सामाजिक, शैक्षणिक,खेल, मनोरंजन,सांस्कृतिक,धार्मिक,राजनीतिक कार्यों के बारे में मानक संचालन प्रक्रिया बारे दिशा-निर्देश जारी
न्यूज डेक्स हरियाणा
चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने राज्य में सामाजिक शैक्षणिक,खेल, मनोरंजन,सांस्कृतिक,धार्मिक और राजनीतिक कार्यों के बारे में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपीएस)/दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
इस संबंध में जानकारी देते हुए वित्तायुक्त और राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि इस बारे में राज्य के सभी प्रशासनिक सचिव, पुलिस महानिदेशक, सभी मंडल आयुक्त तथा राज्य में सभी उपायुक्तों को एक पत्र जारी किया गया है।
उन्होंने बताया कि कोविड-19 को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिग मानदंड, फेस मास्क पहनना, स्वच्छता, हाथों की स्वच्छता और थर्मल स्कैनिंग के लिए प्रावधानों सहित सामाजिक,शैक्षणिक,खेल,मनोरंजन,सांस्कृति,धार्मिक, राजनीतिक कार्यों और अन्य मंडल सभाओं के लिए संशोधित एसओपी के सख्त पालन के साथ अनुमति दी जाएगी।
कौशल ने बताया कि इनडोर रिक्त स्थान में 200 व्यक्तियों की क्षमता के साथ हॉल की क्षमता का अधिकतम 50 प्रतिशत की अनुमति होगी। इनडोर स्थानों की क्षमता शहरी स्थानीय निकायों/विभाग द्वारा निर्दिष्ट की जाएगी, जो कुर्सियों/बैठने या खड़े होने की क्षमता और वर्ग गज में कवर किए गए क्षेत्र के बीच की गणना को ध्यान में रखते हुए होगी। इसी प्रकार, खुले स्थानों में 500 व्यक्तियों की छत के साथ सभाओं की अनुमति होगी। तो वहीं 50 व्यक्तियों तक अंतिम संस्कार में भाग लेने की अनुमति होगी।
वित्तायुक्त ने बताया कि सामाजिक शैक्षणिक/खेल/मनोरंजन/सांस्कृतिक/धार्मिक/राजनीतिक कार्यों और अन्य मण्डलीय सभाओं के आयोजक जिला मजिस्ट्रेटों की पूर्व अनुमति लेंगे। जिला मजिस्ट्रेट पुलिस सहित संबंधित विभागों से आवश्यक एनओसी लेने के बाद अनुमति जारी करेंगे। उपायुक्त इन निर्देशों/दिशानिर्देशों को लागू करने के लिए संयुक्त निरीक्षण दल गठित करेंगे और हरियाणा सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किए गए कानून/नियमों/निर्देशों/दिशानिर्देशों के अनुसार उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ व्यापक जांच और कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।
उन्होंने बताया कि इन निर्देशों व दिशानिर्देशों को राज्य के उपायुक्तों द्वारा अपने-अपने जिलों में लागू किया जाएगा और किसी भी उल्लंघन के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत दंडनीय होगा।