सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाने की जरूरत ही नहीं थी, भाजपा पहले से ही लोगों का विश्वास खो चुकी है: अभय सिंह चौटाला
आज हालत ऐसी है कि मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री बिना सुरक्षा के कहीं जनसंवाद में नहीं जा सकते: अभय सिंह चौटाला
किसानों की मांग न मान कर पहले भी गलती की थी और आज फिर से दोबारा किए गए वादों को न मान कर गलती कर रहे हो, बॉर्डर के उपर ऐसे हालात पैदा कर रखे हैं जैसे पाकिस्तान बॉर्डर हो
मुख्यमंत्री द्वारा नूंह में यूएपीए लगाने पर सवाल उठाते हुए पूछा कि जिस दिन नूंह की हिंसा हुई थी उसी दिन गुरुग्राम के अंदर मस्जिद के इमाम को भी मार दिया गया था वहां पर यूएपीए क्यों नहीं लगाया? ये भेदभाव क्यों है? क्या केवल आप मुस्लिमों को टारगेट करना चाहते हो? क्या मामन खान जैसे विधायक को टारगेट करना चाहते हो?
न्यूज डेक्स संवाददाता
चंडीगढ़। बजट सत्र में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान बोलते हुए ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला ने कहा कि मैं भूपेंद्र हुड्डा से पूछना चाहता हूं कि इस अविश्वास प्रस्ताव की जरूरत क्या थी? प्रदेश की जनता का भाजपा गठबंधन के प्रति अविश्वास तो फ्ल्डि में साफ दिखाई देता है। भाजपा गठबंधन सरकार लोगों का विश्वास बहुत समय पहले खो चुके हैं उनकी आज हालत ऐसी है कि मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री बिना सुरक्षा के कहीं जनसंवाद में नहीं जा सकते। इन्होंने तो विश्वास उस दिन खो दिया था जब हमने इस सदन के अंदर इनके सामने प्रदेश में पनप रहे भ्रष्टाचार और 24 से ज्यादा घोटाले रखे और सरकार ने आज तक भी घोटाले की जांच नहीं करवाई।
हैरानी की बात है कि सरकार स्वयं ये बात मानती है कि हर महीने भ्रष्टाचार में औसतन 15 लोक सेवकों की गिरफ्तारियां हो रही हैं। यह रिकॉर्ड की बात है कि चार-चार आईएएस अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज हुई और वो जेल गए और जमानत पर छूटने के बाद उनको फिर से ऐसी पोस्टों पर लगा दिया गया जहां उनके खिलाफ आरोप सिद्ध करने में भी दिक्कत आ रही है। एक आईएएस अधिकारी विजय दहिया जब जेल से जमानत पर छूट कर आया तो उसे करनाल में कमिश्नर लगा दिया गया जो मुख्यमंत्री का विधानसभा क्षेत्र है। अगर उस दागी आईएएस को मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में कमिश्नर लगाना था तो अधिकारी के खिलाफ सरकार ने एफआईआर किस लिए की थी ?
उन्होंने कहा कि सदन में आज सत्ता पक्ष के विधायकों ने सरकार के बहुत गुणगान किए। भाजपा विधायक कह रहे थे कि कांग्रेस के राज में किसानों पर बहुत अत्याचार हुए किसानों पर गोलियां चली जिसमें किसान मारे गए। मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि जब काले कृषि कानूनों को वापिस लेने के लिए 13 महीने लगातार किसान आंदोलन चला था तो प्रधानमंत्री ने माफी मांग कर कानून वापिस क्यों लिए थे? वो कानून इसलिए वापिस हुए थे क्योंकि 750 किसानों ने शहादत दी थी तब मजबूर होकर आपको वो कानून वापिस करने पड़े। आज फिर से बॉर्डर के उपर आप ने ऐसे हालात पैदा कर रखे हैं कि आदमी अगर पंजाब से चंडीगढ़ आता है तो उसे कोई रुकावट नहीं है लेकिन अगर हरियाणा से चंडीगढ़ आता है तो उससे हरियाणा में बैरियर के उपर दस जगह पर पूछताछ होती है और चैकिंग करवानी पड़ती है।
7 कि.मी. के सफर के लिए अब 40 कि.मी. तक जाना पड़ता है। ऐसे में अगर वहां कोई इमरजेंसी आ जाए तो आदमी अपनी सांस तो खत्म कर सकता है परंतु अस्पताल नहीं पहुच सकता। यह हमारा अन्नदाता है जिसने कोरोना काल में यह साबित करके दिखा दिया था कि अगर वह नहीं होता तो ये देश खत्म हो जाता। आज किसान को फिर से आपने उन्हीं परिस्थितियों में लाकर खड़ा कर दिया है। इस तरह के बैरिकेड्स लगा दिए जिससे किसान को लगता है कि वो पाकिस्तान के बॉर्डर पे बैठा है। आज फिर हालात आपकी सरकार की गलत नीतियों के कारण खराब हुए। अभय सिंह चौटाला ने कहा कि मुख्यमंत्री ने नूंह में यूएपीए लगाया है। नूंह में तो आपने लगा दिया लेकिन जिस दिन नूंह की हिंसा हुई थी उसी दिन आपके गुरुग्राम के अंदर मस्जिद के इमाम को भी मार दिया गया था वहां पर यूएपीए क्यों नहीं लगाया? ये भेदभाव क्यों है? क्या केवल आप मुस्लिमों को टारगेट करना चाहते हो? क्या मामन खान जैसे विधायक को टारगेट करना चाहते हो?