं के साथ ही प्राणायाम के पूरक, रेचक व कुम्भक क्रियाओं को व्यक्ति को दिनचर्या में जरूर शामिल करना चाहिए।
वहीं शरीर क्रिया विभाग के प्रो. डॉ. पीसी मंगल ने बताया कि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में अपार संभावनाएं है। जिससे अनेकों असाध्य बीमारियों से व्यक्ति छुटकारा पा सकता है। मस्तिष्क के रोगों को ठीक करने में तो आयुर्वेद ओर भी ज्यादा कारगर है। जैसे शंखपुष्पी को दिमाग और स्मरण शक्ति तेज करने वाला टॉनिक कहा जाता है। ये बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने का काम करती है। इसके साथ ही बढ़ती उम्र में याददाश्त कमजोर होने से रोकती है। इस अवसर पर डॉ. शुभा कौशल व अन्य पीजी स्कॉलर भी मौजूद रहे।