न्यूज डेक्स इंडिया
दिल्ली। रामबिलास पासवान के निधन को अभी साल भी नहीं हुआ है और घर के चिराग ने उनके राजनीतिक दल एलजेपी को अंधेरे में झोंक दिया। सांसद चिराग पासवान पर असक्षम नेता के आरोप लगाते हुए छह में से पार्टी के पांच सांसद आज किनारा कर लिया। इस राजनीतिक फेरबदल ने रामबिलास पासवान के सुपुत्र चिराग पासवान का बना बनाया वजूद छीन लिया है। सोमवार का दिन चिराग पासवान के लिए भारी रहा।चिराग पासवान को यह झटका देने में सबसे बड़ी भूमिका उनके चाचा पशुपति पारस ने निभाई है। चिराग पासवान को संसदीय बोर्ड का सदस्य बनने से नाराज थे पारस।
जेडीयू महासचिव केसी त्यागी ने चिराग पासवान को अकशुल राजनेता बताया। वहीं पशुपति पारस का कहना है कि उन्होंने अपने भाई की आत्मा की शांति और पार्टी की सेवा के लिए यह निर्णय लिया है और मजबूरन उन्हें पार्टी की कमान संभालनी पड़ रही है। वहीं चिराग पासवान खेमे के लोगों का आरोप बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार पर है।
इनका आरोप है कि चिराग पासवान ने विधानसभा चुनावों में नीतिश कुमार की गलत नितियों का विरोध किया था। इसका बदला उन्होंने पार्टी में फूट डालकर लिया है और यह सब कुछ राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। काबिलेगौर है कि एलजेपी में पांच सांसद हैं। इनमें से कुछ सांसदों का सीधे तौर पर यह कहना है कि वह चिराग पासवान के नेतृत्व में काम नहीं कर सकती। बिहार के विधानसभा चुनाव चुनाव में एलजेपी की करारी हार और शून्य के साथ बिहार में खड़ी एलजेपी का आज जो भी हाल उसमें चिराग पासवान के कारण है।
काबिलेगौर है कि लोक जनशक्ति पार्टी के पांच सांसदों ने पार्टी प्रमुख और सांसद चिराग पासवान के नेतृत्व से अलग होने अंतिम फैसला लेने के साथ पशुपति पारस लोक जनशक्ति पार्टी के संसदीय दल के नेता मानते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर इसके बारे में सूचना दी,जिसे स्वीकार कर पशुपति पारस को संसदीय दल के नेता की मान्यता दे दी गई है।