ममता बैनर्जी ने इस विजय को बंगाल और बंगाली मानुष की जीत बताया
10 साल से सत्ता पर काबिज टीएमसी सुप्रीमो ममता बैनर्जी ने सभी बंगाल की जनता का आभार जताया
ममता बैनर्जी ने कहा कि अगर कोविड-19 की वैक्सीन अगर मुफ्त नहीं मिली तो आंदोलन करेंगी
न्यूज डेक्स इंडिया
बंगाल। दो मई दीदी गई की जगह रविवार को घोषित हुए बंगाल विधानसभा के चुनावी जीत में टीएमसी की लगातार बढ़त के साथ ममता बैनर्जी समर्थकों के चेहरे खिल हुए। दुपहर तक यह साफ होने लगा था कि बंगाल में सत्ता की चाबी तीसरी बार ममता बैनर्जी के हाथ में आ रही है। हालांकि शाम को 1200 से ज्यादा वोटों के अंतर से नंदीग्राम सीट से ममता बैनर्जी की जीत से यह खुशी टीएमसी खेमे के उत्साह को दुगना कर चुकी थी,लेकिन कुछ देर बाद शुभेंदु अधिकारी की जीत ने टीएमसी समर्थकों के चेहरों पर मायूसी बिखेर दी। इस मायूसी के विपरीत भाजपा की नंदीग्राम सीट पर जीत ने आक्सीजन देने का काम किया है।
पांच राज्यों में हुए चुनावों में सुपर से भी ऊपर इलेक्शन पश्चिम बंगाल का साबित हुआ। इस चुनाव में इमोनशन,एक्शन,रोमांच,ड्रामा,सस्पेंस सब कुछ था। यानी फुल मसाला दो से ढाई घंटे फिल्मों ,वन डे क्रिकेट मैच और टी-20 क्रिकेट टूर्नामेंट में होता है,उससे कहीं ज्यादा इस सियासी जंग के मैदान में नजर आया। सुबह से लोग न्यूज चैनलों के आगे जमे रहे। बीच बीच में अपडेट दूसरे राज्यों की भी ली,मगर सियासत बड़ा अखाड़ा बंगाल में सजा होने के कारण सबकी नजर उसी के नतीजों पर टिकी रही।
खेला होबे,खेला होबे,खेलो होबे… और हुआ भी यही,खूब खेला हुआ,जमकर हुआ और ऐसा हुआ कि खेलने वाले और इस खेला को देखने वाले दांतों तले अंगुलियां दबाकर अंत तक टकटकी लगाकर देखते रह गए। अंततोगत्वा नंदीग्राम के रिजल्ट ने पलटी मारी और जहां पहले ममता दीदी के इस सीट पर बेहद कम मतों के अंतर से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी शुभेंदु अधिकारी को हराकर विजयी दिखाया गया था,वहीं कुछ देर बाद ठीक वही स्थित नजर आई जो छक्का लगने पर ऐन क्रीज पर गेंद के लपके जाने पर होती है।
ममता बैनर्जी भले नंदी ग्राम सीट पर बेहद कम अंतर से हार गई,मगर देश के सियासी नक्शे पर वह सबसे बड़ी लड़इया के रुप में एक बार फिर ऊभर कर सामने आई हैं। पश्चिम बंगाल में अब तक हुए तमाम चुनावों में टीएमसी ने ऐतिहासिक जीत करते हुए सबसे ज्यादा 215 सीटें हासिल कर ली हैं,जबकि 200 पार का नारा लगाने वाली भाजपा का स्कोर तीन अंकों भी नहीं हो सका और प्रशांत किशोर की घोषणा के अनुसार भाजपा 100 से नीचे रहते हुए 75 सीटों पर सिमट गई है।
एक तरह से भाजपा इस स्कोर के साथ संतोष कर सकती है,क्योंकि 2016 के चुनावों में उसे बंगाल में सिर्फ 3 सीटें ही हासिल हुई थी और अब 72 सीटों की बढ़त मिल गई है और इस आंकड़े के साथ बंगाल की विधानसभा में भाजपा मजबूत विपक्षी दल के रुप में सामने होगी। यदि से अलहदा 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की परफोरमेंस पर नजर डालें तो उसे नुकसान हुआ है। काबिलेगौर है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बंगाल में भाजपा ने 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी और 121 विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल की थी,जबकि दो साल बाद भाजपा 200 पार के दावा करते हुए पूरे जोशोजुनून के साथ चुनाव मैदान में उतरी थी,लेकिन उसे 75 सीटों पर ही संतोष करना पड़ रहा है।
बंगाल में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजते ही यह साफ कर गया था कि यह जंग ममता बनाम भाजपा होगी। और हुआ भी यही। पूरे चुनाव में और चुनावी परिणाम में कांग्रेस और लेफ्ट दरकिनार और उपेक्षित दिखे। वहीं चुनाव प्रचार अभियान के बीच भाजपा और टीएमसी दोनों ओर से व्यंग्यबाण जारी रहे। ममता बैनर्जी पर मुस्लिमों की राजनीति और हिंदुओ की उपेक्षा के साथ श्रीराम के विरोधी के रुप में प्रस्तुत करने का प्रयास भी किया गया। ममता ने भी नहले पर दहला मारने में पीछे नहीं रही,उन्होंने चंडीपाठ के साथ अपने आपको पहली बार ब्राह्मण पहचान के साथ पेश किया और अपना गौत्र शांडिल्य बताते हुए ब्राह्मण वोटरों को अपनी और खींचने का यह तुरुप का पत्ता चला था। यह सारे खेला खेल आज के नतीजों से साबित हो गया कि बंगाल की राजनीति में सिरमौर ममता बैनर्जी ही है।
पश्चिम बंगाल
टीएमसी-215
भाजपा-75
अन्य-01
तमिलनाडु
एआईएडीएमके-84
डीएमके-150
अन्य-0
असम
भाजपा-75
कांग्रेस-50
अन्य-01
केरल
एलडीएफ-91
यूडीएफ-42
भाजपा-0
अन्य-7
पुढुचेरी
भाजपा-15
कांग्रेस-7
अन्य-6