सोशल मीडिया को शिक्षा के टूल के रूप में प्रयोग करें शिक्षक-गांधी
आर्यन/न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र, 18 अगस्त। जर्मन टेलीविजन एआडी के दक्षिण एशिया ब्यूरो चीफ पीएम नारायणन ने कहा है कि 21वीं सदी में मोबाइल पत्रकारिता व मनोरंजन का सबसे बडा माध्यम बनकर उभर रहा है। इतिहास में जितना समय आज लोग मोबाइल पर व्यतीत कर रहे हैं उतना समय शायद उन्होंने संचार माध्यमों पर कभी व्यतीत नहीं किया। जब माध्यम बदल रहा है तो मोबाइल पत्रकारिता का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनकर उभर रहा है।
उन्होंने कहा कि मोबाइल सिर्फ एक माध्यम है, माध्यम बदलते रहते हैं लेकिन पत्रकारिता के बुनियादी सिद्धांत हमेशा ही शाश्वत रहेंगे। उन्होंने कहा कि इस माध्यम के महत्व को मीडिया शिक्षकों को समझने की आवश्यकता है। समाचार पत्र से रेडियो, रेडियो से टेलीविजन, टेलीविजन से इंटरनेट व इंटरनेट से मोबाइल तक की यह यात्रा बहुत ही रोचक रही है। दुनियाभर के न्यूजरूम में अब मोबाइल के महत्व को समझा जा रहा है। ज्यादातर अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार मोबाइल के माध्यम से राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं को रिपोर्ट कर रहे हैं। मोबाइल से कार्यक्रम निर्माण की लागत बहुत कम हुई है जिसके कारण वैसी ही गुणवत्ता के कार्यक्रम मोबाइल के माध्यम से बनाए जा रहे हैं।
अपने उदबोधन में मोबाइल पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए नारायणन ने मोबाइल पत्रकारिता के लिए जरूरी उपकरण, शूटिंग, लाइटिंग, कैमरा, संपादन, उत्पादन की विभिन्न तकनीकों पर चर्चा की और प्रतिभागियों को बताया कैसे वे विद्यार्थियों को मोबाइल के माध्यम से रिपोर्टिंग व फिल्मिंग के लिए तैयार कर सकते हैं। अपने उदबोधन में उन्होंने दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों की रिपोर्टिंग के अनुभवों को भी प्रतिभागियों के साथ सांझा किया। उन्होंने सभी शिक्षकों से अपील की कि मोबाइल ने पूरे समाचार कक्ष को खुद में समाहित कर लिया है। भविष्य में कहानी को कहने के लिए मोबाइल को जानना समझना व उपयोगी तरीके से पत्रकारिता के लिए इसका उपयोग करना जरूरी है।
एक अन्य तकनीकी सत्र को संबोधित करते हुए भारतीय जनसंचार संस्थान की प्रोफेसर सुरभि दहिया ने कहा कि पूरी दुनिया में मीडिया का आर्थिक माॅडल बडी तेजी के साथ बदल रहा है। मीडिया शिक्षकों को इस माॅडल को समझने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय मीडिया बडे स्तर पर डिजीटलाइजेशन की ओर बढ रहा है जिसके कारण इसके आर्थिक माॅडल में बड़ा बदलाव हुआ है। अपने उदबोधन में उन्होंने विभिन्न आर्थिक माॅडलों की चर्चा करते हुए बताया कि अपने शुरूआती दौर में अधिकतर संचार माध्यमों के शुरू करने का उद्देश्य व उनका विजन व मिशन बिल्कुल भिन्न था लेकिन समय के साथ उनका मिशन बदल गया है, स्वामित्व बदल गया है। मीडिया संस्थानों में विविधता व उनके उत्पादों में भी विविधता बढी है। इस बदलाव को शिक्षकों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि डिजिटलाईजेशन के बाद भी टीवी सबसे बडा व प्रभावी माध्यम है। उन्होंने बताया कि भारतीय प्रिंट मीडिया निरंतर विकास कर रहा है। डिजीटलाइजेशन के बाद भी प्रिंट हमेशा रहने वाला है व इसका महत्व भी और अधिक बढने वाला है। अपने उदबोधन में उन्होंने इंस्टेंट, अटेंशन, सब्सक्रीबशन, विज्ञापन आधारित विभिन्न माॅडलों की चर्चा करते हुए भारतीय मीडिया के स्वामित्व पर भी विस्तार से चर्चा की।
एक अन्य व्याख्यान में टाइम्स स्कूल नोयडा के एसोसिएट प्रोफेसर जतिन गांधी ने पत्रकारिता व सोशल मीडिया के महत्व पर चर्चा करते हुए बताया कि किस तरह से शिक्षक ट्विटर का प्रयोग शिक्षण में प्रभावी तरीके से कर सकते हैं। एक अन्य व्याख्यान में महिला अध्ययन केन्द्र की निदेशिका प्रोफेशर सुदेश ने मीडिया एवं जेंडर विषय पर अपनी बात रखी और मीडिया में लिंग संवदेनशीलता के महत्व पर चर्चा की। इस मौके पर वक्ताओं का स्वागत संस्थान की निदेशिका प्रोफेसर बिंदु शर्मा ने किया व डाॅ. अशोक कुमार ने सभी का आभार प्रकट किया।