Monday, November 25, 2024
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प्रदूषण मुक्त वाहनों के जरिए घाटों और प्राचीन मंदिरों के दर्शन कर सकेंगे श्रद्धालु-धुम्मन

by Newz Dex
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ज्योतिसर तीर्थ से पिहोवा तीर्थ तक सरस्वती नदी के किनारों पर सैर के लिए बनेगी पगडंडी:धुम्मन

नदी पर प्राचीन तीर्थों के आसपास बनेंगे भव्य पार्क, लगेंगे औषधीय पौधे

हरे भरे होंगे किनारे, सरस्वती नदी के तट पर स्थित तीर्थों का किया जाएगा जीर्णोद्धार

न्यूज डेक्स संवाददाता

पिहोवा। हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच ने कहा कि ज्योतिसर से लेकर पिहोवा तक सरस्वती नदी का जीर्णोद्धार कार्य तेज गति से शुरू कर दिया गया है। पहले चरण में नदी के अंदर जमा घास और कबाड़ की सफाई करके पानी को स्वच्छ बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके पश्चात सरस्वती नदी के तट पर अन्य सौंदर्यकरण कार्य को भी पूरा किया जाएगा। चेयरमैन धुम्मन सिंह किरमच रविवार को बीबीपुर झील के बीचों बीच गुजर रही सरस्वती नदी पर चल रहे साफ सफाई के कार्य का निरीक्षण करने पहुंचे थे।

उन्होंने बताया कि साफ-सफाई का कार्य पूरा होने के बाद नदी के दोनों किनारों पर पगडंडी बनाई जाएगी। ज्योतिसर से पिहोवा तक नदी के दोनों किनारों पर पगडंडी बनाकर सैर योग्य बनाया जाएगा। इस पर पैदल यात्री और प्रदूषण मुक्त वाहन जैसे ई-रिक्शा, घोड़ा गाड़ी और साइकिल के जरिए लोग सैर करके इसके आसपास स्थित घाटों और अन्य तीर्थ स्थलों के दर्शन कर सकेंगे। इसके अलावा तीर्थ के दोनों किनारों पर जगह-जगह औषधीय पौधे और पार्कों का निर्माण किया जाएगा। साथ ही दोनों तरफ पौधारोपण करके नदी को हरा-भरा बनाया जाएगा। इससे यहां धर्म और पर्यटन की आस्था का अनूठा संगम स्थापित होगा और रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

नदी को आस्था के साथ टूरिजम हब के रूप में भी विकसित करने की दिशा में बोर्ड कार्य कर रहा है। चेयरमैन धुम्मन सिंह ने बताया कि हेरिटेज बोर्ड नदी के दोनों किनारों पर स्थित घाटों एवं तीर्थों को विकसित करके यहां जीर्णोद्धार करेगा और यहां पहुंचने वाले रास्तों को पक्का किया जाएगा। इसके अलावा आदिबद्री से लेकर पिहोवा तक सरस्वती का जीर्णोद्धार कार्य पूरा किया जाएगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने के जिम्मा बोर्ड को सौंपा है। नदी के आसपास जितने भी तीर्थ होंगे उन सब का जीर्णोद्धार किया जाएगा।  साथ ही सरस्वती नदी की साइट से अवैध कब्जे हटाकर इसका प्राचीन स्वरूप बहाल करने की दिशा में भी लगातार काम जारी है। प्राचीन स्वरूप बहाल होने से क्षेत्र की पानी की समस्या को हल करने के साथ-साथ जल स्तर में भी सुधार लाया जा सकेगा। इससे किसानों को सिंचाई के लिए भी पानी मिलेगा।

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