धरती को बचाना है तो पेड़ पौधे लगाएंः प्रो. चक्रवर्ती
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर केयू में यूनिवर्सिटी सीनियर सेकेंडरी मॉडल स्कूल द्वारा वेबीनार आयोजित
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि अगर किसी देश की मिट्टी बर्बाद होती है अर्थात जमीन की उर्वरक शक्ति समाप्त होती है तो देश की अर्थव्यवस्था स्वतः चरमरा जाएगी। उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करने की सलाह दी। वे शनिवार को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कुवि के यूनिवर्सिटी सीनियर सेकेंडरी मॉडल स्कूल द्वारा हील द अर्थ हील द फ्यूचर विषय पर आयोजित वेबीनार में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। कुलपति ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सभी को बधाई दी व मुख्य वक्ता प्रोफेसर एसके चक्रवर्ती का अभिनंदन किया।
कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने गुरुकुल कुरूक्षेत्र का उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे ज़ीरो लागत से भी खेती सम्भव है। उन्होंने बताया कि प्रयोग की गई भवन और सड़क सामग्री कैसे प्रयोग करें व सीमेंट बनाने के लिए कम प्रदूषण करने वाले उपाय सोचने के लिए आग्रह किया। कुलपति ने कहा कि हमें अपने उपर अंकुश लगाने होंगे जिस ढंग से फेसमास्क, पीपीई किट, सीरींज आदि लापरवाही से खुले में फैंके जा रहा है उससे हमें स्वयं ही नुकसान होने की संभावना है।
उन्होंने बताया हाल ही में दो समुद्री तुफानों से जो कचरा समुद्र किनारे बसे घरों व सड़कों पर जमा हुआ उनको फैंकने वाले भी हम ही थे। उन्होंने कहा अगर समस्या इन्सान ने पैदा की है तो समाधान भी हमें ही निकालना होगा। उन्होंने बताया कि तारकोल, बजरी के साथ-साथ प्लास्टिक का प्रयोग करने से गुणवत्ता भी अधिक होगी और एक किलोमीटर सड़क बनाने में एक टन प्लास्टिक थैलों द्वारा प्रदुषण भी कम होगा। सड़क के किनारों और कूढे के ढेर कूड़ा उठाने वालों की आजीविका भी बढ़ेगी।
कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि हम लगातार धरती को खोखला किए जा रहे हैं। खनिज, जीवाश्म, ईंधन उससे भी धरती व प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि पाठ्य-पुस्तकों में इसके लिए बहुत सारे तरीके पढ़े होंगे लेकिन रीसाइकलिंग के अतिरिक्त भी ढंग सोचने होंगे ताकि आपका भविष्य उज्ज्वल रहे। विद्यार्थी प्रकृति से लगाव दिखाएं। लॉकडाउन खुलते ही इको क्लब बनाए और विद्यालय प्रशासन प्रतियोगिता भी करवाए। इसी आयु वर्ग में अच्छी आदतें पड़ जाए तो भारत का भविष्य और उज्ज्वल होगा। प्रधानमंत्री का सपना स्वच्छ भारत श्रेष्ठ भारत साकार होगा।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर एसके चक्रवर्ती ने बताया कि हमें हर वह कार्य करना होगा जिससे पृथ्वी को रहने लायक बनाया जा सके। उन्होंने कूड़ा निपटान करने के लिए छह प्रकार के अलग-अलग वेस्ट बताएं। जोकि ग्लास, प्लास्टिक, एलुमिनियम, गत्ता, कागज और खाने पीने का सामान है। उन्होंने बताया कि यदि हम कूड़े को इन छह भागों में अलग-अलग रखते हैं तो कूड़ा निपटान करने में किसी प्रकार की कोई कठिनाई नहीं होगी।
उन्होंने अहम जानकारी देते हुए बताया कि एक ईमेल को भेजने में लगभग 40 ग्राम सीओटू पैदा होती है। ई-मेल को भेजने में जितनी बिजली इस्तेमाल हुई वह थर्मल पावर से जनरेट की गई है ना कि सोलर पावर से। उन्होंने अन्य गैर जरूरी ईमेल को रोकने के बारे में कहा। प्रो. चक्रवर्ती ने कहा कि यदि हम धरती को बचाना चाहते हैं तो हमें पेड़ पौधे तो लगाने ही होंगे इसके अतिरिक्त हमें बिजली का कम उपयोग तथा अपने रहन-सहन में जहां भी एनर्जी का उपयोग हो रहा है उसे कम करना होगा। हमें पेट्रोल और डीजल वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक वाहन उपयोग करने होंगे।
अंत में उन्होंने सुझाव दिया कि विद्यालय में प्रथम कक्षा से पांचवी कक्षा तक प्रत्येक विद्यार्थी से एक एक पौधा लगवाया जाए तथा उस पौधे पर उस विद्यार्थी का नाम लिख दिया जाए, जब वह विद्यार्थी छठी कक्षा में हो जाए तो वह 12वीं कक्षा तक उस पौधे की देखभाल करें। उन्होंने कहा कि हम ऐसा कोई काम न करें जिससे कोई कहे कि कभी धरती पर जीवन होता था।
इससे पहले प्रधानाचार्य डॉक्टर मीत मोहन ने वेबीनार में उपस्थित कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, प्रोफेसर एसके चक्रवर्ती, विद्यालय के अध्यापकगण तथा विद्यार्थियों का स्वागत किया एवं वेबीनार में उपस्थित सभी से परिचय करवाया। अंत में विद्यालय की वाइस चेयरपर्सन प्रोफेसर शुचिस्मिता द्वारा सभी का धन्यवाद किया गया। मंच का संचालन मैडम नीतिका एवं मैडम दीक्षा द्वारा किया गया । इस अवसर पर विद्यालय के सभी शिक्षक एवं गैर शिक्षक कर्मचारी मौजूद रहे।