अपनी सुसंस्कृति और रहन-सहन के कारण भारत ने कोरोना महामारी पर विजय पाई : डा. इंद्रेश
कोरोना महामारी के दौर में समाज व देश के प्रति शिक्षकों का दायित्व विषय पर ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। आरोही सैल हरियाणा सरकार एवं वसुधैव कुटुंबकम संस्कृति सेवा आयाम कुरुक्षेत्र के संयुक्त तत्वावधान में कोरोना महामारी के दौर में समाज व देश के प्रति शिक्षकों का दायित्व विषय पर राष्ट्रीय ई संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि डा. इंद्रेश कुमार राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विशिष्ट अतिथि डा. विजय दत्त शर्मा पूर्व निदेशक हरियाणा ग्रंथ अकादमी, जय भगवान सिंगला संस्थापक अध्यक्ष प्रेरणा वृद्धाश्रम कुरुक्षेत्र, स्वागत अध्यक्ष डा. सुधीर कुमार इंचार्ज आरोही सैल एवं पूर्व निदेशक हरियाणा संस्कृत अकादमी, संगोष्ठी निदेशक डा. गणेश दत्त पूर्व कार्यकारिणी सदस्य बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ, संगोष्ठी संयोजक डा. केवल कृष्ण सहित डा. चितरंजन दयाल सिंह कौशल, डा. रामचंद्र मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
मुख्य अतिथि डा. इंद्रेश कुमार ने कहा कि शिक्षक को समाज का निर्माता कहा गया है क्योंकि वह हजारों लाखों बच्चों का भविष्य बनाता है। समाज को जागरूक करने का काम करता है। उन्होंने कहा कि चीन कोरोना का जनक है। उसी के कारण भारत देश के साथ संपूर्ण विश्व में बहुत अधिक जान माल की हानि हुई है। अपनी सुसंस्कृति और रहन-सहन के कारण भारत ने कोरोना महामारी पर विजय पाई है। डा. इंद्रेश ने कहा कि भारत प्राचीन काल से ही योग, आयुर्वेद, होम्योपैथी एवं प्राकृतिक चिकित्सा का जनक है। जहां एलोपैथी के कारण समस्याएं पैदा हुई हैं वहीं भारतीय आयुर्वेद, योग, होम्योपैथी एवं प्राकृतिक चिकित्सा के कारण लोगों की जान बची है।
उन्होंने कहा कि इस कोरोना महामारी में कुछ राजनीति के लोगों ने अपनी रोटियां सेकना शुरू की और कोरोना महामारी से सबको भयभीत किया। ऐसे लोग समाज के लिए घातक होते हैं। जो लोग भ्रम और अराजकता फैला रहे थे उन्होंने भी वैक्सीन लगवाई। ऐसे ही लोगों ने राम के अस्तित्व पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने देश से आह्वान किया है कि ऐसे भ्रम पैदा करने वाले लोगों से बचें। डा. इंद्रेश ने कहा शरारती तत्वों ने इस महामारी को लालच के वशीभूत होकर बहुत लाभ उठाया और ऑक्सीजन के नाम पर, हॉस्पिटल के नाम पर लोगों का खून चूसना प्रारंभ किया। सस्ती दवाइयों को महंगा कर इलाज के नाम पर लोगों को लूटा।
उन्होंने कहा कि कालाबाजारी समाज व देश के लिए घातक है। उन्होंने कहा मरीज उपचार के स्थान तक पहुंचना चाहिए अथवा मरीज तक उपचार पहुंचना चाहिए। ऐसे अवसर पर साहस बना कर रखना चाहिए और सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए औरों को भी जागरूक करना चाहिए ताकि इसके बाद भी यदि कोरोना महामारी आती है तो हम अपने, अपने परिवार और देश को इस संकट से बचा सकें। डा. इंद्रेश ने कहा कि भारत देश का प्रत्येक नागरिक परोपकारी है। जिन्होंने संपूर्ण लॉकडाउन के समय किसी भी व्यक्ति को भूख से नहीं मरने नहीं दिया। जबकि उससे पहले भूख के कारण प्रतिवर्ष लोग मर जाते थे। यह भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि भारतीय लोगों में दृढ़ इच्छाशक्ति है और वे स्वयं को नहीं टूटने देते हैं। उन्होंने इस सफल कार्यक्रम के लिए आयोजकों को बधाई दी। इस अवसर पर डा. सुधीर कुमार ने सभी का स्वागत करते हुए हरियाणा में चल रहे आरोही स्कूलों के बारे में बताया। डा. विजय दत्त शर्मा ने कहा कि शिक्षक के द्वारा दिए गए संस्कारों के कारण ही चिकित्सक इंजीनियर एवं अन्य विधा के लोग समाज में परोपकार की भावना को कायम रखे हुए हैं। जय भगवान सिंगला ने कहा कि कोरोना महामारी में हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण रखें। इस अवसर पर डा. गणेश दत्त एवं कार्यक्रम संयोजक डा. केवल कृष्ण ने अतिथियों का परिचय करवाया और कहा कि जब कभी भारत पर संकट आया तो सभी ने एकजुट होकर उससे पार पाया। इस अवसर पर पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, बिहार, चंडीगढ़ व शिमला के महाविद्यालयों के शिक्षक एवं हरियाणा के 36 आरोही स्कूलों के प्राचार्य और शिक्षकों ने इस ई संगोष्ठी में भाग लिया।