न्यूज डेक्स संवाददाता
उचाना। किसानों के आंदोलन को छह महीने पर किसानों ने सरकार के अब तक रूख पर रोष प्रकट किया। विभिन्न गांवों से पहुंची महिलाएं काली चुनरी ओढ़ कर पहुंची तो युवा काली पट्टी बांध कर धरना स्थल पर पहुंचे। यहां पर बुद्ध पूर्णिमा भी किसानों ने मनाई। अध्यक्षता बालकिशन काब्रच्छा ने की। सांकेतिक भूख हड़ताल पर गीता छातर, मुकेश देवी, बीरमति सुदकैन, राजबाला बरसोला, चंद्रो खटकड़ रही। छातर, गुरूकुल खेड़ा, सुदकैन कलां, रोज खेड़ा, बड़ौदा, रूपगढ़, खटकड़, बरसोला, मोहनगढ़ छापड़ा, कोथ, जुलानी, दरियावाला, पालवां से युवा जत्थों के साथ पहुंचे।
हिसार बार एसोसिएशन पहुंचे वरिष्ठ वकील विक्रम मित्तल ने कहा अगर ये कानून लागू हुए तो किसान अपने ही खेतों में मजदूर बनकर रह जायेगा। तीनों कानून किसानों के लिए डेथ वारंट है। ये सरकार सिर्फ एक बिरादरी तक आंदोलन को सीमित होने की बात कह रही है जबकि इसमें सभी बिरादरी के लोग शामिल है। अगर ये कानून लागू हुए तो किसानों के साथ साथ हर वर्ग को इनसे नुकसान होगा।
मित्तल ने कहा इस लड़ाई में वकील भी किसानों के साथ है और किसानों के समर्थन में हिसार बार एसोसिएशन की तरफ से धरना दिया जा रहा है। वकीलों का धरना भी किसानों के साथ आखिर तक जारी रहेगा। इतना ही नही जब अगर सरकार कोई कानूनी कार्रवाई किसानों पर करती है तो वकील उनके लिए मुफ्त में मुकदमे लड़ेंगे। किसानों को बताया कि मुकदमे के लिए पैन पेंसिल का खर्च भी खुद वकील उठाएंगे इसलिए इस लड़ाई में किसान अपने आपको अकेला न समझे।
आजाद पालवां, सतबीर पहलवान ने कहा कि आज केंद्र की सरकार को सात साल हुए है तो किसानों के आंदोलन को आज छह महीने हो चुके है। तीनों कृषि कानूनों को जब तक केंद्र सरकार रद्द नहीं करती है तब तक किसान घर वापिसी नहीं करेंगे। तीनों काले कानून कृषि के लिए है। किसानों ने धरने पर महिलाएं काली चुनरी ओढ़ कर पहुंची तो युवा, किसान काली पट्टी बांध कर पहुंचे।
हिसार में किसान, मजदूरों ने एक जुट होकर प्रदर्शन किया। जो मामले दर्ज किसानों के खिलाफ किए थे उनको रद्द करने की मांग प्रशासन को माननी पड़ी। इस मौके पर अनीष खटकड़, संदीप बड़ौदा, राजेश छात्तर, रणबीर शर्मा, अमरलाल पारचा, महेंद्र रडाल, धर्मबीर सुदकैन, अमरलाल थुआ, जोगिंद्र नैन, रामफल दहिया, डीके भारद्वाज, सिक्किम सफा खेड़ी, कविता, पूनम रेढू, अनीता, बीरमति मौजूद रहे।