अब योग की परीक्षा नहीं, योग का आचरण होना चाहिए, योग का जीवन में आत्मसात होना चाहिए: पूज्य आचार्य
चारों वेद, उपनिषद्, दर्शन तथा श्रीमद्भगवतगीता की पावन ऋचाओं के वाचन के मध्य योग का शंखनाद
यौगिक स्केटिंग, यौगिक जिम्नास्टिक, मल्लखम्भ, मल्लयुद्ध, यौगिक मुद्राओं और झांकियों से मनाया गया योग दिवस
न्यूज डेक्स उत्तराखंड
हरिद्वार। आज 7वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आज स्वामी रामदेव तथा आयुर्वेद शिरोमणि आचार्य बालकृष्ण के पावन सान्निध्य में पतंजलि योगपीठ स्थित योगभवन सभागार के साथ पूरा विश्व योगमय हो गया। चारों वेद, उपनिषद्, दर्शन तथा श्रीमद्भगवतगीता की पावन ऋचाओं के वाचन के मध्य योग का शंखनाद करते हुए स्वामी रामदेव ने स्वस्थ जीवन व निरोगी काया की प्राप्ति के लिए योग को एकमात्र साधन बताया। व्यष्टि से समष्टि तक की यात्रा है योग। यौगिक स्केटिंग, यौगिक जिम्नास्टिक, मल्लखम्भ, मल्लयुद्ध, यौगिक मुद्राओं और झांकियों के साथ कार्यक्रम की शुरूआत हुई।
इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने कहा कि आज के इस युग में योग धर्म सर्वोपरि है, योगधर्म ही युग धर्म, राष्ट्र धर्म, सेवा धर्म, मानव धर्म, अध्यात्म धर्म तथा भागवत धर्म है। योग में ही हमारी शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक, धार्मिक तथा आध्यात्मिक सभी सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान है। योग फॉर हेल्थ, योग फॉर वैलनेस, योग फॉर पीस, योग फॉर हार्मोनी ये योग के विभिन्न आयाम है। योग एक ब्रह्मास्त्र है जिससे हम अपने शरीरबल, मनोबल, आत्मबल को प्रबल करके अपने जीवन का निर्माण करते हुए अंत मे निर्वाण मोक्ष को प्राप्त होते हैं।
स्वामी रामदेव ने आह्नान किया कि मात्र एक दिन के लिए नहीं प्रतिदिन योग करने का संकल्प लें। योगमय जीवन के माध्यम से योगवृत्ति, यज्ञवृत्ति, आयुर्वेदवृत्ति, प्राकृर्तिकवृत्ति, स्वदेशिवृत्ति, राष्ट्रवृत्ति, अध्यात्मवृत्ति बनकर राष्ट्र के लिए उपयोगी बनें। वैयत्तिफ़क, पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, जीवन के हर संदर्भ में हमें एक समग्र दृष्टि रखनी है, संतुलित, न्यायपूर्ण, प्रीतिपूर्ण दृष्टि रखनी है। वेद, शास्त्र तथा हमारे पूर्वज भी हमें यही दृष्टि प्रदान करते हैं।
इस अवसर पर पूज्य आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आज 7वां अंतराष्ट्रीय योग दिवस पूरा विश्व पूर्ण उल्लास के साथ मना रहा है। उपस्थित योग साधकों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान युग में योग की उद्गम स्थली पतंजलि योगपीठ तथा उद्गम पुरुष स्वामी रामदेव के नेतृत्व में हमनें प्रातःकाल 5 बजे से इस योग का उत्सव, योग का आनन्द व योग के विविध क्रियाओं का स्वयं अनुष्ठान व प्रदर्शन किया।
उन्होंने कहा कि योग को विविध तरह से किया जा सकता है, उसके विविध अंग तथा आयाम हैं। योग के द्वारा विविध व्याधियों को नष्ट किया जा सकता है। स्वयं प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि योग ने आम जनता की नहीं चिकित्सकों के जीवन की रक्षा करने में बड़ा योगदान दिया है। यह निर्विवाद है कि योग में अपार शक्ति है।
7.00 से 7.35 बजे तक सरकारी प्रोटोकॉल के तहत प्रार्थना, ग्रीवा चालन, स्कंध संचालन, कटि संचालन, घुटना संचालन, खड़े होकर किए जाने वाले आसन (ताड़ासन, वृक्षासन, पादहस्तासन, अर्ध-चक्रासन, त्रिकोणासन), बैठकर किए जाने वाले आसन (भद्रासन, वज्रासन, अर्ध उष्ट्रासन, उष्ट्रासन, शशकासन, उत्तानमंडूकासन, वक्रासन), उदर के बल लेटकर किए जाने वाले आसन (मकरासन, भुजंगासन, शलभासन), पीठ के बल लेटकर किए जाने वाले आसन (सेतुबंधासन, उत्तानपादासन, अर्ध-हलासन, पवनमुक्तासन, शवासन), कपालभाति, अनुलोम-विलोम, शीतली तथा भ्रामरी आदि योगासन-प्राणायाम का अभ्यास व ध्यान, संकल्प कराया गया। शांति पाठ के साथ योगसत्र की समाप्ति हुई।
इस अवसर पर पतंजलि योगसूत्र आधारित एक वेबसाइट का लोकार्पण पूज्य आचार्य बालकृष्ण के कर-कमलों द्वारा किया गया। इस वेबसाइट के माध्यम से एक साथ पाँच भाषाओं यथा- हिंदी, संस्कृत, जर्मन, फ्रैंच तथा अंग्रेजी में योगसूत्र उपलब्ध होंगे। इस कार्य में स्वामी विदेहदेव का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
स्वामी रामदेव ने पूज्या साध्वी देवप्रिया, डॉ. जयदीप आर्य, भाई राकेश कुमार, सभी राज्य प्रभारी, युवा प्रभारी, सोशल मीडिया प्रभारी, सातों संगठनों के प्रभारी, भाई रामाशीष, भाई सचिन, विनोद आदि का संगठन में पूर्ण पुरुषार्थ के लिए अभिनंदन किया।