गीता ज्ञान संस्थानम् में धूमधाम से मनाया जा रहा श्री कृष्ण जन्माष्टमी त्योहार
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र 11 अगस्त। गीता ज्ञान संस्थानम् में आयोजित दिव्य गीता सत्संग ने व्यास पीठ से गीता श्री कृष्ण में, श्री कृष्ण गीता में यात्रा को आगे बढ़ाते हुए गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि कृष्ण में आंनद नहीं बल्कि कृष्ण ही साक्षात आनंद है। आनंद का दूसरा रूप ही कृष्ण है। स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि श्री कृष्ण जनाष्टमी का मनाना तभी सार्थक है, जब गो सेवा का संकल्प लिया जाए। सभी को गो सेवा का संकल्प लेना चाहिए, गाय माता में सभी देवता वास करते है, भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं गाय चराई थी। गीता जी को भगवान श्री कृष्ण के मुख से निकली वाणी बताते हुए गीता मनीषी ने कहा कि गीताजी का अध्ययन व श्रवण भाव के साथ करना चाहिए। भगवान भाव के भूखे हैं। जब भाव के साथ गीता जी का अध्ययन व श्रवण किया जाता है तो वह अधिक लाभकारी होता है। गीता भगवान की सरल व दार्शनिक वाणी है। गीता जी में भगवान ने स्वयं अपना आचरण उड़ेला है। इसलिए मानव को गीताजी का अनुसरण करना चाहिए। गीता को जीवन का आधार बताते हुए स्वामीजी ने कहा कि गीता में संसार की हर समस्या का समाधान है। गीता किसी एक धर्म जाति या संप्रदाय के लिए नहीं बल्कि समस्त मानव जाति के लिए है। गीता कर्म का संदेश देती है। गीता एक मात्र ऐसा ग्रंथ है जो युद्ध कि भूमि से शांति के संदेश देने के लिए खुद भगवान कृष्ण के मुख से उत्पन्न हुआ। स्वामी जी ने कहा कि हर जीव को अपने प्रारब्ध के कर्मों का फल भुगतना पड़ता है। मानव को निष्काम कर्म करना चाहिए। फल की इच्छा नहीं रखनी चाहिए। सकाम कर्म दुखदाई होता है। फल भगवान पर छोड़ देना चाहिए।
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धूमधाम से मनाया जा रहा है जन्माष्टमी महोत्सव
गीता ज्ञान संस्थानम् में श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव धूमधाम से गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के सानिध्य में धूमधाम से मनाया जा रहा है। कोरोना महामारी के कारण भक्तों से सरकारी नियमों का पालन करने की अपील की गई है। कृपा बिहारी जी के मंदिर में सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए दो दिन से ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जाप किया जा रहा है। संस्थनाम् में भव्य रोशनी की गई है। आज जन्म अष्टमी के अवसर पर कृपा बिहारी जी के मंदिर में लड्डू भगवान जी का पालना डाला गया है।