प्रेरणा वृद्धाश्रम में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। प्रेरणा कला एवं साहित्य मंच के तत्वावधान में प्रेरणा वृद्धाश्रम के परिसर में संस्थापक अध्यक्ष जय भगवान सिंगला के मार्गदर्शन में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस काव्य गोष्ठी में मुख्य अतिथि संस्था की अध्यक्षा रेणु खुंगर, कार्यक्रम अध्यक्ष डा. बलवान सिंह, कार्यक्रम संयोजक डा. केवल कृष्ण, सह संयोजिका कविता रोहिल्ला एवं चंद्रपाल राणा ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर जय भगवान सिंगला ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस कोरोना काल में सभी सकारात्मक चिंतन करें और सावधानी रखें। इस अवसर पर उन्होंने अपनी कविता प्रस्तुत करते हुए कहा कि फिर से वही उजाला होगा, खुशियों का नया सवेरा होगा, नाचेंगे कुदेंगे मिलकर, जग से दूर अंधेरा होगा।
मुख्यातिथि रेणु खुंगर ने कहा कि मत कहना हम ओल्ड हो गए हम तो जिंदगी में तप कर गोल्ड हो गए। डा. बलवान ने बुजुर्गों को समर्पित अपनी कविता प्रस्तुत करते हुए कहा कि माना गरीबी में माया का भी अपना मज़ा होता है, बीमारी में स्वस्थ काया का भी अपना मज़ा होता है, बूढ़े बरगद से फल की इच्छा मत रखना दोस्तों, कड़ी धूप में छाया का भी अपना मज़ा होता है।
संयोजक डा. केवल कृष्ण अपनी कविता प्रस्तुत करते हुए कहा कि गर्मी का मौसम है, प्रचण्ड सूर्य ताप है, सूखा हुआ है, गला, सर्वत्र जलाभाव है। कविता रोहिल्ला की काव्य पंक्तियां कोई दिल को दुखा छोड़ दे, नज़र अंदाज़ करना। लक्ष्य ध्यान केंद्रित कर, एकाग्रचित्त परिश्रम करना। मंच संचालन करते हुए वीरेंद्र राठौर ने कुछ इस प्रकार कहा कि गीत लिखूं मैं तेरे लिए, गाता चलूं मैं तेरे लिए, मुझमें अब मैं कम सा हूँ, मुझमे तू है मेरे लिए। सौरभ भारत ने कहा कि जिंदगी के खेत में कई फसलें मुरझा जाती हैं, कुछ छोटी-छोटी बातें भी बड़े मसले सुलझा जाती हैं।
अनिल कुमार के काव्य पंक्तियां ये मुलाकातों का दौर जारी रहना चाहिए, क्या पता कब ये सिलसिला ही ठहर जाए। डा. ममता सूद ने कहा कि जो किस्मत में है तुम्हारी वो खुद व खुद चला आयेगा, किसी के चाहने न चाहने से कुछ न हो पायेगा , नेक करम अपना तू करता चल बंदे, मंजिल तू अपनी जरुर एक दिन पायेगा। इस अवसर पर आश्रम के बुजुर्ग शकुंतला देवी, सीता देवी, वीणा देवी, क्षमा देवी एवं सदस्य राधा अग्रवाल ,ममता सूद, प्रकाश, सतीश गर्ग आदि कवि उपस्थित थे।