कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय प्रशासन ने कुटा की मांग पर राज्य सरकार को भेजा प्रपोजल, 100 शिक्षक
200 गैर शिक्षक कर्मचारियों के साथ 148 सैंक्शनड टीचिंग व नान टीचिंग के पदों को भी बजटिड में कन्वर्ट करने की मांग: डा. परमेश
15 वर्षों से बेहतर चल रहे हैं पाठयक्रम, 4 वर्षों से 7वें वेतन आयोग का एरियर भी पेंडिंग : गौड़
प्रोफेसर पद के लिए योग्य होने के बाद भी वर्षों से असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर ही कर रहे हैं काम
न अकादमिक कौंसिल व न ही कार्यकारिणी परिषद में ही प्रतिनिधित्व: गौड़
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र।कुरुक्षेत्र विश्विद्यालय शिक्षक संघ के प्रधान डा. परमेश कुमार ने हरियाणा सरकार से कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में सेल्फ फाइनेंस स्कीम में काम कर रहे सभी शिक्षकों एवं गैर शिक्षक कर्मचारियों को बजटिड में कन्वर्ट करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि कुटा पिछले 10 वर्षों से इन पदों को बजटिड में कन्वर्ट करने की मांग कर रही है।
इस संबंध में हाल ही में राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग की और से विश्वविद्यालयों में सेल्फ फाइनेंस के पदों को बजटिड में कन्वर्ट करने का प्रपोजल मंगवाया था। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने कुलपति सोमनाथ सचदेवा व कुलसचिव डा. संजीव शर्मा के सहयोग से गुरु जंभेश्वर विश्विद्यालय की तर्ज पर यह प्रपोजल केयू की तरफ से राज्य उच्चतर शिक्षा विभाग को भिजवाया है। अब हरियाणा सरकार को चाहिए कि वे विश्वविद्यालय के शिक्षकों की पिछले 10 वर्षों से चल रही इस पेंडिंग डिमांड को जल्द से जल्द पूरा करे।
कुटा प्रधान ने कहा कि विश्वविद्यालय में इस समय सेल्फ फाइनेंस स्कीम में कुल 401 पद हैं जिनमें से 253 पदों पर शिक्षक एवं कर्मचारी काम कर रहे हैं जबकि 148 पद अभी भी खाली हैं। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि वे सभी शिक्षकों, कर्मचारियों एवं स्वीकृत पदों को बजटिड स्कीम में कन्वर्ट करें। कुटा ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डा. सोमनाथ सचदेवा से चार वर्षों से पेंडिंग एरियर के साथ साथ इन पदों को बजटिड में कन्वर्ट करवाने के लिए राज्य सरकार से बातचीत करने की अपील की है।
उन्होंने कहा कि सेल्फ फाइनेंस पदो को बजटिड में कन्वर्ट करने के प्रपोजल को भेजने के लिए कुटा विश्वविद्यालय प्रशासन का धन्यवाद भी करती है। कुटा सचिव विवेक गौड़ ने कहा है कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में वर्ष 2004 से सेल्फ फाइनेंस स्कीम के तहत पाठयक्रम चल रहे हैं व वर्तमान में 92 शिक्षक इस स्कीम में कार्य कर रहे हैं। पिछले 17 वर्षों से विभागों में शिक्षकों को न तो कोई प्रमोशन मिली है और न ही अकादमिक कौंसिल, कार्यकारिणी परिषद में सदस्यता। जो शिक्षक असिस्टेंट प्रोफेसर पदों पर भर्ती हुए थे, जो पिछले कईं वर्षों से प्रोफेसर पद पर प्रमोट हो जाने चाहिए थे वे असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर ही कार्य कर रहे हैं।
विश्वविद्यालय में ला संस्थान, फार्मेसी, मैनेजमेंट, मीडिया प्रौद्योगिकी, फाइन आर्ट एवं यूआईईसी जैसे संस्थान सेल्फ फाइनेंस में है जो विश्वविद्यालय की वर्तमान पहचान है। उन्होंने कहा कि सेल्फ फाइनेंस स्कीम को विश्वविद्यालयों की आर्थिक हालत को बेहतर करने के लिए प्रदेश भर में शुरू किया गया था लेकिन यह स्कीम अच्छी इंकम के बाद भी शिक्षकों एवं कर्मचारियों के कॅरियर एवं प्रमोशन के लिए एक बड़ी समस्या व प्रताड़ना का माध्यम बन गई है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में 17 वर्षों में पहली बार बजटिड एवं सेल्फ फाइनेंस शिक्षकों की प्रमोशन के लिए आवेदन एक साथ मांगे गए हैं इसका श्रेय प्रशासन को जाता है।
कुटा सचिव ने कहा कि पिछले चार वर्षों से सातवें वेतन आयोग का एरियर भी पेंडिंग पड़ा है। उन्होंने प्रशासन से जल्द से जल्द एरियर रिलीज करने की मांग की है। कुटा सचिव विवेक गौड़ का कहना है कि राज्य सरकार की और से इन पदों को बजटिड में कन्वर्ट करने से विश्वविद्यालय का वेतन व अन्य खर्च पर वेतन भार कम होगा व आर्थिक हालत भी बेहतर होगी। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से विश्वविद्यालय में स्वीकृत पदों की संख्या भी बढ़ जाएगी। कुटा सचिव का कहना है कि वर्तमान प्रशासन शिक्षकों की सभी मांगों को लेकर सकारात्मक है, इसलिए प्रशासन को चाहिए कि वह इस मामले में राज्य सरकार से चर्चा कर इस समस्या का हल निकालें। उन्होंने कहा कि कुटा ने ही इस मुददे को मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सामने दो वर्ष पूर्व रखा था, उनके निर्देश पर ही यह प्रस्ताव उच्चतर शिक्षा विभाग की और से आमंत्रित किया गया है। उन्होंने राज्य सरकार से जल्द से जल्द इन सभी पदों को बजटिड में समायोजित करने की मांग की है।