न्यूज डेक्स संवाददाता
नरवाना। क्षेत्र की आशा वर्करों ने उप स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्दों और सिविल सर्जन कार्यालय पर इकट्ठा होकर कोविड प्रोटोकॉल के नियमों का समुचित पालन करते हुए सरकार की जनविरोधी नीतियों के विरोध में जोरदार नारेबाजी की और नॉडल अधिकारी डा. कपिल शर्मा को प्रधानमंत्री के नाम अपनी मांगों के ज्ञापन सौंपा।
जिला जीन्द सह सचिव जगंवती चौपड़ा ने बताया कि आशा वर्कर्स के लिए 24 घंटे कोविड-19 के आइसोलेशन सेंटरों में ड्यूटी करने का फरमान जारी कर दिया है। लेकिन उन्हें मास्क, सैनिटाइजर और ग्लब्स तक की मामूली सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं करवाई गई हैं। उन्हें गाली-गलौज, मारपीट और यहां तक कि गंभीर हमलों का भी सामना करना पड़ रहा है।
हरियाणा में कुछ जिलों कैथल, झज्जर, पंचकूला और गुडग़ांव में कोरोना से आशाओं की मृत्यु तक भी हो चुकी हैं। लेकिन सरकार द्वारा घोषणा के बावजूद उन्हें बीमा क्लेम की 50 लाख की राशि नहीं दी जा रही है। उन्होने कहा कि एक तरफ तो आवश्यक सुरक्षा किट तक नहीं दी जा रही, दूसरे उनको गांव में नोडल ऑफिसर बनाया जा रहा है। यहां तक कि कोविड-19 टेस्टिंग तक की ट्रेनिंग दी जा रही है।
अपने खिलाफ हो रहे शोषण अत्याचार के खिलाफ आवाज उठा रही आशा वर्करों और नेताओं को टारगेट किया जा रहा है। ज्ञापन के माध्यम से मांग की गई कि ऐसे हालातों में वे मांगे उठा रही हैं कि सभी आशाओं को सुरक्षा उपकरण मास्क, कैप, फेस शिल्ड, सैनिटाइजर इत्यादि उपलब्ध करवाया जाए। सभी आशा वर्करों एवं फैसिलिटेटरों के लिए निशुल्क चिकित्सा जांच और कोविड प्रशिक्षण प्रदान किया जाए।
जोखिम भत्ता 10000 रूपये का भुगतान किया जाए, कोविड से मृत्यु होने पर 50 लाख रूपये का बीमा कवर दिया जाए, पूरे परिवार के लिए कोविड-19 संक्रमण के इलाज के कवरेज के लिए 10 लाख रूपये का मुआवजा दिया जाए, पेंशन, एक्सग्रेशिया राशि और अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ दिए बिना या रिटायरमेंट बेनिफिट्स दिए बिना किसी भी आशा की छटनी न की जाए जैसी कई मांगे ज्ञापन के माध्यम से आशा वर्करों ने रखी।