तीन दौर के प्रशिक्षण कार्यक्रम में 500 एबीआरसी व बीआरपी ने ली ट्रेनिंग
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। निपुण हरियाणा मिशन के तहत आयोजित राज्यस्तरीय कार्यशाला गुरुवार को सम्पन्न हुई। तीन बैचों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रदेश के 22 जिलों के लगभग 500 एबीआरसी व बीआरपी ने ट्रेनिंग प्राप्त की। सेक्टर 3 के एमएस मोंटेसरी स्कूल में आयोजित समापन समारोह में जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी विनोद विनोद कौशिक व बीईओ थानेसर इंदु कौशिक ने प्रतिभागियों प्रमाणपत्र वितरित किए और प्रशिक्षणार्थियों के अनुभवों पर चर्चा की। प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए डीईईओ विनोद कौशिक ने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम कोई एकतरफा संवाद नहीं बल्कि सभी की सक्रिय भागीदारी आधारित कार्यशाला थी। जिसमें प्रतिभागियों व विशेषज्ञों ने न केवल बालवाटिका की अवधारणा के स्वरूप व संचालन पर चर्चा की है बल्कि बालवाटिका के बेहतर संचालन की रणनीति तैयार की है।
उन्होंने कहा कि यह प्रतिभागियों के दायित्व बनता है कि वे अब स्वयं विशेषज्ञ के रूप में काम करें तथा प्रशिक्षण से लिया नई तकनीकों का ज्ञान प्रदेश के सभी शिक्षकों तक पहुंचाएं। आप सभी के प्रयास से ही पूर्व प्राथमिक कक्षाओं की अवधारणा सफलतापूर्वक लागू हो सकेगी। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी ने कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. अंशज सिंह, अतिरिक्त निदेशक कुलदीप मेहता, कार्यक्रम अधिकारी प्रमोद कुमार का विशेष रूप से धन्यवाद किया जिन्होने न केवल कार्यशाला के आयोजन का अवसर दिया बल्कि सक्रिय रूप से भी सहयोग दिया। उन्होंने कार्यशाला के लिए स्कूल उपलब्ध करवाने के लिए एमएस मोंटेसरी स्कूल के निदेशक अंशुमन तथा सहयोग के लिए सेंट कॉन्वेंट स्कूल व धन्ना भगत स्कूल प्रबंधन का भी आभार जताया। समापन अवसर पर खण्ड शिक्षा अधिकारी इंदु कौशिक, एमएस मोंटेसरी स्कूल के डायरेक्टर अंशुमन, प्रिंसीपल ममता चौधरी, एफएलएन कोऑर्डिनेटर डॉ आशुतोष, संजय कौशिक, प्यारेलाल शर्मा, अनिल कपूर, सुदर्शन कुमार, अमित, पुष्पेंद्र अत्रि, प्रमोद, डॉ राम मेहर अत्रि आदि मौजूद थे।
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी विनोद कौशिक ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा के ढांचे में बड़ा बदलाव किया गया है तथा सरकारी स्कूलों में भी प्री प्राइमरी कक्षाएं प्रारंभ की गई हैं, जिसे बालवाटिका नाम दिया गया है। नई शिक्षा नीति में 10+2 के स्थान पर 5+3+3+4 का प्रावधान किया गया है। नए प्रावधानों के अनुसार 3 से 8 साल तक के बच्चों के लिए फाउंडेशन स्टेज की बात कही गई है। इसमें दो साल आंगनबाड़ी के होंगे। इसके बाद एक साल बालवाटिका का और फिर पहली और दूसरी कक्षा होगी। यह तीनों कक्षाएं स्कूल में संचालित होगी। सरकारी स्कूलों में भी प्री प्राइमरी कक्षाएं प्रारंभ की गई हैं, जिसके लिए ही यह विशेष प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं। बालवाटिका पूर्व-प्राथमिक स्तर का एक खेल आधारित शिक्षण कार्यक्रम है। मुख्य रूप से इसका निर्माण पहली कक्षा से भी पूर्व की अवस्था वाले बच्चों के लिए किया गया है। इसके अंतर्गत बच्चों को खेल-खिलौनों से संबंधित गतिविधियों की सहायता से शिक्षा दी जाएगी। बच्चा बिना संकोच अपनी योग्यता व सृजनात्मकता प्रकट व विकसित कर सके।
उन्होंने बताया कि कार्यशाला का आयोजन यह नई शिक्षा नीति 2020 के तहत निपुण मिशन के तहत किया गया था। हरियाणा सरकार ने 30 जुलाई 2021 को निपुण हरियाणा मिशन लॉन्च किया। कार्यशाला में निदेशालय से आए एफएलएन प्रभारी रितेश कुमार के नेतृत्व में लैंग्वेज लर्निंग फाउंडेशन के विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी विनोद कौशिक ने बलवाटिका हेतु निपुण हरियाणा मिशन द्वारा आयोजित कार्यशाला में के तीन चरणों में लगभग 500 से अधिक एबीआरसी व बीआरपी तथा अध्यापक को प्रशिक्षण दिया गया है। उन्होंने बताया कि कार्यशाला के तहत प्रथम बैच की ट्रेनिंग 10 अगस्त से शुरू हुई थी तथा आज अंतिम बैच की ट्रेनिंग सम्पन्न हुई है। प्रशिक्षण के लिए विस्तृत रणनीति बनाई गई थी तथा प्रतिदिन चार सत्रों में बालवाटिका के अलग-अलग पहलू व शिक्षण तकनीक पर विस्तृत चर्चा की गईं। सभी प्रतिभागियों को प्रशिक्षण मोड्यूल उपलब्ध करवाए गए थे। प्रतिभागियों ने अनेक शिक्षण रणनीतियां व सहायक सामग्रियों के निर्माण की भी ट्रेनिंग ली तथा खेल खेल खेल में पढ़ाने के अनेक तरीके खोजे।