न्यूज डेक्स हरियाणा
कुरुक्षेत्र। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति राजन गुप्ता ने कहा कि हाई पावर कमेटी द्वारा निर्धारित श्रेणी के तहत विशेष पेरोल पर पहले छोड़े गए 7 साल से अधिक सजा वाले दोषियों की रिहाई की अनुमति दी गई है। इसके लिए हरियाणा कारागार विभाग को भी सूचित किया गया है कि वर्तमान में कुल 21804 (108 फीसदी) कैदी प्रदेश की 19 जिलों में 20041 (100 फीसदी) की अधीकृत क्षमता के सापेक्ष बंद है।
कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति राजन गुप्ता ने जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि 24 मार्च 2020 को हाई पावर कमेटी की पहली बैठक के बाद से 7 साल से अधिक कारावास की सजा पाने वाले 2580 दोषियों को विशेष पेरोल पर रिहा किया गया। इसी प्रकार 2094 दोषियों व विचाराधीन कैदियों, जिन्हें 7 वर्ष तक की सजा हो/जिन्हे ऐसे अपराधों का सामना करना पड़ा, जिनमें 7 वर्ष तक का अधिकतम कारावास है, इन दोषियों को भी विशेष पेरोल व अंतिम जमानत पर रिहा किया गया था।
इसके बाद कोविड मामलों में कमी के साथ हाई पावर कमेटी ने उन मामलों में पेरोल पर रिहा किए गए 9 चरणों में दोषियों की वापसी का निर्देश दिया था, जहां वे 7 साल से अधिक वर्षों से कारावास की सजा काट रहे थे। अब तक 2170 दोषियों ने 8 चरणों में जेलों में आत्मसमर्पण किया है और नौंवे चरण में 280 दोषियों के साथ 14 मई 2021 से शुरु होना है। उन्होंने कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा कोविड में जारी किए गए निर्देशों के अनुपालन में इस समिति ने 7 साल से अधिक कारावास की सजा पाए सभी दोषियों को जिन्हें पूर्व में विशेष पेरोल पर रिहा किया गया था, उन्हें पुन: रिहा करने का आदेश दिया गया है।
इस पेरोल की अवधि 31 अगस्त 2021 तक रहेगी और 14 मई 2021 से शुरु होने वाले नौंवे चरण में आत्मसमर्पण करने वाले दोषियों को दी गई विशेष पेरोल को भी 31 अगस्त 2021 तक बढ़ा दिया गया है। हालांकि ऐसे अपराधी जो तय तारीख पर आत्म समर्पण करने में विफल रहे या फरार है या जिनके खिलाफ नए मामले दर्ज किए गए थे, वे अपराधी विशेष पेरोल के हकदार नहीं है। उन्होंने कहा कि कमेटी ने 2017 दोषियों, विचाराधीन कैदियों की पेरोल व अंतरिम जमानत भी 31 अगस्त 2021 तक बढ़ा दी गई है। उन्होंने कहा कि समिति ने यह भी फैसला लिया कि जिन कैदियों में कोरोना संक्रमण की पुष्टिï होती है या फिर वो संक्रमण के संदिग्ध है या जिन्हें निगरानी में रखा गया है, जेल प्रशासन ऐसे कैदियों को ठीक होने के बाद मेडिकल रिकार्ड के आधार पर स्पेशल पेरोल देने पर विचार विमर्श कर सकता है।
जेल प्रशासन की सहभागिता से सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जेल कर्मियों व कैदियों में आपसी व्यवहार, मास्क शिष्टïाचार सम्बन्धी जागरुकता के अलावा ज्यादा से ज्यादा टीकाकरण की तरफ बल देंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में उछाल को देखते हुए समिति ने फिलहाल अदालतों में विचाराधीन कैदियों के आने पर रोक सम्बंधी फैसला किया है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुओ मोटो रिट-पिटीशन सिविल नम्बर 5-2020 में दिए गए निर्देशों को ध्यान में रखते हुए अदालती कार्रवाई के दौरान वीडियों कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से आरोपियों को पेश किया जाए।
उन्होंने कहा कि समिति ने कैदियों और जिले कर्मचारियों के बीच कोविड संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए उनके परिवारिक सदस्यों के साथ कैदियों के मेल मिलाप पर भी रोक लगा दी गई है। लेकिन जेल प्रशासन को पारदर्शी और व्यवस्थित तरीके से वीडियो कॉन्फ्रेसिंग या अन्य किसी माध्यम से बातचीत आयोजित करने की अनुमति दी है। संक्रमण के जोखिम को कम करने व टीकाकरण अभियान को बढावा देने के लिए सीमित ने विधिक सेवा प्राधिकरणों को निर्देश दिए है कि जेल और स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से सभी जेलों में कोविड बाबत उचित व्यवहार, वैक्सीन के महत्व बारे जागरूकता शिविर आयोजित किए जाए। कैदियों का टीकाकरण स्वैच्छिक आधार पर किया जाए। इसके अलावा सरकार के निर्देशानुसार सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए टीकाकरण अनिवार्य करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं और कर्मचारियों व कैदियों के शत-प्रतिशत टीकाकरण के लिए प्रयास हो।