Monday, November 25, 2024
Home Kurukshetra News भारतीय खगोलविदों के अध्ययन से सुपरनोवा विस्फोट तंत्र, ब्रह्मांड संबंधी दूरियों की प्रमुख माप के संकेत मिले

भारतीय खगोलविदों के अध्ययन से सुपरनोवा विस्फोट तंत्र, ब्रह्मांड संबंधी दूरियों की प्रमुख माप के संकेत मिले

by Newz Dex
0 comment


न्यूज डेक्स इंडिया

दिल्ली। वर्ष 2011 में, सुदूर स्थित सुपरनोवा के अवलोकनों के जरिए ब्रह्मांड के अभूतपूर्व तेज गति से फैलने के बारे में पता लगाने के लिए तीन वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था। लेकिन अब भारतीय खगोलविदों की एक टीम ने इस तरह के सुपरनोवा का अवलोकन करके ऐसे सुपरनोवा के विस्फोट के संभावित तंत्र के बारे में पता लगाया है, जोकि ब्रह्मांड संबंधी दूरियों की प्रमुख माप की जानकारी प्रदान करते हैं।

एसएन 2017एचपीए नाम के एक सुपरनोवा, जोकि एक विशेष प्रकार का सुपरनोवा है और जिसे आई ए सुपरनोवा कहा जाता है और जिसमें 2017 में विस्फोट हो गया, के बारे में इन खगोलविदों के विस्तृत अध्ययन ने शुरुआती चरण के स्पेक्ट्रा में बिना जले हुए कार्बन के अवलोकनों के जरिए सुपरनोवा के विस्फोट तंत्र के बारे में पता लगाने में मदद की।

सुपरनोवा के रूप में एक तारे की विस्फोटक अंत ब्रह्मांड की सबसे विलक्षण और भयावह घटनाओं में से एक है। टाइप आई ए सुपरनोवा उन व्हाइट ड्वार्फ के विस्फोटों का नतीजा हैं जो अपना द्रव्यमान पदार्थ के उपचय के जरिए चंद्रशेखर सीमा से अधिक कर लेते हैं। उनकी समांगी प्रकृति उन्हें ब्रह्मांड की दूरी को मापने का उत्कृष्ठ मानक कैंडल बनाती है।

हालांकि विस्फोट तंत्र, जो इन सुपरनोवा (एसएनई) का निर्माण करते हैं, और उनके पूर्वज प्रणाली (तारे जो सुपरनोवा परिघटना के मूल में है) की सटीक प्रकृति को अभी भी स्पष्ट रूप से समझा नहीं जा सका है। यों तो ज्यादातर एसएनईआईए समांगी हैं, इन परिघटनाओं का एक खासा अंश उनके प्रकाश वक्र के साथ – साथ उनके वर्णक्रमीय गुणों, दोनों, में विविधता दिखाते हैं।

भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स में पीएचडी के छात्र अनिर्बन दत्ता द्वारा अपने सहयोगियों के साथ इस संबंध में किया गया शोध हाल ही में ‘मंथली नोटिसेस ऑफ द रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी (एमएनआरएएस)’ नाम की पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। यह शोध सुपरनोवा की पूर्वज प्रणाली के एक कार्य के साथ-साथ इसके गुणों और इस तरह के सुपरनोवा के विस्फोट तंत्र के रूप में इस विविधता को समझने में मदद करेगा।

व्हाइट ड्वार्फ में जलने वाला भाग, जोकि ध्वनि की गति से कम गति से आगे बढ़ता है या फैलता है, बिना जली हुई सामग्री को पीछे छोड़ देता है। इन बिना जले हुई अवयवों का उपयोग करके गणना किया गया विस्तार वेग उत्सर्जित सामग्री की वेग संरचना के बारे में एक जरूरी संकेत प्रदान कर सकता है। आम तौर पर यह उम्मीद की जाती है कि यह बिना जली हुई सामग्री इजेक्टा की सबसे बाहरी परतों में मौजूद होगी और तारे की सबसे बाहरी परत की गति, जिसे फोटोफेरिक वेलोसिटी कहा जाता है, की तुलना में अधिक गति के साथ विस्तारित होगी।

इस शोध में, लेखकों ने दिखाया है कि बिना जली हुई परत फोटोफेरिक वेलोसिटी के साथ घूम रही है, जोकि यह दर्शाता है कि विस्फोट सामग्री का मिश्रण उत्सर्जित सामग्री के भीतर प्रबल है। शोधकर्ताओं में से एक अनिर्बन दत्ता का कहना है कि “विस्फोट के तंत्र के साथ ही पूर्वज प्रणाली पर सख्त बंधनों को रखने के लिए ऐसे और अधिक वस्तुओं का विस्फोट के शुरुआती घंटों से लेकर विस्फोट के बिल्कुल अंतिम चरण तक अध्ययन करना बेहद महत्वपूर्ण है।”

You may also like

Leave a Comment

NewZdex is an online platform to read new , National and international news will be avavible at news portal

Edtior's Picks

Latest Articles

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?
-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00