झूठों ने झूठों से कहा है सच बोलो,सरकारी एलान हुआ है सच बोलो, घर के अंदर तो झूठों की एक मंडी है, दरवाज़े पर लिखा हुआ है सच बोलो…इंदौरी चचा जा चुके हैं यह फिजूली बातें बोलकर…
अब खबर पड़ें, बाकी सब मोह माया है जनाब
पार्षद बोले मदद पड़ी महंगी,मैं सिर्फ वार्ड प्रतिनिधि होने के कारण एक व्यक्ति के कहने पर उसके रिश्तेदार के लिए गया था
वार्ड वासी के रिश्तेदार ने पुलिस से छूटने के बाद जितने पैसे मेरे खाते में डाले थे,उससे दस हजार ज्यादा वापिस कर चुका हूं
यह राशि मेरे अकाउंट में शिकायतकर्ता ने खुद डलवाई थी,जिसे मैं वापिस कर चुका हूं
ब्राह्मण समाज और भाजपा में भी नितिन भारद्वाज लाली को झूठे केस में फंसाने को लेकर गुस्सा
पुलिस ने जांच शुरु कर दी है,उम्मीद है जल्द सच सामने होगा
केवल आरोपों के आधार पर दर्ज एफआईआर से किसी को दोषी करार नहीं दिया जा सकता
राजेश शांडिल्य
कुरुक्षेत्र। भाजपा के थानेसर नगर परिषद के निवर्तमान पार्षद नितिन भारद्वाज लाली पर दो लाख रुपये लेकर आपराधिक केस से बाहर निकलवाने के गंभीर आरोप जिला अंबाला वासी एक व्यक्ति ने लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई है। मगर आज इस मामले में नया मोड़ आ चुका है। दरअसल,पुलिस ने जिस शिकायत के आधार पर निवर्तमान पार्षद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी,मीडिया में उसी आधार पर आज खबरें प्रकाशित हुई है,जबकि निवर्तमान पार्षद नितिन भारद्वाज लाली का कहना है कि अगर उनका पक्ष जान लिया जाता तो सच्चाई सभी के सामने होती। भाजपा नेता के मुताबिक आरोप लगाने वाले व्यक्ति और उसके बेटे को दो साल पहले पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इनकी गिरफ्तारी कुरुक्षेत्र के पिपली में दो साल पहले अफीम समेत गिरफ्तार हुए एक ट्रक ड्राईवर के द्वारा नाम लेने पर हुई थी।
उस समय वह वार्ड 31 के पार्षद थे। निवर्तमान पार्षद के मुताबिक उनके वार्ड का रहने वाला एक व्यक्ति इनका रिश्तेदार है। वार्ड प्रतिनिधि होने के नाते दो साल पहले वह उनके पास आया था। उसने बताया कि उनके अंबाला जिला वासी एक रिश्तेदार और उनके बेटे को पुलिस ने झूठे आरोप के चलते गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही यह भी बताया कि इन दोनों को छोड़ने की एवज में 8 से 10 लाख रुपये की डिमांड की जा रही है। क्योंकि वार्ड वासी ने उनसे मदद मांगी थी,इस लिहाज से यानी वार्ड प्रतिनिधि होने के नाते वह उनके साथ गया था और पुलिस ने इन दोनों में से एक यानी युवक के पिता को पुलिस ने छोड़ दिया था,जबकि उसके पुत्र को पुलिस ने यह कहते हुए नहीं छोड़ा कि उसके नाम से कार्रवाई होने के कारण उसकी गिरफ्तारी डाली जा चुकी है।
तत्कालीन पार्षद के मुताबिक इसके बाद वह अपने घर आ गये,लेकिन कुछ देर बाद उनके मोबाइल पर एक संदेश आया कि उनके बैंक खाते में आन लाइन 75 हजार की ट्रांजक्शन हुई है,यह राशि खाते में आ चुकी है।यह पैसे आने पर उन्होंने फोन करके इनसे पूछा था,तो इन्होंने बताया कि पुलिस उनसे पैसे मांग रही थी,उनके एक व्यक्ति को पुलिस ने छोड़ दिया है,जो 75 हजार डाले हैं वह कोई रिश्वत नहीं है,यह तो वह खुशी से दे रहे हैं। निवर्तमान पार्षद के मुताबिक उन्होंने सख्ती से मना भी किया था,लेकिन वह नहीं मानें। हालांकि कुछ समय बाद उन्होंने यह राशि वापिस भी कर दी थी।इसके बावजूद कुछ समय पहले उन्हें पता चला कि पुलिस में इन्होंने आरोप लगाया है कि मैंने (नितिन भारद्वाज) ने आपराधिक मामला वापिस कराने के लिए दो लाख रुपये लिए थे। निवर्तमान पार्षद ने कहा कि यह आरोप निराधार है।
निवर्तमान पार्षद के अनुसार उसने अधिकांश राशि बैंक के जरिए ही उन्हें वापिस लौटाई थी,जबकि कुछ राशि उन्होंने नगद दी थी। वह 75 हजार की जगह 85 हजार,यानी 10 हजार रुपये अधिक इन्हें वापिस कर चुका है। निवर्तमान पार्षद के मुताबिक उनकी गलती इतनी जरूर रही कि ली गई राशि लौटाने में थोड़ी देर हो गई थी,अगर वह तुरंत वापिस कर देते तो आज यह नौबत आ ही नहीं सकती थी। निवर्तमान पार्षद ने इस बात पर अफसोस जताया कि मदद करने और पैसे वापिस किए जाने के बावजूद उन्हें फंसाया जा रहा है,लेकिन उन्हें कानून व्यवस्था पर पूरा भरोसा है और वह इस मामले में बेकसूर साबित होंगे।
इधर ब्राह्मण समाज और भाजपा में भी नितिन भारद्वाज लाली को झूठे केस में फंसाने को लेकर गुस्सा है। यहां बता दें कि नितिन भारद्वाज नगर की प्रतिष्ठित संस्था के पदाधिकारी भी हैं। फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी है। उम्मीद है कि इस मामले की सच्चाई शीघ्र सामने होगी। मगर इस पूरे एपीसोड में चिंताजनक पहलू यह है कि भाजपा सरकार और ईमानदार मुख्यमंत्री मनोहर लाल भले कितना ही बगैर पर्ची खर्ची के काम होने की बात करते हों,मगर भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस के प्रयासों पर पलीता लगाने का काम जारी है।
जाहिर है कि इस पूरे प्रकरण में जनप्रतिनिधि और पुलिस पर पर्ची खर्ची की बात सामने आ रही है। अब यह खर्ची पुलिस के स्तर पर मांगी जा रही थी ? या फिर भाजपा के निवर्तमान पार्षद द्वारा ? शासन प्रशासन को इसकी भी गंभीरता से जांच करानी चाहिए। हालांकि यह सर्वमान्य है कि किसी भी व्यक्ति के आरोप पर जिम्मेदार व्यवस्था चाहे वह पुलिस है,या अन्य विभाग का अधिकारी/कर्मचारी अथवा जनप्रतिनिधि,बगैर तथ्यों की जांच पड़ताल के वह दोषी करार नहीं दिया जा सकता।
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