Friday, November 22, 2024
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कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के कर्मचारियों द्वारा मानसिक व आर्थिक रूप से प्रताड़ित दुकानदार ने सुनाई व्यथा

by Newz Dex
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*केडीबी के पुराने दुकानदार केशव मैहता ने कहा कि जिस टैक्स की वसूली की जा रही है,उसकी उन्हें कोई सूचना नहीं दी गई थी

*मैने केडीबी को आदेश की कापी दिखाने को कहा है,मगर आदेश दिखाने की बजाए यह कहा जाता है कि मौखिक आदेश हैं

*मैहता ने आरोप लगाया कि 2016 में केडीबी ने उनसे मौखिक आदेश देकर काम कराया था,तब बिल देने पर उन्हें कहा गया लिखित आदेश लाएं

न्यूज डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड पुराने किराएदार केशव मैहता ने कर्मचारियों से दुखी होकर अपनी व्यथा पत्रकारों को सुनी।अप्रैल 2017 में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड से उन्होंने ब्रह्मसरोवर पर दुकान नंबर 51किराये पर ली थी। सरकारी नियम व शर्तों के आधार पर 3 साल के लिए 10 हजार रुपए डिपॉजिट व 3600 रुपए मासिक किराये पर लेने के बाद दुकानदार ने दुकान को अपने काम के लिए इस्तेमाल किया। मार्च 2020 में जब इसे खाली करने का वक्त आया तो विभाग के कर्मचारियों ने बगैर किसी नोटिस या सूचना के डिपॉजिट में से जीएसटी काट लिया गया।

इस मुद्दे को निपटाने के लिए कर्मचारियों ने शिकायतकर्ता को बगैर सूचित किए उसके घर पर जीएसटी काटकर बकाया राशि का चेक भेज दिया गया। जिसे वापिस देने पर विभाग के कर्मचारी ने लेने से मना कर दिया। दुकानदार द्वारा जब विभाग के कर्मचारियों से इसका कारण पूछा तो विभाग के कर्मचारी ने कहा कि जब सभी दुकानदार दे रहे हैं तो तुम्हें क्या आपत्ति है। उसने कहा कि केडीबी प्रशासन जो कर रहा है वह ठीक कर रहा है, जो आपसे होता है, आप कर लो।

भुगतभोगी दुकानदार का कहना है कि शायद कर्मचारियों ने इस मुद्दे के बारे में अपने ऊपर के कर्मचारियों को नहीं बताया है कि मामला क्या है। इसलिए ये कर्मचारी अपनी मनमानी कर रहे हैं। शिकायतकर्ता भुगतभोगी दुकानदार केशव मैहता का कहना है कि मुझे जीएसटी देने में कोई ऐतराज नहीं है, परंतु मुझे वो कागज दिखाए जाएं,क्योंकि केडीबी ने इस बारे मुझे किसी भी माध्यम (मेल, चिट्ठी इत्यादि) से कोई सूचना दी, जिसमें मेरी सहमति के हस्ताक्षर हों।

भुगतभोगी पुराने किराएदार मैहता का कहना है कि इस तरह की जोर जबरदस्ती सभी दुकानदार सह रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि मैं भी इस अन्याय को सहन करूं।विभाग का बार-बार मौखिक रूप से कही हुई बात को प्राथमिकता देना या ये कहना कि हमने तो कहा था… हमने तो कहा था। इस संदर्भ में भुगतभोगी ने कहा कि अगर मौखिक रूप से ही सभी बातें मानी जाएं तो 2016 में मौखिक रूप मुझे दिए हुए केडीबी प्रशासन के आदेश द्वारा किए हुए काम के बदले की राशि भी मुझे दी जाए, जो अभी तक मुझे नहीं दी गई।

इसके बदले में केडीबी बार-बार मुझे लिखित आदेश के कागज मांगते हैं कि आदेश दिखाएं और अपनी पेमेंट ले जाएं। और केडीबी ये बात भूल जाता है कि वे आदेश भी मौखिक थे जैसे जीएसटी के मौखिक हैं।यहां सवाल उठता है कि कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड क्या मौखिक बातों पर कार्रवाई करता है।केडीबी के कर्मचारी का कहना है कि आरोप गलत हैं और केडीबी के सभी दुकानदारों से नियमानुसार किराया ले जा रहे हैं।

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