राज्यपाल व्यक्ति नहीं संस्था, संवैधानिक मूल्यों की रक्षा ही मेरी प्रतिबद्धता – राज्यपाल
राज्यपाल मिश्र ने अपना सम्पूर्ण जीवन मानवता और समाज के लिए लगाया
राज्यपाल कलराज मिश्र सरल, मृदुभाषी और मिलनसार व्यक्तित्व के धनी – मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री संवैधानिक भूमिका का प्रभावी निर्वहन कर रहे राज्यपाल मिश्र -विधानसभा अध्यक्ष
न्यूज डेक्स संवाददाता
जयपुर। राज्यपाल कलराज मिश्र की बायोग्राफी पर आधारित कॉफी टेबल बुक ‘कलराज मिश्र निमित्त मात्र हूँ मैं’ का लोकार्पण गुरुवार को यहां राजभवन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी द्वारा किया गया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने समारोह में सम्बोधित करते हुए कहा कि राज्यपाल कलराज मिश्र ने अपना सम्पूर्ण जीवन मानवता और समाज के कल्याण के लिए लगाया है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल कलराज मिश्र ऎसे विरले राजनेता हैं जो विधानसभा, विधान परिषद, राज्यसभा और लोकसभा चारों सदनों के सदस्य रहे हैं और अब राज्यपाल के पद पर संवैधानिक दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि मिश्र जिस भी दायित्व पर रहे, जनकल्याण सदैव उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता में रहा है। ऎसे विराट व्यक्तित्व की जीवनी निश्चय ही युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी साबित होगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सरल, मृदुभाषी और मिलनसार व्यक्तित्व के धनी राज्यपाल कलराज मिश्र की कार्यशैली सभी से हटकर है। उन्होंने कहा कि लम्बे सार्वजनिक जीवन में उन्हें सभी राजनीतिक दलों के राजनेताओं की ओर से समान रूप से सम्मान मिला है। उन्होंने राज्यपाल मिश्र को जन्मदिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पुस्तक के शीर्षक में ही ‘मैं‘ को सबसे अंत में स्थान दिया गया है, जो मिश्र की सादगी और सोच को दर्शाता है।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने संविधान के अनुच्छेद 153 एवं 159 का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्यपाल मिश्र ने प्रदेश और केन्द्र सरकार के बीच में सेतु तथा संविधान की मूल भावना की रक्षा का कार्य प्रभावी रुप में कर रहे हैं। उन्होंने राज्यपाल के संवैधानिक व्यक्तित्व की विशिष्टताओं की चर्चा करते हुए उनके जीवन को अनुकरणीय बताया। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कॉफी टेबल बुक के लोकार्पण उपरान्त सम्बोधित करते हुए कहा कि संविधान सभा में हुई परिचर्चा में राज्यपाल की भूमिका राज्य सरकार के काउंसलर और संरक्षक तथा केन्द्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय सेतु के रूप में बताई गई है।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल कोई व्यक्ति नहीं बल्कि एक संस्था है और इस संस्था की मर्यादा बनाए रखते हुए संवैधानिक मूल्यों की रक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए, यही उनकी प्रतिबद्धता है। राज्यपाल मिश्र ने कहा कि जब पहली बार मेरे जीवन पर पुस्तक लिखने की बात आई तो मुझे लगा कि मैंने ऎसा क्या किया है जो मेरे जीवन पर पुस्तक लिखी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि वास्तव में वह स्वयं को इतनी प्रशंसा और सराहना का पात्र नहीं मानते हैं क्योकि उन्होंने जीवन में सभी दायित्वों को मैं का भाव रखने के बजाय स्वयं को निमित्त मात्र समझकर ही पूरा करने का प्रयास किया है।
राज्यपाल कलराज मिश्र ने इस अवसर पर कहा कि अब तक के सार्वजनिक जीवन में संगठन, सरकार और संवैधानिक स्तर पर जो भी जिम्मेदारी उन्हें दी गई, उसे उन्होंने पद के रूप में नहीं लेकर दायित्व बोध के रूप में स्वीकार किया है। राज्यपाल मिश्र ने इस अवसर पर अपने जीवन के महत्वपूर्ण संस्मरण भी उपस्थित अतिथियों के साथ साझा किए। डॉ. भीमराव अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय, जयपुर के कुलपति डॉ. देवस्वरूप ने कॉफी टेबल बुक की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि पुस्तक में राज्यपाल मिश्र के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की विशालता, निरंतरता एवं सृजनात्मकता तथा उनके जीवन दर्शन को सारगर्भित रूप में समाहित किया गया है।
राज्यपाल के प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्द राम जायसवाल ने कहा कि पुस्तक में राज्यपाल मिश्र के व्यक्तित्व, सार्वजनिक जीवन, कृतित्व के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है। उन्होंने कहा कि जन सेवा में सम्पूर्ण जीवन लगाने वाले ऎसे विराट व्यक्तित्व के जीवन से आमजन को प्रेरणा मिल सके, इसलिए पुस्तक में राज्यपाल मिश्र के विराट व्यक्तित्व को शब्दों में सहेजने का प्रयास किया गया है। राज्यपाल के सचिव सुबीर कुमार ने अपने सम्बोधन में कार्यक्रम में उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया। पुस्तक का लेखन डॉ. डी. के. टकनेत एवं राज्यपाल के प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्द राम जायसवाल द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल मिश्र के परिजन, प्रदेश के विभिन्न सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण, राजभवन के अधिकारीगण तथा अन्य गणमान्यजन उपस्थित रहे।