Friday, November 22, 2024
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हरियाणा में बड़े पैमाने पर कोरोना से मौत के आंकड़ों को छिपा रही है सरकार – दीपेंद्र हुड्डा

by Newz Dex
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हर जिले के एक बड़े गांव के सर्वे से ही स्पष्ट हो जायेगा कि सरकारी दावों और जमीनी हकीकत में रात-दिन का अंतर

अप्रैल और मई महीने में अब तक प्रदेश में कुल कितनी मौतें हुई हैं उसका निष्पक्ष सर्वे कराकर आंकड़ा सार्वजनिक करे सरकार

न्यूज डेक्स हरियाणा

चंडीगढ़। राज्य सभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने आज कहा कि कोरोना से हुई मौतों के संबंध में देश के विभिन्न राज्यों से आ रही खबरों से हरियाणा के लोगों में ये आशंका और अधिक गहरा गयी है कि प्रदेश में बड़े पैमाने पर मौत के आंकड़ों को सरकार छुपा रही है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में 22 जिले हैं, यदि हर जिले के सबसे बड़े एक गांव का भी निष्पक्ष व पारदर्शी तरीके से सर्वे कराया जाए तो अप्रैल और मई में मृतकों के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आयेंगे।

उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान एक-एक गांव में 50 तक भी मृत्यु होने की खबरें सामने आयी, लेकिन सरकारी रिकार्ड में ये मौतें दर्ज नहीं की गयीं। उन्होंने फिर ये मांग दोहरायी कि अप्रैल और मई के महीने में अब तक प्रदेश में कुल कितनी मौतें हुई हैं उसका निष्पक्ष सर्वे कराकर सरकार आंकड़ा सार्वजनिक करे।

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि कोरोना रोगियों की मौतों के सरकारी दावों और जमीनी हकीकत में रात-दिन का अंतर है और ये बात लगातार सामने आ रही खबरों से भी साबित होती है। उन्होंने कहा कि हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार 8861 मौतें हरियाणा में सरकार ने मानी है। लेकिन लोगों का मानना है कि हकीक़त में ये संख्या इससे कहीं ज्यादा है। सरकार को 22 जिलों में हर जिले के कम से कम एक बड़े गाँव का सर्वे कराना चाहिए, ताकि पता चल सके कि हकीक़त में कितनी मृत्यु हुई है और सरकारी आंकड़ों में कितनी मृत्यु दर्ज हुई है। सरकार को इस संबंध में पारदर्शी तरीके से स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों की हेराफेरी की खबरों से हरियाणा में लोग कोरोना की दूसरी लहर में हुई मौतों के सरकारी दावे पर यकीन करने को तैयार नही हैं। अप्रैल और मई महीने में जिस प्रकार कोरोना ने तांडव मचाया उसे देखते हुए सरकार के तमाम दावे गुमराह करने वाले प्रतीत होते हैं। सरकार को समझना चाहिए कि आंकड़े छिपाने से ना हकीकत बदलेगी, ना कोरोना कम होगा और ना ही अपने प्रियजनों को खोने वालों का दर्द कम होगा। मौत के आंकड़े छुपाकर कोरोना से जंग नहीं जीती जा सकती।

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