Monday, November 25, 2024
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कृषि कानूनों के विरोध में पीएम मोदी,मुख्यमंत्री व डिप्टी सीएम के फूंके पुतले

by Newz Dex
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न्यूज डेक्स संवाददाता

जींद।कृषि सुधार कानूनों के विरोध में किसानों के दिल्ली बॉर्डर पर धरने को छह माह और मोदी सरकार के सात साल पूरे होने पर बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किसान और मजदूर संगठनों ने काला दिवस मनाया। खटकड़ और बद्दोवाल टोल पर चल रहे धरनों पर किसान काली पट्टी और महिलाएं काली चुनरी ओढ़ कर पहुंची। वहीं गांवों में भी लोगों ने अपने घरों पर काले झंडे लगाए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम मनोहर लाल व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के पुतले फूंके। रामकली गांव में लोगों ने सरकार के पुतले के साथ जुलूस निकाला।

वहीं गांव गतौली में जींद-रोहतक मार्ग पर किसानों ने काली पट्टी बांधकर रोष प्रकट किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए भाजपा-जजपा सरकार का पुतला फूंका। प्रदर्शन की अध्यक्षता करते हुए नरेश ढांडा और नरेंद्र ढ़ांडा ने कहा कि भाजपा सरकार किसानों की अनदेखी कर रही है। छह माह से आंदोलन चल रहा है और लगभग 400 किसान आंदोलन के दौरान जांच गंवा चुके हैं। लेकिन सरकार ने छह माह बीत जाने के बाद भी किसानों की सुध नहीं ली है।किसानों पर लाठीचार्ज करवाया, जोकि निंदनीय है।

खटकड़ टोल पर किसानों ने फूंका सरकार का पुतला-खटकड़ टोल धरने पर विभिन्न गांवों से पहुंची महिलाएं काली चुनरी ओढ़ कर पहुंची, तो युवा काली पट्टी बांध कर धरना स्थल पर पहुंचे। धरने पर बुद्ध पूर्णिमा भी किसानों ने मनाई। अध्यक्षता बालकिशन काब्रच्छा ने की। सांकेतिक भूख हड़ताल पर गीता छातर, मुकेश देवी, बीरमति सुदकैन, राजबाला बरसोला, चंद्रो खटकड़ रही। छात्तर, गुरुकुल खेड़ा, सुदकैन कलां, रोज खेड़ा, बड़ौदा, रूपगढ़, खटकड़, बरसोला, मोहनगढ़ छापड़ा, कोथ, जुलानी, दरियावाला, पालवां से युवा जत्थों के साथ पहुंचे।

हिसार बार एसोसिएशन से पहुंचे वरिष्ठ वकील विक्रम मित्तल ने कहा कि अगर ये कानून लागू हुए, तो किसान अपने ही खेतों में मजदूर बनकर रह जाएगा। तीनों कानून किसानों के लिए डेथ वारंट है। ये सरकार सिर्फ एक बिरादरी तक आंदोलन को सीमित होने की बात कह रही है। जबकि इसमें सभी बिरादरी के लोग शामिल हैं। इस लड़ाई में वकील भी किसानों के साथ हैं और किसानों के समर्थन में हिसार बार एसोसिएशन की तरफ से धरना दिया जा रहा है।

अगर सरकार कोई कानूनी कार्रवाई किसानों पर करती है, तो वकील उनके लिए मुफ्त में मुकदमे लड़ेंगे। मुकदमे के लिए पैन पेंसिल का खर्च भी खुद वकील उठाएंगे। आजाद पालवां, सतबीर पहलवान ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को जब तक केंद्र सरकार रद्द नहीं करती है तब तक किसान घर वापसी नहीं करेंगे।

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