Friday, November 22, 2024
Home haryana गरीबों की दाल-रोटी, नमक और सरसों तेल बंद करने के बाद स्कूली बच्चों पर सरकार का नया प्रहार – दीपेंद्र हुड्डा

गरीबों की दाल-रोटी, नमक और सरसों तेल बंद करने के बाद स्कूली बच्चों पर सरकार का नया प्रहार – दीपेंद्र हुड्डा

by Newz Dex
0 comment

· स्कूली बच्चों को पुस्तकें और कॉपियां देने की बजाय पैसा देने का सरकार का फैसला अव्यवहारिक

· सरकार अपने आधारहीन, अविवेकपूर्ण और लाखों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले फैसले को तुरंत रद्द करे

· इस सरकार से दु:खी हरियाणा की जनता ये गिन रही है कि सरकार के कितने दिन और काटने बचे हैं

न्यूज डेक्स हरियाणा

चंडीगढ़, 18 जून। राज्य सभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि गरीबों की दाल-रोटी, नमक और सरसों तेल बंद करने के बाद स्कूली बच्चों पर सरकार ने नया प्रहार कर दिया है। पहली से आठवीं कक्षा के छात्रों को मुफ्त मिलने वाली पाठ्यपुस्तकें नहीं देने और इसके एवज में उनके बैंक खातों में 200 से 300 रूपये भेजने का हरियाणा सरकार का फैसला छात्र हितों पर कुठाराघात है। उन्होंने मांग करी कि हरियाणा सरकार इस आधारहीन, अविवेकपूर्ण और लाखों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले फैसले को तुरंत रद्द करे।

सरकार के अव्यवहारिक फैसले से ग्रामीण अंचल में रहने वाले किसान-खेत मजदूरों और गरीब परिवारों के सामने बड़ी समस्या आ जायेगी, गांव में रहने वाले किसान-खेत मजदूर को दोहरी आर्थिक चोट लगेगी। 300-400 रुपये की दिहाड़ी करने वाला मजदूर जब अपनी दिहाड़ी छोड़कर किताबें लेने शहर जायेगा तो 200 से 300 रुपये तो उसके आने-जाने में का भाड़ा ही लग जाएगा और उसकी दिहाड़ी टूटेगी वो अलग। इस प्रकार उसे भाड़ा और दिहाड़ी का डबल नुकसान होगा। यही हाल किसानों का भी है, उनके लिये अपना खेत छोड़कर जाना मुश्किल हो जायेगा।

उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार 600 दिन पूरे होने पर उपलब्धियाँ गिनवा रही है। सरकार गिन रही है कि उसके कितने दिन पूरे हो गए, जबकि इस सरकार से दुखी हरियाणा की जनता ये गिन रही है कि सरकार के कितने दिन और काटने बचे हैं। सरकार की चिंतनीय उपलब्धि ये है कि भारत सरकार के नीति आयोग के अनुसार प्रदेश की गिनती बेरोज़गारी,अपराध मे सबसे आगे के प्रदेशों में है। नीति आयोग द्वारा हाल ही में जारी आंकड़े साफ़ कह रहे हैं कि हरियाणा में शिक्षा का स्तर गिरा है। स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का ड्राप आउट पिछले साल के मुकाबले बढ़ा है। अब तक की लगभग सभी सरकारें शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये स्कूल खोलती रही हैं, ये पहली ऐसी सरकार है जिसने खुले हुए स्कूल बंद करवा दिए।

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि सरकार के इस अव्यवहारिक निर्णय से विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय हो जायेगा। सरकार का ये छात्र विरोधी फैसला निजीकरण को बढ़ावा देगा और बाजार में किताबें मनमाने दाम पर बेची जाएँगी। उन्होंने सवाल किया कि जिस प्रकार निजी स्कूलों की एक कक्षा की पाठ्यपुस्तकों को हजारों रूपये में बेचा जाता है क्या सरकार वही हाल सरकारी स्कूल की किताबों का भी कराना चाहती है।

ग्रामीण इलाकों के विद्यार्थी और गरीब परिवार अपने बच्चों को सरकार के 200 से 300 रूपये में किताबें खरीद कर कैसे दे पाएंगे? सरकारी स्कूलों में मिलने वाली मुफ्त किताबों से ज्यादातर ग्रामीण एवं निम्न आय वर्ग के बच्चों को फायदा होता था। लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार विद्यार्थियों से ये सुविधा भी छीन कर बच्चों को शिक्षाविहीन ही रखना चाहती है।

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने छात्रों को पुस्तकें हस्तांतरित करवाने की सरकार की उन तमाम दलीलों को भी खारिज करते हुए कहा कि पिछले सत्र 2020-21 में ही 5 से 7 प्रतिशत किताबें बच्चों को नहीं मिली और सरकार 2019-20 के छात्रों से ही अब तक किताबें हस्तातंरित नहीं करवा पाई। इस बात का ज्वलंत प्रमाण जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी के पास किताबों की आपूर्ति हेतु आई हजारों शिकायतें हैं।

You may also like

Leave a Comment

NewZdex is an online platform to read new , National and international news will be avavible at news portal

Edtior's Picks

Latest Articles

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?
-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00