Sunday, November 24, 2024
Home Kurukshetra News निराशा में आशा की, हार में जीत की भावना जागृत कर सकते हैं – ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी

निराशा में आशा की, हार में जीत की भावना जागृत कर सकते हैं – ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी

by Newz Dex
0 comment

जयराम कन्या कालेज में अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन  
  
न्यूज डेक्स संवाददाता  
कुरुक्षेत्र, 14 अगस्त। श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी के मार्गदर्शन में संचालित सेठ नवरंग राय लोहिया जयराम कन्या महाविद्यालय के परिसर में हिंदी विभाग एवं संगीत विभाग तथा ग्लोबल हिंदी साहित्य शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार का मुख्य विषय अप्प दीपो भव अर्थात अपना प्रकाश स्वयं बनो था। इस वेबीनार में मुख्य अतिथि के रुप में केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के कुलपति प्रोफेसर कुलदीप चंद अग्निहोत्री,  मुख्य वक्ता मुंबई विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष हिंदी विभागडा. करुणा शंकर उपाध्याय, विशेष वक्ता के रूप में डा. सुधांशु कुमार शुक्ला पोलैंड, विषय विशेषज्ञ के रूप में चेयरमैन ग्लोबल हिंदी साहित्य शोध संस्थान डा. कामराज सिंधु तथा कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में प्रोफेसर अशोक कुमार पूर्व अध्यक्ष हिंदी विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़, प्राचार्या पूनम चौधरी, कार्यक्रम संयोजिका डा. सुनीता शर्मा, डा. अनीता शर्मा एवं तकनीकी सहयोगी अंजू सैनी( लाइब्रेरियन) मौजूद रहे। सर्वप्रथम प्राचार्या पूनम चौधरी ने मुख्य अतिथि एवं सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया। मुख्य अतिथि प्रोफेसर कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने कहा कि अप्प दीपो भव एक ऐसा विषय है जिसका प्रत्यक्ष रूप से संबंध महात्मा बुद्ध से है। महात्मा बुद्ध ने अपने शिष्य आंनद से यह वाक्य कहा और यह वाक्य कोई साधारण वाक्य नहीं है। इस वाक्य में जीवन का रहस्य छिपा है। इस में सकारात्मकता है जो हमें जीवन में आगे बढ़ने को प्रेरित करती है। उन्होंने कहाकि यदि एक तरफ दीपक संस्कृति का प्रतीक है तो दूसरी तरफ अंधकार को पराजित करने की क्षमता भी अपने अंदर रखता है। जिस प्रकार दीपक अंधेरे से जूझता हुआ हमें अपना रास्ता दिखाता है उसी प्रकार हम सब को भी अपने अंदर के प्रकाश से स्वयं को आलोकित करना चाहिए और तमसो मा ज्योतिर्गमय असतो मा सद्गमय का वैदिक संदेश जन-जन तक पहुंचाना चाहिए क्योंकि यह हमारा शाश्वत जीवन मूल्य है। मुख्य वक्ता डा. करुणाशंकर ने कहा कि महात्मा बुद्ध का प्रिय शिष्य आनंद जब महात्मा बुद्ध के ना रहने से परेशान होकर उनसे पूछता है कि आपके बिना हमारा क्या होगा तो बुद्ध ने यह वाक्य दोहराया कि अप्प दीपो भव अर्थात अपना दीपक स्वयं बनो। आत्म ज्ञान के प्रकाश से हम सत्य के मार्ग पर आगे बढ़ सकते हैं हमें किसी के सहारे की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि हम किसी का सहारा लेकर कितनी दूर तक चल सकते हैं। आज यदि हम खुद अपना सहारा बने और अपने साथ-साथ दूसरों को भी सही राह दिखाए तो हमारे मानव बनने का, मानवता का संदेश दुनिया में प्रकाशित होगा। डा. करुणाशंकर ने कहा किहमें आत्मनिरीक्षण करना चाहिए अपने भीतर देखना चाहिए कि हम भी वह कर सकते हैं जो महान विद्वान, विभूतियां ने किया है। हमें आत्म साधना, आत्मानुभूति की कसौटी पर स्वयं को कसने की कोशिश करनी चाहिए। एक श्रेष्ठ राष्ट्र जीवन के लिए सामाजिक चेतना महत्वपूर्ण तथ्य है। आज कई महापुरुष ऐसे हैं जिन्होंने अपने जीवन को जलते हुए दीपक के समान बनाया और वे महापुरुष तेल की अंतिम बूंद तक जले किंतु उन्होंने अपने अथक प्रयासों पर आज के स्वार्थ को पनपने नहीं दिया। जिस प्रकार दीपक बिना जले प्रकाश नहीं करता उसी प्रकार हमें भी पहले जलना होगा, प्रकाशित होना होगा। अपने अंतर्मन में ज्ञान का दीपक जलाना होगा तभी राष्ट्र जीवन के पथ को आलोकित करने का सपना हम साकार कर सकते हैं। इसलिए हमें ज्ञान का दीपक जलाना चाहिए और अपने अंदर के ज्ञान से समाज को भी आलोकित करना चाहिए। उन्होंने कहाकि आज हम निराश हो जाते हैं और जीवन में आगे बढ़ने की बजाय निराशा  के अंधेरे की गर्त में डूब जाते हैं लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि यदि हमारे जीवन का सूरज ढल चुका है तो सुबह यह सूरज पुनः निकलेगा। हमारे अंदर वैसी सामर्थ्य होनी चाहिए, वह ताकत होनी चाहिए कि सूर्य को हम दोबारा उदित होते हुए देख सकें। विषय विशेषज्ञ डा. कामराज सिंधु ने बुद्धम शरणम गच्छामि वाक्य से अपनी बात आरंभ करते हुए कहा आज कितने ही देश ऐसे हैं जो गरीबी, भुखमरी और संघर्ष को झेल रहे हैं। एक तरफ दूसरे वे देश है जो महात्मा बुद्ध के सिद्धांतों को जीवन में उतार कर आगे बढ़ रहे हैं। जापान, चीन, श्रीलंका, साउथ कोरिया आदि ऐसे देश है जो महात्मा बुद्ध के सिद्धांतों के अनुसार अपना जीवन यापन कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि यदि हम जापान और चीन से महात्मा बुद्ध को निकाल लाएं तो सोचो उनके पास क्या बचेगा जिस पर वे गर्व कर सकेंगे। हम संत साहित्य पढ़ते हैं, संत रविदास, कबीर दास, सूरदास नानक, नामदेव,मलूकदास आदि  कई संत ऐसे हैं जिन्होंने कभी किसी पुस्तक को हाथ में उठाकर नहीं देखा। आज हजारों साल हो गए, हम उनके ऊपर शोध कर रहे हैं, उनका अध्ययन कर रहे हैं उन्हें पढ़ रहे हैं और आगे आने वाली पीढ़ी भी उन्हें पढ़ती रहेगी। ऐसा उनमें क्या था कि जिससे हम आज भी उनका अनुसरण करते हैं, उनकी दी हुई शिक्षाओं पर चलते हैं। उनका कारण एक ही था कि उन्होंने अपने अंदर के प्रकाश को पहचाना, अपने अंदर के ज्ञान को जलाया उसे दीपक बनाया और उस दीपक से जन-जन को प्रकाशित किया जन-जन को मानवता का संदेश पहुंचाया तो क्यों ना हम भी स्वयं अपने लिए वह दीपक बने, अपने अंदर वैसा उत्पन्न करें जिससे हम जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। डा. सुधांशु कुमार शुक्ला ने महात्मा बुद्ध के अप्प दीपो भव वाक्य को दोहराते हुए कहा कि आगे बढ़ने के लिए यदि हम किसी का सहारा देखते हैं तो हम जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे। आज जितना भी साहित्य हम पढ़ते हैं या आमजन को देखते हैं, कई उदाहरण हमारे सामने हैं कि किस प्रकार एक व्यक्ति फर्श से अर्श तक पहुंचा? किस प्रकार एक व्यक्ति अपने अकेले के दम पर आगे बढ़ा और समाज को अपने पीछे चलाया। तो क्या हम उनमें से किसी एक उदाहरण को देखकर उस महामानव के उपदेशों को, सिद्धांतों को अपने जीवन में उतार कर क्या हम जीवन में आगे नहीं बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहाकि हम जीवन में कुछ नया नहीं कर सकते, हम कुछ ऐसा नहीं कर सकते कि जिससे लोग हमारे हमें याद करें और जिस लिए हम मानव के रूप में जन्म हुआ है हम कुछ ऐसा करें जिससे कि बाद में हमारे बारे में लोग सकारात्मक सोच रखें। कार्यक्रम अध्यक्ष प्रोफेसर अशोक कुमार ने कहा कि आज का यह वेबीनार धर्म के उस स्वरूप को प्रस्तुत करता है जिसका संबंध महात्मा बुद्ध से जुड़ा है। उन्होंने अध्यक्षीय टिप्पणी करते हुए कहा कि आज जितने भी वक्ता इस वेबिनार में उपस्थित हैं उन सब ने अंतर्मन को जागृत करने की बात कही और अपने अंदर उस ज्वाला को उत्पन्न करने पर बल दिया है। किस प्रकार हम अपने अंतर्मन में ज्ञान का दीपक जलाकर खुद की राह भी आलोकित करें और दूसरों को भी सही राह का ज्ञान कराएं। हमें किसी से सहारे की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए बल्कि अपना सहारा स्वयं बनना चाहिए। हम कब तक दूसरों के सहारे की बैसाखी लेकर जीवन में आगे बढ़ते रहेंगे। हमें खुद ऐसा बनना चाहिए कि हम समाज के सामने अपना उदाहरण प्रस्तुत कर सकें और समाज हम पर गर्व कर सकें। हम अपने मानव होने के सही कर्तव्य पूर्ण निर्वहन कर सकें। कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि आज के वेबीनार का विषय उच्च स्तरीय था। इस प्रकार के आयोजन से समाज में धर्म एवं संस्कृति के प्रति निष्ठा का भाव जागृत होता है। हमें भी अपने जीवन में महात्मा बुद्ध के सिद्धांतों को अपनाना चाहिए, उनके उपदेशों को जीवन में धारण करके हम अपने जीवन को सफल बना सकते हैं, जीवन में विकास कर सकते हैं। उन्होंने आयोजक समिति को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हुए शुभकामनाएं प्रेषित की। जयराम शिक्षण संस्थान के निदेशक एसएन गुप्ता ने सभी गणमान्य अतिथियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि आज के इस वेबीनार में महात्मा बुद्ध के उपदेशों तथा सिद्धांतों को याद करके गणमान्य अतिथियों, वक्ताओं ने अपने महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए, वे  आज के जीवन की कसौटी पर खरे उतरते हैं। इससे हम अपने जीवन को सही राह पर ला सकते हैं और निराशा में आशा की, हार में जीत की भावना जागृत कर सकते हैं। कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम की संयोजिका डा. सुनीता शर्मा ने सभी गणमान्य अतिथियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि आज के इस वेबिनार को सफल बनाने हेतु प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल सभी व्यक्तियों का धन्यवाद करती हूं जिन्होंने हमें अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करके इस संगोष्ठी को यादगार पलों में बदल दिया।  

You may also like

Leave a Comment

NewZdex is an online platform to read new , National and international news will be avavible at news portal

Edtior's Picks

Latest Articles

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?
-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00