Saturday, November 23, 2024
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 कामिनी कंचन से दूर रहे मानव : अशोक कृष्ण ठाकुर 

by Newz Dex
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विष्णु कॉलोनी के श्री दुर्गा मंदिर में श्रीमदभागवत कथा का चौथा दिन 

न्यूज डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र।विष्णु कॉलोनी के श्री दुर्गा मंदिर में चल रही संगीतमयी श्री मद्भागवत कथा में कथावाचक अशोक कृष्ण ठाकुर (वृंदावन) ने वामन,परशुराम और श्रीराम अवतार प्रसंग सुनाया। अशोक कृष्ण ठाकुर ने कहा कि भगवान की प्राप्ति के लिए मानव को कामिनी कंचन से कोसो दूर रहना चाहिए। वामन विष्णु के 5वें तथा त्रेता युग के पहले अवतार थे। इसके साथ ही यह विष्णु के पहले ऐसे अवतार थे जो मानव शरीर में बौने ब्राह्मण के रुप में प्रकट हुए। वामन ऋषि कश्यप तथा अदिति के पुत्र थे।वह आदित्यों में 12वें थे। ऐसी मान्यता है कि वह इंद्र के छोटे भाई थे। वामन को 3 पैरों वाला दर्शाया गया है। त्रिविक्रम रुप में एक पैर धरती पर दूसरा आकाश पर तथा तीसरा बलि के सिर पर भागवत कथा के अनुसार विष्णु ने इंद्र का देवलोक में पुन: अधिकार स्थापित करने के लिए यह अवतार लिया। बलि विरोचन के पुत्र तथा भक्त प्रह्लाद के पौत्र थे। वे एक दयालु असुर राजा के रुप में जाने जाते थे।

यह भी कहा जाता है कि अपनी तपस्या और ताकत के माध्यम से बलि ने त्रिलोक पर आधिपत्य हासिल कर लिया था। वामन एक बौने ब्राह्मण के वेश में बलि के पास गए और उनसे अपने रहने के लिए 3 कदम के बराबर भूमि देने का आग्रह किया। उनके हाथ में एक लकड़ी का छाता था। दैत्य गुरु शुक्राचार्य के बार-बार मना करने के बावजूद भी बलि ने वामन को 3 पग भूमि दान देने का वचन दे डाला।श्रद्धालुओं को धर्म संदेश में उन्होनें कहा कि मनुष्य का जीवन त्यागमय होना चाहिए। भगवान श्रीराम ने अपने पिता राजा दशरथ के सत्य वचन की रक्षा के लिए राजपाट छोडकऱ वन की ओर प्रस्थान किया।इस दुनिया को समझने के दो मुख्य मार्ग हैं-प्रेम एवं श्रेय मार्ग। प्रेम मार्ग आरंभ में बड़ा सुगम व मीठा लगता है। खाया पिया और मौज उड़ाया, परंतु परिणाम बड़ा भयानक व कड़वा होता है। इस मार्ग पर चलने वाले लोग माया के पीछे भागते हैं। दूसरा श्रेय मार्ग है, जिसमें मानव को बड़ी कठिनाई आती है, लेकिन परिणाम बड़ा मीठा होता है। इस मार्ग में साधक को कठिन साधना करनी पड़ती है। जैसे कांटा से कांटा निकलता है, ऐसे ही कर्मों से कर्मों का बंधन कटता है। कर्मों से कर्मों का बंधन काटने का प्रयास न करने वाला मनुष्य मूढ़ता को पा लेता है। कर्म से कर्म काटा भी जाता है बनाया भी जाता है इसलिए हमेशा सतकर्म में ही आसक्ति रखनी चाहिए। कथा के दौरान सुनाए गए भजनों पर भक्त झूम उठे। भागवत आरती में  पुजारी पण्डित मोहन लाल शर्मा,राजेश सिंगला,संजीव सीकरी,राकेश मंगल,भूषण गर्ग,अरविंद शर्मा,विपिन अग्रवाल,आकाश गुप्ता, हंसराज गुप्ता,रविंद्र भारद्वाज,मोहन लाल मित्तल,राज गौड़,रामपाल गर्ग,श्री निवास गोयल,राजवती देवी, शकुंतला देवी,मंजु सिंगला,ऋतु मंगल,बबीता अग्रवाल,संतोष मित्तल और रेणु  सिंगला सहित बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल रही।

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