चैत्र चौदस मेला पिहोवा तीर्थ नगरी की एक पहचान, पिहोवा की संस्कृति से जुड़ा है चैत्र चौदस मेला
चैत्र चौदस मेले के आयोजन पर ब्राहमण समाज ने खेल मंत्री का किया आभार व्यक्त
न्यूज डेक्स संवाददाता
पिहोवा। हरियाणा के खेल एवं युवा मामले मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि देश की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के लिए हमेशा प्रयास किए जाते रहेंगे। इस देश की संस्कृति को बचाने और युवा पीढ़ी को प्राचीन संस्कृति से आत्मसात करवाने के लिए सरकार हमेशा प्रयासरत रही है। इस देश को पूरे विश्व में अनोखी संस्कृति के लिए जाना जाता है। यह संस्कृति देश के तीज, त्यौहारों और मेलों से जुड़ी हुई है। इसी विषय को जहन में रखकर पिहोवा सरस्वती तीर्थ पर श्रद्घालुओं ने अपने पितरों को लेकर पूजा-अर्चना की है। इस चैत्र चौदस मेले के शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न होने और मेले का सफल आयोजन होने पर ब्राहमण समाज की तरफ से महंत दीपक गिरी, आशीष चक्रपाणी, विक्रम चक्रपाणी, राकेश पुरोहित, मोहित शर्मा एडवोकेट, पार्षद मनमोहन चक्रपाणी, वरुण अत्री, विनायक शर्मा, दीनेश तिवारी, नरेश शर्मा, राहुल शर्मा, जगदीश गौड आदि ने खेलमंत्री संदीप सिंह का आभार व्यक्त किया है।
खेलमंत्री संदीप सिंह ने ब्राहमण समाज के गणमान्य लोगों से बातचीत कर चैत्र चौदस मेले के सफल आयोजन की फीडबैक लेने के उपरांत देश-विदेश से आने वाले श्रद्घालुओं और पिहोवा तीर्थ नगरी के सभी नागरिकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बीच पिहोवा के नागरिकों ने चैत्र चौदस मेले में कोरोना गाईडलाईंस के अनुसार कार्य किया और मेले को शांतिपूर्ण ढंग से सफल बनाया। इस महामारी को रोकने और जीवन को नियमित रुप से चलाने की एक चुनौती पिहोवा नगर वासियों के समक्ष थी।
इस चुनौती को पिहोवा के लोगों ने सहर्ष स्वीकार किया और मेले को अपने प्रयासों से सफल बनाया। उन्होंने कहा कि पिहोवा का चैत्र चौदस मेला एक मेला मात्र ही नहीं है अपितु इस मेले के साथ एक प्राचीन इतिहास जुड़ा हुआ है। जो युगों-युगों तक अमर रहेगा। उन्होंने कहा कि महाराज पृथु द्वारा बसाया गया प्राचीन शहर पृथुदक जो वर्तमान समय में पिहोवा के नाम से विश्व विख्यात तीर्थ स्थल है। महाभारत सहित अनेक पुराणों व ग्रन्थों ने पिहोवा को कुरुक्षेत्र, हरिद्वार, पुष्कर व गया बिहार से भी अधिक महत्व दिया है। भगवान कृष्ण के कथन पर महाराजा युधिष्ठिïर ने महाभारत युद्घ में अपने परिजनों व मारे गए वीरों की आत्मिक शान्ति हेतु यही पर क्रियाक्रम, गति व पिण्डदान किया था। जिससे उसके परिजनों की आत्मा को शांति मिली। इसी वजह से देश-विदेश से लाखों लोग अपने मृत सम्बन्धियों की आत्मिक शान्ति तथा मोक्ष प्राप्ति हेतु गति करवाने यहां आते है।
माना जाता है कि तीर्थ स्थानों की शोभा स्वच्छ जल, मन्दिर, साधु, तपस्वी तथा पंडों व पुरोहितों के कारण होती है। इनमें से प्रत्येक का अपना अपना अलग ही महत्व है। इस तीर्थ का जहां इतना महत्व हैं, वहीं पर यहां के पंडों-पुरोहितों का भी काफी महत्व है। मानव जीवन में पुरोहितों का महत्व जन्म से मृत्यु अन्तिम संस्कार तक है। महंत दीपक गिरी, आशीष चक्रपाणी, विक्रम चक्रपाणी, राकेश पुरोहित, मोहित शर्मा एडवोकेट, पार्षद मनमोहन चक्रपाणी, वरुण अत्री, विनायक शर्मा, दीनेश तिवारी, नरेश शर्मा, राहुल शर्मा, जगदीश गौड ने खेलमंत्री संदीप सिंह का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि चैत्र चौदस मेले से ब्राहमण समाज जुड़ा हुआ है। इस मेले से शहर की अर्थ व्यवस्था पर भी काफी प्रभाव पड़ता है। इस मेले में जब देश-विदेश से श्रद्घालु पहुंचते है तो निश्चित ही व्यापारिक, सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
पिछले वर्ष भी कोरोना महामारी के कारण चैत्र चौदस मेले का आयोजन नहीं हो पाया था, जिसका सीधा प्रभाव शहर की अर्थ व्यवस्था पर पड़ा। इस वर्ष भी कोरोना का संक्रमण चरम सीमा पर पहुंचा, लेकिन खेलमंत्री के प्रयासों से कोरोना गाईडलाईंस को जहन में रखते हुए मेले का आयोजन हुआ। इस सफल आयोजन के लिए पिहोवा नगरवासी खेलमंत्री के सदैव आभारी रहेंगे। उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल का भी आभार व्यक्त किया है। गौरतलब है कि मेले से कुछ दिन पहले पिहोवा से ब्राहमण समाज का एक शिष्टïमंडल हरियााणा के खेलमंत्री संदीप सिंह से चंडीगढ़ आवास पर मिला था, जहां पर समाज के लोगों ने कोरोना गाईडलाईंस के अनुसार मेले का आयोजन करवाने की मांग की थी। इस शिष्टïमंडल के प्रस्ताव को लेकर खेलमंत्री ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से बातचीत की थी, इसके उपरांत ही चैत्र चौदस मेले का सफल आयोजन सम्भव हो पाया है।