न्यूज डेक्स संवाददाता
पंचकूला। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किसानों का आह्वान करते हुए कहा कि हमें क्वांटिटी के साथ साथ क्वालिटी पर ध्यान देते हुए खेती करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है और वर्तमान परिस्थितियों के दृष्टिगत हमें क्वालिटी का चैलेंज स्वीकार करके कृषि क्षेत्र में आगे बढना होगा। आमदनी बढानी है तो प्राकृतिक खेती की ओर जाना ही पड़ेगा।
मुख्यमंत्री ने यह बात आज पंचकूला में आयोजित एक दिवसीय कृषि कार्यशाला में उपस्थित प्रदेश भर से आए प्रगतिशील किसानों को सम्बोधित करते हुए कही। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर खुशहाल बागवानी पोर्टल एवं फसल तुड़ाई के बाद प्रबंधन संबंधी जानकारी से युक्त पुस्तिका का लोकार्पण भी किया।
कृषि विभाग द्वारा किसानों की आमदनी दोगुनी करने एवं फसल विविधिकरण को लेकर आयोजित इस कार्यशाला में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता, हरियाणा के बिजली मंत्री रणजीत सिंह और राज्य के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जे पी दलाल भी उपस्थित रहे।
प्रधानमंत्री द्वारा 17 खरीफ फसलों की एमएसपी घोषित करने के लिए उनका आभार जताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रगतिशील किसान सम्मान हर जिला अनुसार एवं प्रदेश स्तर पर भी प्रदान किए जाएगें। उन्होंने प्रगतिशील किसानों का आह्वान किया कि वे हर वर्ष 10-10 और किसानों को ट्रेनिंग दें। इससे दो से तीन सालों में ही प्रगतिशील किसानों की संख्या कई गुणा बढ जाएगी। उन्होंने कहा कि खेती है तो उद्योग हैं और तभी सर्विस सेक्टर है। खेती एवं खनिजों के उत्पादन में जितनी अच्छी क्वालिटी होगी उतना ही समाज के लिए लाभदायक होगा। इससे कृषि क्षेत्र में नई क्रांति आएगी और किसान लोगों को स्वास्थ्य बढाने में मुख्य भूमिका अदा करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें किसानों की आमदनी बढाने की योजनाओं पर फोकस करना है। उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों से कहा कि प्रगतिशील किसानों के छोटे छोटे ग्रुप बनाकर उन्हें ट्रेनिंग दे और यह क्रम लगातार चलाएं। इससे कृषि क्षेत्र में अमूलचूल बदलाव आएगा। छोटे जोत के किसानों की आमदनी बढाने के अन्य स्त्रोत कैसे विकसित किए जाएं, इस पर फोकस करना है। उन्होंने वर्टिकल फार्मिंग को भी इस दिशा में उपयोगी बताते हुए इस पर ओर अधिक जागरूकता के लिए अधिकारियों को काम करने को कहा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय था जब हरित क्रांति की आवश्यकता हुई तो हमने खाद्यान्न उत्पादन में नए आयाम स्थापित किए, लेकिन इसके साथ साथ रासायनिक खाद एवं पेस्टीसाईड का प्रयोग करके जमीन की उर्वरा शक्ति को कम कर लिया। वर्तमान समय के अनुसार हमें बदलना होगा, इसके लिए न केवल कृषि भूमि की उपजाऊ शक्ति बढानी होगी बल्कि जल संरक्षण के प्रति भी जागरूक होना होगा। इसी को ध्यान में रखते हुए हर एकड़ की फसल का डाटा अपडेट करने के लिए मेरी फसल मेरा ब्योरा योजना लागू की गई है।
उन्होंने कहा कि पानी का उचित प्रबंधन किस प्रकार हो, इस पर फोकस करते हुए मेरा पानी मेरी विरासत योजना चलाई जा रही है। इसके लिए द्विवार्षिक जल प्रबंधन योजना की बजट भाषण में भी चर्चा की गई थी। इसके तहत धान की बजाय अन्य फसलों की बिजाई करने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इस बार इस योजना में दो और आयाम जोड़े गए हैं जिसमें खेत खाली रखने पर भी प्रोत्साहन राशि दिया जाना तय किया गया है। इसके अलावा जो किसान एग्रो फोरेस्ट्री अपनाएगा उन्हें भी प्रति एकड़ तीन साल तक दस हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। इससे तीन वर्ष में लकड़ी की पूर्ति होगी और जंगल भी बचेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चूंकि हर वर्ष जलस्तर एक मीटर से भी ज्यादा नीचे जा रहा है। इसलिए इस संकट के दृष्टिगत हमें प्रबंध करने होंगे। हमें आने वाली पीढी को क्या सोंप कर जाना है, यह ध्यान में रखते हुए पानी का समुचित प्रबंधन एवं उपयोग करने की आवश्यकता है। टयूबवैल कनैक्शनों की बात करते हुए उन्होंने कहा कि हमें माईक्रो सिंचाई प्रबंधन की ओर बढना होगा। इस दिशा में किसान सोचें। इसके लिए 85 प्रतिशत खर्च सबसिडी के रूप में सरकार की ओर से दिया जाता है। हर खेत की मिट्टी की जांच के लिए सरकार ने व्यापक योजना बनाई है। इस योजना में हर एकड़ का सायल हेल्थ कार्ड बनेगा। इसमें विद्यार्थी लर्निंग के साथ अर्निंग कर पाएगें। विद्यार्थियों को सैम्पल एकत्र करने के लिए प्रति सैम्पल 40 रुपए प्रदान किए जाएगें।
प्राकृतिक खेती की तकनीक बताई आचार्य देवव्रत-
कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्राकृतिक खेती की उपयोगिता पर बल देते हुए कहा कि एक देशी गाय का पालन करने से हम 30 एकड़ कृषि भूमि पर प्राकृतिक खेती कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती करने से उत्पादन घटने का सवाल ही पैदा नहीं होता। उन्होंने कुरुक्षेत्र गुरुकुल के 200 एकड़ के फार्म में की जा रही प्राकृतिक खेती का उदाहरण देते हुए कहा कि इससे न केवल उत्पादन बढा बल्कि मार्केट के मुकाबले अधिक दाम भी मिल रहें है।
उन्होंने कहा कि फर्टिलाईजर व पेस्टिसाईड का इस्तेमाल करने वाले किसानों के खेतों की आर्गेनिक कार्बन का स्तर 0.3 से 0.4 से अधिक नहीं है जबकि हमारे गुरुकुल में यह स्तर 0.8 से ऊपर है। यह केवल प्राकृतिक खेती करने से ही सम्भव हो पाया है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से पानी, जमीन व पर्यावरण इन सभी का सरंक्षण किसान की आमदनी बढना भी सम्भव है। इसके साथ प्राकृतिक खेती से उपजी फसलों का उपयोग करने से लोगों का जीवन भी स्वस्थ होगा। उन्होंने 100 किसानों को प्राकृतिक खेती की तकनीक की जानकारी से युक्त स्वयं द्वारा लिखिल पुस्तक भी निशुल्क प्रदान की।
किसानों के सच्चे हितैषी हैं मुख्यमंत्रीः दलाल
हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जे पी दलाल ने मुख्यमंत्री को किसानों का सच्चा हितैषी बताते हुए कहा कि सरकार ने किसान के हक में नीतियां बनाकर किसानों का जीवन बदलने का लक्ष्य बनाया है। किसानों के लिए जीरो बजट की खेती मुख्यमंत्री का विजन है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हर समय किसानों की आर्थिक हालत सुधारने बारे सोचते रहते हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उर्वरकों की कीमतें बढने के बावजूद केन्द्र सरकार ने खाद के दाम नहीं बढने दिए। इससे बड़ा किसान हितैषी निर्णय नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि सरकार ने बिना जोत वाले पशु पालकों के भी 56 हजार पशु किसान के्रडिट कार्ड प्रदान कर बड़ा काम किया है। इसके तहत 4 प्रतिशत ब्याज की दर से इन किसानों को भी ऋण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि फसल बीमा योजना स्वैच्छिक है लेकिन फिर भी पहले से ज्यादा किसानों को लाभ मिला है। सरकार ने बिजली के रेट कभी नहीं बढाए और बिजली की गुणवता बढाकर किसानों को भरपूर बिजली प्रदान की। फसलों के भाव दिलाने के लिए एफपीओ बनाए। उन्होंने कहा कि किसानों की उपज का भुगतान सीधा उनके खाते में करने का कार्य किया।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. सुमिता मिश्रा ने सभी का स्वागत करते हुए कार्यशाला की उपयोगिता बारे में जानकारी दी। कार्यशाला में महानिदेशक कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरदीप सिंह, उपायुक्त विनय प्रताप सिंह, अतिरिक्त उपायुक्त मोहम्मद इमरान रजा, एसडीएम पंचकूला ऋचा राठी, बागवानी विभाग के महानिदेशक अर्जुन सैनी, पुलिस आयुक्त सौरभ सिंह, पुलिस उपायुक्त मोहित हांडा, कृषि एवं बागवानी विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।