कोरोना महामारी के फैलने के लिए किसान नही बल्कि जिम्मेवार हैं गठबंधन सरकार के नेता : अरोड़ा
हिसार में किसानों पर लाठीचार्ज व आंसू गैस चलाने की कडी निंदा की अरोड़ा ने
मध्यम और गरीब वर्ग के खाते में डाले जाएं 5 हजार रूपए महीना नगद
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अशोक अरोड़ा ने कहा है कि हरियाणा सरकार कोरोना महामारी के बीच जनता को स्वास्थ्य सेवाएं देने में बिल्कुल विफल रही हैं। अब हरियाणा के मुख्यमंत्री अपनी विफलताओं का ठीकरा आंदोलनरत किसानों के सिर पर फोड़ रहे हैं। अरोड़ा अपने निवास स्थान पर पत्रकारों से वार्तालाप कर रहे थे। इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस के संगठन सचिव सुभाष पाली, कांग्रेसी नेता ओमप्रकाश हथीरा, पूर्व सरपंच फकीरचंद जोगनाखेड़ा तथा विनोद चौहान भी उपस्थित रहे।
अशोक अरोड़ा ने हिसार में किसानों पर लाठीचार्ज करने व आंसू गैस छोडऩे की कडी निंदा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को इस हालात में कार्यक्रम नही करने चाहिए। ये सब कार्यक्रम वर्चुअल तरीके से आयोजित हो सकते हैं। उन्होने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सहित गठबंधन सरकार के नेता किसानों द्वारा विरोध किए जाने की घोषणा के बावजूद कार्यक्रम आयोजित कर जातीय तनाव बढाने का काम कर रहे हैं।
उन्होने कहा कि पिछले लगभग 6 माह से अपनी जान की परवाह न करके किसान तीनों कृषि कानून रद्द करवाने के लिए सड़कों पर पडे हुए हैं। मुख्यमंत्री को चाहिए कि किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने की बजाए उनकी पैरवी करके प्रधानमंत्री से तीनों कृषि कानून रद्द करवाएं ताकि आंदोलनरत किसान सम्मान पूर्ण तरीके से अपने घर वापिस लौट सके।
अरोड़ा ने आरोप लगाया कि भाजपा के लोगों ने इस आपदा को अवसर में बदलने का काम किया। कोरोना महामारी फैलाने के लिए देश के किसान नही बल्कि गठबंधन सरकार के नेता जिम्मेवार हैं। जो कायदे कानून तोड़कर अपने कार्यक्रम करते हैं। उन्होने कहा कि पहले भाजपा ने कोरोना महामारी फैलाने का ठीकरा तबलीगी जमात व नांदेड गए सिख श्रद्धालुओं के सिर फोड़ा था।
अब मुख्यमंत्री व अन्य मंत्री किसानों से कह रहे हैं कि उनके कारण से गांव में कोरोना महामारी फैली है। वास्तविकता यह है कि सरकार पूरी तरह से विफल रही है। हरियाणा सहित पूरे देश में बिना ऑक्सीजन के लोग तड़प-तड़प कर मर रहे हैं। जीवनरक्षक दवाईयां ब्लैक में मिल रही हैं। ऑक्सीजन के सिलेंडरों की खूब कालाबाजारी हुई। सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बिल्कुल चरमरा कर रह गई है। लोगों को उचित इलाज देने की बजाए राम भरोसे छोड दिया गया। उन्होने कहा कि सरकारी अस्पतालों में बुरा हाल है।
अफसोस की बात तो यह है कि जब कोई व्यक्ति जब सोशल मीडिया पर सरकारी अस्पतालों की बदहाली डालता है तो सरकार अपनी व्यवस्था में सुधार करने की बजाए इनकी बदहाली की पोल खोलने वालों पर झूठे मुकदमे दर्ज कर रही है। अस्पतालों में कोरोना से पीडि़त लोगों के लिए न तो बैड हैं और न ही ऑक्सीजन है। सरकारी अस्पताल में तो कई महीनों से पहुंचे वेंटीलेटर भी प्रयोग नही किए गए। अरोड़ा ने कहा कि सरकार किसानों को दोष देने की बजाए सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था दुरुस्त करे, ताकि आमजन को राहत मिल सके।
पूर्व मंत्री ने कहा कि आज प्रदेश में लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार मध्यम वर्ग पर पड रही है। गरीब व मध्यम वर्ग के छोटे-छोटे दुकानदार अपना काम धंधा ठप्प होने के कारण परेशान हैं। उन्होने हरियाणा सरकार से मांग की कि मध्यम वर्ग के लोगों सहित रेहडी, फड़ी, ऑटो व रिक्शा चालकों तथा अन्य गरीब लोगों के खातों में सरकार 5 हजार रूपए प्रति महीना तुरंत प्रभाव से जमा करवाए ताकि लोगों को कुछ राहत मिल सके। इसके साथ साथ लॉकडाउन में जो दुकानें बंद हैं उनको भी रोटेशन के हिसाब से खोलने की इजाजत दी जाए ताकि वे लोग भी अपनी रोजी रोटी चला सके।