न्यूज डेक्स संवाददाता
अंबाला। हरियाणा कला परिषद् के अधिकारिक पदों पर जातिय भेदभाव से क्षुब्ध अनुसूचित जाति कलाकारों का एक प्रतिनिधि मंडल वरिष्ठ कलाकार बुधराम मट्टू, अम्बाला की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री हरियाणा से मिलकर अपने मन की पीड़ा सुनाना चाहता था। जिसके लिए निरन्तर प्रयास भी किए गए लेकिन निराशा ही हाथ लगी। इससे दुःखी होकर प्रदेश के वरिष्ठ अनुभवी कलाकारों सुभाष नगाड़ा,सुरेन्द्र धौला (रोहतक), रविन्द्र नागर (हिसार), विवेक हंस (यमुनानगर), दिनेश लाहोरिया (अम्बाला) व अन्य ने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी एवं राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, नई दिल्ली को पत्र लखकर गुहार लगाई।
इनका आरोप है कि हरियाणा कलापरिषद् के गठन को लगभग 25 वर्षों का लंबा समय बीत चुका है, लेकिन परिषद् के उपाध्यक्ष, निदेशक, अतिरिक्त निदेशक, संयुक्त निदेशक, उप निदेशक, प्रभारी, मुख्य सलाहकार व अतिरिक्त मुख्य सलाहकार के अधिकारिक पदों पर अनुसूचित जाति के किसी भी कलाकार को आज तक नियुक्ति नहीं मिली।
इन्होंने सवाल उठाया है कि क्या इन पदों पर आरक्षण प्रतिनिधित्व का कोई प्रावधान नहीं है ? ऐसे तो एससी वर्ग के अधिकांश कलाकार नौकरी की तलाश में भटकते रह जाएंगे। विशेषकर वे जिन्होंने एम.ए., एम.फिल. पी.एच.डी. व डिग्री डिप्लोमा प्राप्त करके विभिन्न कला क्षेत्रों में अनेकों कीर्तिमान स्थापित किए हुए हैं, वंचित रह जाएंगे। इन पदों पर आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए,जोकि कलाकारों व समाज के हित में रामबाण सिद्ध होगा।
मुख्यतः इन पदों पर सामान्य वर्ग के प्रभावशाली व्यक्तियों जैसे कि रामफल चहल, जगबीर राठी,विश्व दीपक त्रिखा, केसी शर्मा, सुदेश शर्मा, सुदेश शर्मा, चंद्र शर्मा, ऊषा शर्मा, रीटा शर्मा, महेश जोशी, अनिल कौशिक, नागेंद्र शर्मा, अजय सिंघल, राकी मित्तल, संजय भसीन, सोनाली फोगाट, गजेन्द्र फोगाट व महावीर गुड्डू आदि को नियुक्तियां देकर जातीय भेदभाव को बढ़ावा दिया गया है, जबकि दलित कलाकारों में प्रतिभा की कमी नहीं है।
इन्हें बस पर्याप्त अवसर नहीं मिलते। खेद का विषय है कि इन नियुक्तियों के लिए न जाने कौन से ऐसे मापदंड निर्धारित किए हुए हैं जिसके अन्तर्गत अनुसूचित जाति के शोषित वंचित व पीड़ित वर्गों के वरिष्ठ अनुभवी कलाकारों की निरंतर अनदेखी होती रही, जोकि न केवल निंदनीय है, बल्कि जांच का विषय भी है।