पर्यावरण जागरूकता पैदा करने के लिए सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इन इंडिया(एसपीएसटीआई) द्वारा कार्यक्रमों की शुरुआत
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता पैदा करने के लिए सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इन इंडिया (एस.पी.एस.टी.आई.) कुरुक्षेत्र ने एन.ए.एस.आई.चंडीगढ़ चैप्टर के साथ मिलकर पर्यावरण जागरूकता पर कई कार्यक्रमों की शुरुआत की है। इसी क्रम में प्रख्यात पर्यावरण एडवोकेट, पद्मश्री और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता एम.सी. मेहता ने व्याख्यान में पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली पर एक व्याख्यान दिया। व्याख्यान को एन.सी.एस.टी.सी. एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार के सौजन्य से आयोजित किया गया।
एस.पी.एस.टी.आई. के अध्यक्ष धर्मवीर ने इस तरह की जागरूकता व गतिविधियों की आवश्यकता के बारे में बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि पर्यावरण दिवस हमें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने और आम लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने का अवसर देता है। नैशनल अकादमी ऑफ़ साइंसेज इंडिया की चंडीगढ़ श्रृंखला के अध्यक्ष प्रो. आर.के. कोहली ने निरंतर पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिए पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के बारे में बात की। उन्होंने सार्वभौमिक वैश्विक पर्यावरणीय मुद्दों पर चर्चा की।
पारिस्थितिक तंत्र को परिभाषित करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक आत्मनिर्भर क्षेत्र है। जिसमें स्थलीय प्राकृतिक मिट्टी, जंगल, घास के मैदान, जानवरों की आंत, फसल भूमि, जलीय समुद्री और ताजे पानी के स्रोत जैसे तालाब, नदियाँ, झीलें आदि शामिल हैं। गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के पर्यावरण अध्ययन विभाग के प्रो. आर. भास्कर ने प्रख्यात वक्ता एम.सी. मेहता के बारे में बताते हुए कहाकि वे एक प्रतिबद्ध पर्यावरणविद् हैं। एम.सी. मेहता ने एक महत्वपूर्ण प्रश्न के साथ शुरुआत करते हुए कहा कि विशेष कानून, मौलिक अधिकार और कर्तव्य और ऐसे अन्य सभी साधनों के बावजूद हमारा पर्यावरण क्यों खराब हो रहा है।
उन्होंने दावा किया कि हमारी नदियां अब नदियां नहीं हैं। क्योंकि हमने उन्हें पूरी तरह से प्रदूषित कर दिया है। जलस्तर 400-500 फीट नीचे गिर गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन स्थितियों से निपटने के लिए रेडियो, सैटेलाइट चैनलों और अन्य प्लेटफार्मों पर नियमित जागरूकता कार्यक्रम होने चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने विश्वविद्यालय स्तर पर निगरानी प्रकोष्ठों का निर्माण करने और लोगों को यह बताने का सुझाव दिया कि पर्यावरण को न केवल सिखाया जा सकता है बल्कि व्यवहार में भी लाया जा सकता है। मुंबई से सातवीं कक्षा की छात्रा सृष्टि रंजन द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या पर्यटन हमारे पर्यावरण के पक्ष में है।
मेहता ने कहा कि यह इको-टूरिज्म है जो लोगों के लिए फायदेमंद है। ग्रीन अर्थ एनजीओ के डा. नरेश भारद्वाज ने तीन साल के पर्यावरण पाठ्यक्रम को लागू न करने के बारे में बात की। जिस पर प्रो. भास्कर और अन्य सभी प्रशासकों और शिक्षाविदों ने इस परिप्रेक्ष्य पर कार्य करने के लिए सहमति व्यक्त की। सोसाइटी के मैनेजर अनुज गोयल एवं संयोजक महिपाल शर्मा ने बताया कि पर्यावरण जागरूकता पर आधारित गतिविधियों में अगला व्याख्यान विश्व सागर दिवस 08 जून को होगा। जिसमे जियोलाजिकल सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया के अध्यक्ष प्रो. हर्ष गुप्ता बतौर मुख्य वक्ता आमंत्रित हैं।