न्यूज डेक्स संवाददाता
जींद।सीटू से संबंधित ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन हरियाणा के आह्वान पर रविवार को जिले के सैकड़ों ग्रामीण सफाई कर्मचारी नेहरू पार्क में इक्कट्ठे हुए और यहां से शहर में प्रदर्शन किया।बस अड्डे पर अपनी मांगों का ज्ञापन नायब तहसीलदार को पंचायत मंत्री दुष्यंत चौटाला के नाम ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शन से पहले ग्रामीण सफाई कर्मचारियों ने जिला प्रधान कृष्ण मोरखी की अध्यक्षता में नेहरू पार्क में बैठक की, जिसका संचालन जिला सचिव पवन कुमार ने किया।
बैठक को सीटू के राज्य उपाध्यक्ष कॉमरेड रमेश चन्द्र, जिला सचिव कपूर सिंह, सीटू उपाध्यक्ष सुरेश करसोला, ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन के वरिष्ठ उपप्रधान ईश्वर सिंह, सह सचिव यशपाल सिंह, जींद ब्लॉक प्रधान गुलाब ने सम्बोधित करते हुए बताया कि ग्रामीण सफाई कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर लगातार आंदोलनरत है, लेकिन बीजेपी-जेजेपी की सरकार इनकी मांगी की ओर ध्यान नहीं दे रह उन्होंने बताया कि ग्रामीण सफाई कर्मियों की मांगों को लेकर 20 फरवरी को उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के साथ हुई वार्ता तथा उसके बाद 24 फरवरी को विकास एवं पंचायत विभाग के महानिदेशक रमेशचन्द्र बिढान के साथ हुई विस्तारित वार्ता में शहरी सफाई कर्मियों के बराबर वेतन देने, महंगाई भत्ता देने, झाड़ू भत्ता तय करने, वर्दी धुलाई भत्ता तय करने, झाड़ू के इलावा काम के बाकी औजार बीडीपीओ ब्लॉक से खरीद कर देने, कर्मचारी की नियुक्ति के लिए 2000 की जन संख्या के पैमाने को कम करने सहित अनेकों मसलों पर सहमति बनी थी।
जल्द ही इन सभी मसलों के समाधान के लिए पत्र जारी करने की सहमति बनी थी, लेकिन उनका आज तक समाधान नही किया गया।उन्होंने कहा कि विगत 4 अप्रैल को मुख्यमंत्री ने जो घोषणा की है वह उक्त सहमति के अनुरूप नही है। क्योंकि 2013 में शहरी और ग्रामीण सफाई कर्मियों को बराबर वेतन मिलता था, जिसको वर्तमान भाजपा सरकार ने इसमे अंतर पैदा कर दिया है। मुख्यमंत्री ने 14 हजार रुपए वेतन, एक माह वेतन लेट होने पर 500 रुपये अतिरिक्त, साधारण मौत पर 2 लाख, दुर्घटना में मौत होने पर 5 लाख मुआवजा देने आदि की जो घोषणाओं की थी उसका आज तक नोटिफिकेशन ना करके इसको लम्बा लटकाकर सरकार पैसा बचा रही है। इस कारण कर्मचारियों को आर्थिक हानि उठानी पड़ रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार सफाई कर्मियों को कोरोना योद्धा बताकर वाही-वाही तो लूट रही है, लेकिन कोरोना काल मे ग्रामीण सफाई कर्मियों को 50 लाख बीमा कवरेज और सुरक्षा उपकरण तक नही दिए गए। हरियाणा सरकार ने कोरोना से मौत होने पर कर्मचारियों के परिजनों को 20 लाख देने की जो अधिसूचना जारी की है, उसका लाभ ग्रामीण सफाई कर्मी को मिलेगा या नही ये अभी तक स्पष्ट नही है। विभाग को ये स्पष्ट करना चाहिये। उन्होंने बताया कि 13 मई को पंचायत विभाग द्वारा पत्र जारी किया गया है, जिसमें ग्रामीण सफाई कर्मचारियों को सरकारी बेकार में धकेलने का रास्ता तैयार किया है। इस पत्र में दर्ज कामों की सूची से ऐसा लगता है कि या तो बिना सोचे समझे लेटर जारी किया है या फिर वास्तव में बेकार करवाने का रास्ता तैयार किया जा रहा है।
ग्रामीण सफाई कर्मचारी गांव की सड़क-गली साफ करना, नालियों की सफाई करना, कूड़े को उठाकर गांव से बाहर निर्धारित स्थान पर डालना तथा ग्राम सचिवालय की साफ-सफाई पहले भी करते रहे हैं। लेकिन इस पत्र से अब सरकारी स्कूल सहित सरकारी भवन, सरकारी अस्पताल, बैंक, डाकखाने, पशु अस्पताल आदि की साफ-सफाई के लिए कहा गया है, जबकि गांव का स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत व अस्पताल स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत आते हैं। बैंक, डाकखाने व पशु अस्पताल अलग-अलग विभागों के अंतर्गत आते हैं। लेकिन सरकार 14 हजार के बदले 42 हज़ार रुपए का काम करवाना चाहती है। सरकार की मंशा इससे साफ़ नजर आती है। दूसरे विभागों में सफाई कर्मियों की भर्ती न करके ग्रामीण सफाई कर्मचारियों से यह काम करवाया जाना बहुत ही निंदनीय है।
इसको ग्रामीण सफाई कर्मचारी कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। यूनियन के राज्य महासचिव की ओर से इस बारे में उपमुख्यमंत्री एवं विकास एवं पंचायत मंत्री को 25 जून को लेटर भी लिख चुके हैं। अगर समय रहते सफाई कर्मचारियों की मांगों का समाधान नहीं हुआ तो आगामी 17-18 जुलाई को सिरसा में प्रदेशभर के ग्रामीण सफाई कर्मचारी 2 दिन का महापड़ाव डालेंगे और उपमुख्यमंत्री एवं विकास एवं पंचायत मंत्री दुष्यंत चौटाला का घेराव करेंगे। -मुख्यतया ये रहे मौजूद-प्रदर्शन में उपरोक्त के अलावा जिला उपप्रधान कृष्ण लजवाना, पिल्लूखेड़ा ब्लॉक प्रधान कपूर सिंह, विनोद अलेवा, कमला, सरोज, सुखदेई, अंगूरी, मंजीत होशियारपुर आदि सैकड़ों ग्रामीण सफाई कर्मचारियों ने हिस्सा लिया।
-ये उठाई मुख्य मांगें
1. ग्रामीण सफाई कर्मचारियों को रेगुलर कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
2. जब तक रेगुलर कर्मचारी ना हो तब तक न्यूनतम ₹24000 मासिक वेतन तय किया जाए।तुरंत प्रभाव से वर्ष 2013 की तरह शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों के वेतन में मौजूद ₹2000 की गैर बराबरी को खत्म करके समान काम समान वेतन दिया जाए।
3. वेतन बढ़ोतरी को महंगाई के आंकड़ों के अनुसार जोड़ा जाए। प्रत्येक से 6 माह में महंगाई अनुसार वेतन बढ़ोतरी का लाभ दिया जाए वह सभी कर्मचारियों के ईएसआई कार्ड जारी किये जायें।
4. 4 अप्रैल 2021 को मुख्यमंत्री द्वारा की गई सभी घोषणाओं का नोटिफिकेशन तुरंत जारी कर इन्हें अप्रैल 2021 से लागू किया जाए।
5. 13 मई 2021 को विभाग द्वारा जारी सरकारी बेकार लगने वाले पत्थर वापिस लिया जाए तथा उस में जोड़े गए अन्य सरकारी स्कूल में सभी सरकारी भवनों की सफाई आदि के कामों को उनमें से हटाया जाए।
6. ग्रामीण सफाई कर्मचारियों के लिए साल में कम से कम 4 वर्दी, दो जोड़ी जूतों के लिए ₹8000 वार्षिक वर्दी भत्ता तथा ₹500 मासिक महंगाई निर्धारित किया जाए।
7. पंचायतों के रहमों करम पर छोड़ने की बजाय वह डी ब्लॉक कार्यालय से खरीद कर दे। रेहड़ी, कस्सी, तसला व फावड़ा समेत काम किया जाए। मास्क सहित सुरक्षा उपकरणों के लिए ₹500 मासिक या ₹6000 वार्षिक भत्ता कर्मचारियों को उनके बैंक खातों के माध्यम से भुगतान किया जाए।
8. कोरोना अवधि के दौरान कोरोना चपेट में आकर मौत होने पर ₹50 लाख बीमा कवर प्रदान किया जाए। कोरोना कि तीसरी लहर के मध्य नजर पर्याप्त मात्रा में सुरक्षा उपकरण की व्यवस्था की जाए।
9. गांव में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए नए कर्मचारियों की भर्ती की जाए तथा उनसे यह काम करवाया जाए।
10. नगरपालिका की तर्ज पर 2000 की बजाय 400 की आबादी पर एक कर्मचारी की भर्ती की जाए तथा ग्रामीण सफाई कर्मचारियों की मौत होने पर एक्सग्रेशिया नीति के तहत कर्मचारी के परिवार के सदस्यों को भर्ती किया जाए।
12. ग्रामीण सफाई कर्मियों को अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह सरकारी अवकाश व बीमार होने पर वेतन सहित अवकाश प्रदान किया जाए।
13. सफाई कर्मचारियों को बीडीपीओ कार्यालय से सफाई कार्य तो लिखित आदेश पर ही बुलाया जाए, ताकि रास्ते में आने जाने के दौरान किसी दुर्घटना में मौत होने पर मुआवजा राशि से वंचित ना हो तथा आने-जाने का किराया दिया जाए।