घर-घर औषधि योजना की प्रभावी क्रियान्वयन की रणनीति बनाई
जल्द होगी वनरक्षक और वनपाल की भर्ती
प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्रुति शर्मा का झुंझुनूं दौरा
जिले में 16.84 लाख पौधे होंगे वितरित
जीतेंद्र जीतू/न्यूज डेक्स राजस्थान
जयपुर। वन विभाग की प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन-बल प्रमुख) श्रुति शर्मा ने रविवार को झुंझुनूं जिले के विभिन्न वन क्षेत्रों का दौरा किया। ‘घर-घर औषधि’ योजना के प्रभावी क्रियान्वयन की मॉनिटरिंग के लिए आई श्रुति शर्मा ने बगड़ रोड स्थित बीड़ संरक्षित क्षेत्र का भी दौरा किया। यहां उन्होंने उपलब्ध पानी की सुविधा का, वनस्पति, नर्सरी और पौधारोपण कार्य का निरीक्षण किया।
इससे पहले उन्होंने मंडावा में हवेलियों में उगे पीपल के पेड़ों को संरक्षित कर दूसरी जगह लगाने के वनविभाग के कार्य को सराहा। उन्होंने कहा कि पीपल का पेड़ अद्भुत औषधियों गुणों वाला है और मन को शांति प्रदान करने वाला है। वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों का पीपल को बचाने का यह अनूठा प्रयास प्रशंसनीय है। दौरे में जयपुर संभाग के मुख्य वन संरक्षक के.सी. मीणा भी साथ रहे।
सर्किट हाऊस में श्रुति शर्मा ने बताया कि झुंझुनूं के बीड़ संरक्षित क्षेत्र को चूरू के तालछापर कृष्ण मृग अभ्यारण्य की तर्ज पर विकसित करने की कार्ययोजना पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यहां पर्याप्त मात्रा में जल स्त्रोत भी हैं। योजना के मुताबिक ताल छापर से यहां चिंकारा व काले हिरण लाकर बीड़ क्षेत्र मंर छोड़ा जाएगा। डीएफओ आर.के. हुड्डा ने बताया कि बीड़ में कुंभाराम आर्य लिफ्ट नहर योजना से पानी का कनेक्शन भी करवा लिया गया है। ऎसे में पानी की कमी नहीं है। शहर के गंदे पानी को भी उपचारित करके पौधारोपण के कार्य में उपयोग में लिया जा रहा है।
श्रुति शर्मा ने बताया कि बीड़ के विकसित होने पर ईको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। सीकर के स्मृति वन और जयपुर के कुलिश वन के जैसे यहां भी टूरिस्ट स्पष्ट विकसित करने की योजना बना ली गई है। पत्रकारों द्वारा वन संरक्षण के बारे में उठाए गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वनों को अति चराई से बचाना होगा, पानी की उपलब्धता करनी होगी। बीड़ क्षेत्र में तारबंदी होने के बाद हरियाली और पेड़-पौधों की संख्या काफी बढ़ी है। विभाग की कोशिश है कि जिले में जहां भी खाली जगह या वन क्षेत्र उपलब्ध है उसे संरक्षित कर विकसित किया जाए।
उन्होंने कहा कि खेतड़ी में झालाना लैपर्ड सफारी की तरह ‘खेतड़ी लैपर्ड सफारी’शुरु की जा सकती है। बकौल श्रुति शर्मा बीड़ कंजर्वेशन और खेतड़ी में लैपर्ड सफारी बनने से एक प्रकार का एक टूरिज्म सर्किट बनेगा, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। वन उत्पादों से भी लोगों को रोजगार मिलेगा। उन्होंने घर-घर औषधि योजना को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की महत्वकांक्षी योजना बताते हुए कहा कि इससे लोगों की इम्यूनिटी बढ़ेगी। घर-घर औषधि के साथ घर-घर फोरेस्ट फूड के रूप में भी आगे इस योजना का विस्तार किया जा सकता है। फोग, कैर जैसे अनेक वन उत्पाद हैं जो लोग दैनिक जीवन में काम में लेते रहे हैं, इसे बढ़ावा दिया जा रहा है।
वन विभाग की टीम पर होने वाले हमलों के बारे में उन्होंने कहा कि वन विभाग में वनरक्षक व वनपाल की भर्ती जल्द होने वाली है। इससे स्टाफ की कमी दूर होगी और विभाग की कार्यदक्षता बढ़ेगी और वनों की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी। वहीं बीड़ क्षेत्र में गंदे पानी से पेड़ों के सूखने के सवाल पर उन्होंने स्पष्ट करते हुए बताया कि विभाग द्वारा वाटर लॉगिंग करने वाले पेड़ों की प्रजातियां बीड़ क्षेत्र में लगाई जा रही है। इसके अलावा पानी को साफ करने के प्लांट भी कार्य कर रहे हैं। हुड्डा ने बताया कि बीड़ क्षेत्र में 20 तलाई, 4 गजलर, 25 वाटरहॉल, 6 टांके भी बनाए गए हैं, जिससे वन्यजीवों को पेयजल उपलब्ध हो रहा है और वनस्पति भी पनप रही है।
डीएफओ आर.के. हुड्डा ने बताया कि घर-घर औषधि योजना के तहत 3.82 लाख परिवारों को तुलसी, गिलोय, कालमेघ, अश्वगंधा आदि के 16.84 लाख पौधे वितरित किए जाएंगे। इनके पौधे तैयार कर लिए गए हैं। तुलसी के पौधे की नर्सरी का श्रुति शर्मा और जयपुर संभाग के मुख्य वन संरक्षक के.सी. मीणा ने निरीक्षण करने के बाद संतोष जाहिर किया।