न्यूज डेक्स संवाददाता
पिहोवा। संयुक्त किसान मोर्चा तथा केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर 26 मई को काला दिवस के तौर पर मनाएगा। यह जानकारी संगठन के जिला सचिव कामरेड राजकुमार सारसा ने प्रैस को जारी बयान में दी। इस दिन संगठन से जुड़े किसान, खेत मजदूर तथा अन्य आंदोलन समर्थक नागरिक अपने घरों, वाहनों तथा दुकानों पर काला झंडा लगाएंगे तथा अपने गांव, मोहल्लों तथा कालोनियों में मोदी सरकार का पुतला फूंकेंगे। इस 26 मई को किसान आंदोलन के छह महीने पूरे हो रहे हैं तथा मोदी सरकार के कार्यकाल के सात साल पूरे हो रहे हैं।
मोदी सरकार द्वारा किसान विरोधी जो कृषि कानून बनाये गये हैं, वो ना केवल किसानों के खिलाफ हैं बल्कि शहरी गरीबों, ग्रामीण भूमिहीनों, खेत मजदूरों व दस्तकारों को भी बर्बाद कर देंगे। क्योंकि आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन के कारण अडानी-अंबानी तथा अन्य कारपोरेट घरानों को जमाखोरी की छूट दे दी है जिससे खाद्ध पदार्थ क ई गुणा महंगे रेट पर मिलेंगे। प्राइवेट मंडियों के कारण सरकारी मंडियां बंद हो जाएंगी जिससे सरकारी खरीद नहीं रहने से देश के गरीबों के लिए राशन प्रणाली भी खत्म हो जाएगी।
बिजली बिल 2020 के लागू होने से बिजली पर सरकार का नियंत्रण खत्म हो जाएगा और प्राइवेट कम्पनियां मालिक बन जाएंगी जिससे यह गरीब नागरिकों की पहुंच से बाहर हो जाएगी। कांट्रेक्ट फार्मिंग कानून से कारपोरेट घराने धीरे-धीरे किसानों की जमीन के मालिक बन जाएंगें। इन सात सालों में मोदी सरकार हर क्षेत्र में असफल रही है। ना विदेशों से काला धन वापस आया,ना हर साल 2 करोड़ रोजगार मिले, ना किसानों का कर्ज माफ किया, ना स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार फसलों की लागत से डेढ़ गुना दाम दिए, ना महंगाई-भ्रष्टाचार रुका।
इसलिए हमारा संगठन आल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन देश के तमाम किसानों-मजदूरों-मेहनतकशों समेत सभी जागरुक नागरिकों से अपील करता है कि 26 मई को विरोध दिवस के रुप में मनाएं। सभी अपने घरों पर काला झंडा लहराएं तथा मोदी सरकार का पुतला फूंकें।