न्यूज डेक्स हरियाणा
चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने नगर निकायों की बंद परिसंपत्तियों के विमुद्रीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए नगर निकायों द्वारा ऐसी दुकानों / मकानों की बिक्री किए जाने के लिए एक नीति लागू करने का निर्णय लिया है, जहां ऐसी संपत्तियों का स्वामित्व नगर निकायों की बजाय अन्य संस्थाओं/व्यक्तियों या इसके पूर्ववर्ती के पास 20 वर्ष या इससे अधिक की अवधि से है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस नीति को स्वीकृति प्रदान की गई।
यह नीति ‘नगर निकायों द्वारा दुकानों/ मकानों की बिक्री के लिए नीति’ कहलाएगी। यह नीति सरकार द्वारा अधिसूचित किए जाने की तिथि से लागू होगी, जब तक कि अन्यथा इस नीति में या सरकार द्वारा या तो आम तौर पर या किसी वर्ग या संपत्ति / व्यक्तियों की श्रेणी में प्रदान नहीं किया जाता है। यह नीति लागू करना इसलिए आवश्यक है क्योंकि नगर निकायों में दुकानों/ मकानों के रूप में बड़ी संख्या में ऐसी परिसंपत्तियां विद्यमान हैं जो 20 वर्षों से भी अधिक समय से अन्य संस्थाओं या व्यक्तियों के कब्जे में हैं । नगर निकायों को ऐसी परिसंपत्तियों के प्रबंधन में कठिनाई आ रही है क्योंकि अनेक मामलों में ऐसी परिसंपत्तियों का स्वामित्व/कब्जा अनेक बार परिवर्तित हो चुका है और निकायों के पास संबंधित प्रमाणित दस्तावेजों का भी अभाव है।
यहां तक कि नगर निकाय बड़ी संख्या में ऐसी संपत्तियों से किराया वसूलने में भी असमर्थ हैं। गहन विचार उपरांत यह निर्णय लिया गया कि ऐसी परिसंपत्तियों का स्वामित्व ऐसे लोगों को ही हस्तांतरित कर दिया जाए जिनके पास वर्तमान में ऐसी परिसंपत्तियों का न्यायोचित कब्जा है। नीति के अनुसार, नगर निकायों की दुकानों / मकानों और अन्य परिसंपत्तियां, जो 20 वर्षों से भी अधिक समय से अन्य व्यक्तियों (नगर निकायों के अलावा) के पास हैं, को उन व्यक्तियों से संबंधित परिसंपत्तियों के रूप में परिवर्तित किया जाएगा या ऐसे व्यक्तियों के कब्जा स्वामित्व में स्थानांतरित किया जाएगा और ऐसे व्यक्तियों को ऐसी संपत्तियां बेची भी जाएंगी।
यह नीति न केवल नगर निकायों की वित्तीय स्थिति को मजबूत करेगी बल्कि छोटे दुकानदारों और अन्य पट्टेदारों को उक्त संपत्तियों के स्वामित्व का अधिकार भी देगी। नीति के अनुसार, जहां नगर निकाय या उसके पूर्ववर्ती द्वारा भूमि पर बनाई गई पूरी संरचना और भूमि को एक एकल कब्जाधारक को हस्तांतरित किया जाना है (वहां बनाई गई मंजिलों की संख्या के बावजूद) वहां आधार दर प्रभार्य कीमत होगी। इसी प्रकार, जहां निर्मित संरचना दो मंजिला है और ऐसी प्रत्येक मंजिल को अलग-अलग कब्जाधारक को स्थानांतरित किया जाना है, तो भूतल के कब्जाधारक के लिए प्रभार्य कीमत आधार दर का 60 प्रतिशत और प्रथम तल के कब्जाधारक के लिए आधार दर का 40 प्रतिशत होगी।
इसके अलावा, जहां नगर निकाय या उसके पूर्ववर्ती द्वारा निर्मित संरचना तीन मंजिला है और इसे एक से अधिक कब्जेदारों को हस्तांतरित किया जाना है, तो भूतल के कब्जाधारक के लिए प्रभार्य कीमत आधार दर का 50 प्रतिशत, प्रथम तल के कब्जाधारक के लिए 30 प्रतिशत और द्वितीय तल के कब्जाधारक के लिए आधार दर का 20 प्रतिशत होगी।
नगर निकाय के अलावा व्यक्तियों/संस्थाओं या उसके पूर्ववर्ती द्वारा वर्णित भूमि पर निर्मित संरचना और / या भवन के घटक जो इस नीति के संदर्भ में हस्तांतरण के लिए प्रस्तावित है, के लिए प्रभार्य मूल्य की गणना (वर्ग गज की इकाई में दर्शाया गया नगर निकाय के अलावा किसी व्यक्ति / संस्थाओं द्वारा निर्मित कुल कारपेट क्षेत्र) को 1,000 रुपये से गुणा करके की जाएगी और इस नीति के संदर्भ में हस्तांतरित किया गया माना जाएगा।
आवेदक / कब्जाधारक जिसके पक्ष में कन्वेनस डीड के निष्पादन के माध्यम से संपत्ति हस्तांतरित की गई है, नगर पालिका या उसके पूर्ववर्ती या सरकार के सभी लागू करों के अलावा सभी स्थापित करों एवं बकायों और उसके बाद किराया / लाइसेंस शुल्क तथा संपत्ति कर / अग्नि कर / पेशा कर/ व्यापार कर / कॉलिंग एवं रोजगार कर / लाइसेंस फीस / किराया / तहबाजारी / पट्टा राशि का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा।