न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। अंर्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक व हरियाणा कृषि विश्व विद्यालय के रसायन व जीव रसायन विभाग के पूर्व अध्यक्ष तथा डीन बेसिक साईसिज डा. कुलदीप सिंह ढींडसा ने कहा कि औद्योगिक क्रांति से लेकर वर्ष 2020 तक वैश्विक तापमान 1 डिग्री सैल्सियस से अधिक या लगभग 2 डिग्री फारेनहाईट तक बढ़ चुका है। जिसका मुख्य कारण ग्रीन हाऊस गैसें (कार्बन डाईऑक्साईड, मिथेन, नाईट्रस ऑक्साईड) आदि है।
डा. कुलदीप सिंह ढींडसा ने 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि तापमान की प्रामाणिक रिकॉर्डिंग 1880 में शुरू हुई थी। तब से 1980 तक औसतन तापमान 0.07 डिग्री सैल्सियस प्रति दशक के हिसाब से बढ़ा। परंतु 1981 से वर्ष 2020 तक इसके बढने की गति दोगुनी से अधिक यानि लगभग 0.18 डिग्री सैल्सियस हो गई। जो पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय है। इसका परिणाम यह हुआ कि वर्ष 2015 से आज तक के काल में 5 वर्ष विश्व के इतिहास में सबसे गर्म वर्ष रहे।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि वर्ष 2040 तक वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सैल्सियस पर रोकना होगा अन्यथा इसके दुष्परिणाम जैसे अकाल, आकस्मिक बाढ़, समुंद्री तूफान, चक्रवात, जंगलों की आग, भुखमरी के रूप में महामारी भुगतने पड़ेगें। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को नियंत्रण में करने का अति सरल विकल्प पेड़ लगाना है।
उन्होंने बताया कि एक स्वस्थ पेड़ एक वर्ष में लगभग 20 किलोग्राम कार्बन डाईऑक्साईड सोखता है और लगभग 14 किलोग्राम ऑक्सीजन छोड़ता है। वर्ष 1750 से 2019 तक वातावरण में कार्बन डाईऑक्साईड की मात्रा 280 पीपीएम से 45 प्रतिशत बढक़र 415 हो गई है। जिसके कारण वैश्विक तापमान में वृद्धि हुई है।
उन्होंने आमजन से अपील करते हुए कहा कि हर 15 से 65 वर्ष तक का व्यक्ति अपने जीवन में कम से कम 5 पेड़ अवश्य लगाए और 5 वर्ष तक उनकी देखरेख करें जब तक वह पौधा युवा वृक्ष न बन जाए। गौरतलब है कि राष्ट्रीय पर्यावरण विज्ञान अकादमी द्वारा पर्यावरण में डा. कुलदीप सिंह ढींडसा के अभूतपूर्व योगदान के परिणाम स्वरूप उन्हें बैस्ट साईटिसट ऑफ दी ईयर-2003 अवॉर्ड से अलंकृत किया था।