पुत्र ने कुरुक्षेत्र के शाहाबाद की संस्था ‘नी आसरे दा आसरा’ आश्रम के संचालक जसकीरत और विशेष रुप से हरियाणा पुलिस का भी आभार जताया
न्यूज डेक्स हरियाणा
पंचकूला। किस्सा थोड़ा फिल्मी कहानी सा लगेगा आपको,मगर हकीकत है। तो पूरा माजरा ये है कि 28 साल पहले यूपी के मिर्जापुर जिला के गांव बिजुअल वासी रोहित 28 साल पहले लापता हुए थे। उन्हें मरा समझ कर परिवार वालों ने पिंडदान कर दिया था।मगर यहां तो अचानक कुछ इस तरह घटित हुआ कि मनमोहन देसाई की फिल्म जैसा सीन क्रिएट हो गया,क्योंकि लापता बाबू जी सामने थे बेटा उन्हें निहारते हुए रोने लगा। यहां पंचकूला स्टेट क्राइम ब्रांच की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल के सहायक उपनिरीक्षक हैं राजेश कुमार। उन्होंने बताया कि 60 वर्षीय रोहित मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के गांव बिजुअल का रहने वाले हैं।
बुजुर्ग यमुनानगर के सरस्वती नगर के गांव मगरपुर में नी आसरे दा आसरा आश्रम में रह रहा था। वे उत्तर प्रदेश में होमगार्ड के पद पर नौकरी भी कर चुके हैं। करीब 28 साल पहले घर से नौकरी पर जाने के लिए निकले थे,मगर इसके बाद फिर घर वापस नहीं लौटे सके। अप्रैल 2021 में कुरुक्षेत्र के शाहाबाद में रोहित ‘नी आसरे दा आसरा’ आश्रम के संचालक जसकीरत को मिल गए। उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। आश्रम में उनका इलाज कराया गया था। उसकी मानसिक स्थिति कुछ ठीक हुई तो आश्रम की ओर से स्टेट क्राइम ब्रांच पंचकूला की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल को सूचित किया गया था।
यहां पुलिस के सहायक उपनिरीक्षक राजेश कुमार ने बुजुर्ग की घंटों काउंसिलिंग की। तब जाकर यह बुजुर्ग अपना अतापता देने में सफल हुआ है। एसएसआई राजेश कुमार ने इंटरनेट के माध्यम से बुजुर्ग के गांव को सर्च किया,लेकिन इस नाम से कई गांवों के नाम सामने आ गए। तब उन्होंने सभी गांवों के प्रधान से बात की। फिर जाकर एक गांव के प्रधान ने बुजुर्गवार को पहचान लिया। व्हाट्सऐप के माध्यम से फोटो भेजे गए तो परिवार वालों की खुशी का ठिकाना न रहा। उन्होंने भी वीडियो कॉल करके बात की। फिर परिवार वालों को बुलाया गया और गुरुवार को वो बुजुर्ग को साथ ले गए।
रोहित की ससुराल उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के गांव मांडा में है और करीब 30 साल पहले वह भी प्रयागराज में जाकर रहने लगा था। बताया गया है कि वह लापता भी इसी जगह से हुआ था। उस समय उनके बड़े बेटे अमरनाथ की उम्र 14 वर्ष थी,जोकि वर्तमान में हरियाणा के गुरुग्राम में ही मारुति कंपनी में नौकरी कर रहे हैं। अमरनाथ ने बताया कि उनका परिवार तो बाबू जी को मरा हुआ समझ कर पिंडदान भी करा चुका था। उन्होंने कुरुक्षेत्र के शाहाबाद की संस्था ‘नी आसरे दा आसरा’ आश्रम के संचालक जसकीरत और विशेष रुप से हरियाणा पुलिस का भी आभार जताया।