Monday, November 25, 2024
Home Kurukshetra News जब संस्कृति छलकती है तो नाद करती है- डॉ. रजनीश शुक्ला

जब संस्कृति छलकती है तो नाद करती है- डॉ. रजनीश शुक्ला

by Newz Dex
0 comment

न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र, 11 अगस्त। विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान द्वारा मंगलवार को ‘भाषा और संस्कृति में अन्तर्सम्बन्ध’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। संस्थान द्वारा आयोजित आठवें व्याख्यान में महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति डॉ. रजनीश शुक्ला मुख्य-वक्ता रहे।

संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने अतिथि परिचय कराते हुए बताया कि प्रोफेसर रजनीश कुमार शुक्ला सौदर्यशास्त्र आलोचना, ललित निबन्ध के परम विद्वान माने जाते हैं। वे भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद, दिल्ली के सदस्य होने के साथ-साथ दर्शन जगत में प्रेरणा के स्रोत हैं। प्रोफेसर शुक्ल काशी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में तुलनात्मक धर्म दर्शन के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष भी रहे हैं।

उन्होंने कहा कि संस्थान की ओर से भारतीय संस्कृति से जुड़े किसी न किसी विषय को लेकर व्याख्यान प्रत्येक मंगलवार को प्रातः 11 बजे यूट्यूब चैनल वीबीएसएसएस केकेआर पर प्रसारित होता है, जिसे सुनकर देशभर से अनेक संस्कृति जिज्ञासु अपना ज्ञानवर्द्धन करते हैं।
मुख्य वक्ता डॉ. रजनीश शुक्ला ने कहा कि भाषा जिसके आधार पर प्रकाशित होती है, जिसके लिए प्रकाशित होती है, वह संस्कृति है। संस्कृति है तो भाषा है और भाषा है तो संस्कृति। भाषा बदलने से दुनिया में संस्कृतियां बदलती हैं।

उन्होेंने कहा कि भारतीय संस्कृति स्वतंत्रता की संस्कृति है। समानता, समत्व और संवेदना की संस्कृति है। इस संस्कार को प्राप्त करने का यत्न ही सांस्कृतिक यत्न है और इसको प्राप्त कर लेना ही भाषा है। उन्होंने कहा कि दोष होता है सभ्यताओं का और कह दिया जाता है कि संस्कृति दूषित हो गई है। संस्कृति तो दोषमुक्ति का उपाय है इसलिए प्राकृत से जब गुणवान होते हैं तो संस्कृति होती है और प्राकृत से जब दोषवान होते हैं तो विकृति होती है। विकृतियों की संस्कृति नहीं होती, विकारों का संस्कार होता है। इस दृष्टि से भी भाषा बहुत महत्वपूर्ण है। संस्कृति अपसंस्कृति नहीं होती। हम प्रायः सभ्यता को बाह्य परिवेश में देखने की कोशिश करते हैं और संस्कृति को आंतरिक परिप्रेक्ष्य में। जो आत्मिक है वह सांस्कृतिक है जो दैहिक है वह साभ्यतिक है।


प्रोफेसर शुक्ल ने कहा कि सभ्यता जब छलकती है तो विस्फोट करती है और जब संस्कृति छलकती है तो नाद करती है और निर्मित होता है साहित्य। वस्तुतः सांस्कृतिक संघात के साथ संस्कृतियों का जब सत्यानुभव होता है और वह भावनाओं को प्रकर्शोज्जवल करती है अर्थात् पूरी तरह से चमका देती है। और जब उज्जवल होता है तो ऊपर की ओर बढ़ता है और नाद करता है। वह नाद जब हृद-देश में स्थित ब्रह्म के साथ संवाद करता है तो निनाद होता है। यह निनाद ही भाषा है। भाषाओं ने दुनिया बदली है।
उन्होंने कहा कि संस्कृतियों का बोध भाषा के माध्यम से, भाषित शब्दों के माध्यम से, भाषित व्यवहार के माध्यम से किस प्रकार से होता है, वह अपने जीवन में अनुभव कर सकते हैं। भाषा का सावधानीपूर्वक प्रयोग न करने से विकृति की निर्मिति होती है। इसे उन्होंने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से समझाया। संस्कृति का बोध न होने के कारण व्यक्ति अर्थबोध ही ले लेता है। भाषा से किस प्रकार संस्कृतियांे का निर्माण होता है, किस प्रकार से अर्थबोध किया जाता है, इसे देखना हो तो हिन्दी सिनेमा के विकास से देखा जा सकता है। य

दि संस्कृतियों की निर्मिति में, संस्कृतियों के प्रस्तुतिकरण में, बोध में भाषा की भूमिका न होती तो भिन्न-भिन्न स्वरूप में भाषा को दिखाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। यदि भाषा के माध्यम से संस्कृतियों का निर्माण हो सकता है तो संस्कृतियों का ह्रास और नाश भी हो सकता है क्योंकि भाषा संस्कृति की विनिर्मिति का साधकतम कारण है। वह भाषा ही है जो संपूर्ण बोध को बदल देती है। वह भाषा ही है जो मनुष्य को उत्साह से भर सकती है और निरुत्साहित भी कर सकती है। भाषा ही है जो मनुष्य को मनुष्य बनाती है।


उन्होंने कहा कि साहित्य, संगीत और कलाएं यही मनुष्य की पहचान हैं। इनसे संस्कारों का परिमार्जन होता है। उन संस्कारों की चमक के आधार पर नई प्रकार से नई चेतना के साथ संस्कृतियां उद्भूत होती हैं। उन्होंने ‘‘सा संस्कृति विश्ववारा’’ अर्थात् संस्कृति के वैश्विक होने पर बताया कि संस्कृति वह है तो पूरे विश्व को पारावार और व्याप्त करती है।

व्याख्यान के अंत में संस्थान के निदेशक एवं व्याख्यानमाला संयोजक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने देश के अनेक राज्यों मध्य प्रदेश, झारखंड, जम्मू कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा व अन्य राज्यों से जु़ड़े संस्कृति के जिज्ञासुओं एवं सभी श्रोताओं का धन्यवाद किया और सर्वे भवन्तु सुखिनः की कामना के साथ व्याख्यान का समापन हुआ।

You may also like

Leave a Comment

NewZdex is an online platform to read new , National and international news will be avavible at news portal

Edtior's Picks

Latest Articles

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?
-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00