विश्व के कई देशों में हो रही है सुरक्षा की अस्थिरता
विश्व में भारतीय सेना की अलग पहचान
न्यूज़ डेक्स संवाददाता
चंडीगढ़ । अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल कावल्यां त्रिविक्रम प्रणायक ने कहा कि भारतीय सेना की विश्व में सबसे अलग पहचान है। उन्होंने कहा कि आज संयुक्त राष्ट्र में भारतीय सेना की कई कंपनियां अपनी सेवाएं दे रही है। विश्व के कई देशों में सुरक्षा की अस्थिरता हो रही है।
राज्यपाल अरुणाचल प्रदेश लेफ्टिनेंट जनरल कावल्यां त्रिविक्रम प्रणायक आज जिला भिवानी के स्थानीय जाट भवन में दो राज रीफ वैटरन सोल्जर फैमिली के दसवें पूर्व सैनिक मिलन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत कर उपस्थित पूर्व सैनिक योद्धाओं को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने कहा कि देश की सेना में कई यूनिट हैं, उनमें से एक यूनिट यही है जो पूर्व सैनिक मिलन समारोह का उत्सव प्रति वर्ष आयोजित कर रही है। यह एक सामाजिक सरोकार के लिए प्रेरणादायक सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा कि यूनिट ने पूर्व सैनिक मिलन समारोह का शुभारंभ नवंबर 2012 में किया था, तब से यह उत्सव निरंतर चलता आ रहा है। उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध में राज रीफ यूनिट ने अदम्य साहस के साथ विजय हासिल करके विश्व में सुरक्षा का लोहा मनाया था। विश्व के अनेक देश कारगिल युद्ध की जीत को सुरक्षा व्यवस्था के लिए प्रेरणा का स्रोत मानते हैं।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि देश में वातावरण बदल रहा है। देश की पहचान दुनिया में विकसित भारत की प्रगति से हो रही है। विकसित भारत के विकास में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारतीय सेना का अहम योगदान है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से बांग्लादेश, मालवीय, पाकिस्तान, चीन सहित कई देशों में असुरक्षा हलचल मची हुई है।
बता दें कि सबसे पहले पूर्व सैनिक मिलन समारोह नवंबर 2012 की शुरुआत बहादुरगढ़ हरियाणा से ही हुई थी। इसके बाद नवंबर 2013 में मेरठ उत्तर प्रदेश में, वर्ष 2014 में टीटनवार राजस्थान में, वर्ष 2015 में राज रिफ सेंटर दिल्ली में, वर्ष 2016 में बहादुरगढ़ हरियाणा में, वर्ष 2017 में मथुरा उत्तर प्रदेश में, वर्ष 2019 में खेतड़ी राजस्थान में, वर्ष 2022 ग्वालियर मध्य प्रदेश में और वर्ष 2023 राज रिफ सेंटर दिल्ली कैंट में आयोजित किया गया था। अगला पूर्व सैनिक सम्मेलन उत्तर प्रदेश में आयोजित किया जाएगा।
पूर्व सैनिक मिलन समारोह में मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल कावल्या त्रिविक्रम प्रणायक को पगड़ी बांधकर स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।