सड़क का निर्माण कार्य 30 जून तक पूरा करने की दी गई थी चेतावनी
सड़क मामले को सर्वोच्च न्यायालय में ले जाने से पूर्व एडवोकेट ईशधन ने की दो टूक बात
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। प्रसिद्ध सामाजिक संगठन वॉयस ऑफ़ इण्डिया के अध्यक्ष एवं सुप्रीम कोर्ट के वकील धनेश ईशधन ने कहाकि उनके द्वारा गत 13 अप्रेल को सरकार को कुरुक्षेत्र की पीपली थर्ड गेट सड़क को 30 जून तक मानक मापदंड के अंतर्गत पूरा करने का अल्टीमेटम दिए जाने के बाद सड़क के निर्माण कार्य में तेजी आई थी, परन्तु बाद में फिर से निर्माण कार्य की रफ्तार में ब्रेक लग गई। ईशधन ने बताया कि इस सड़क मामले के संज्ञान में आते ही उन्होंने मुख्य मंत्री हरियाणा एवं प्रधानमंत्री को सशक्त रूप में लिखते हुए आगाह किया था कि यदि यही मामला सरकार की विफलता और लापरवाही के कारण सर्वोच्च न्यायालय में ले जाना पड़ा तो सुशासन एवं विकास के नाम पर एक न मिटने वाला काला धब्बा साबित होगा।
इससे देश में ही नहीं विदेश में भी ऐसे अनूठे विकास एवं सुखद शासन की बदनामी होगी। एडवोकेट ने बताया कि इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि वर्षों से लंबित यह 8 किलोमीटर लम्बी नगर की प्रमुख सड़क जल्दी तथा मानक मापदंडों के अनुसार तैयार हो ताकि कुरुक्षेत्र जैसी धर्मनगरी एवं पर्यटन नगरी का सम्मान राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बना रहे। उन्होंने कहाकि वे नहीं चाहते कि सरकार एवं प्रशासन की लापरवाही की वजह से नगरवासी एवं देश विदेश से आने वाले लोग सड़क की हालत को देखकर व्यवस्था को कोसें तथा लोगों की मानसिक शांति भी बरकरार न रहे।
वकील धनेश ईशधन ने बताया कि इसी स्थिति को देखते हुए उन्होंने आर.एस.एस. राज्य प्रभारी विजय कुमार के समक्ष बहुत ही सशक्त एवं रोषपूर्ण तरीके से सड़क विषय को रखा। उन्होंने कहाकि यह कैसा सुशासन एवं विकास जनता को दे रहे हैं। वकील ईशधन ने कहाकि उनके कुछ दिन इंतजार के बाद भी राज्य सरकार मजबूर करती है तो राज्य की ढीठ और लापरवाह ब्यूरोक्रेसी की वजह से तब उनके पास सड़क मामले को न्यायालय में घसीटने और देश के समक्ष इस सुशासन के उदाहरण को उजागर करने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं होगा।
वकील धनेश ईशधन ने बताया कि आर.एस.एस. प्रभारी विजय कुमार ने उन्हें बताया है कि इस मामले को मुख्यमंत्री मनोहर लाल के समक्ष तथ्यों के साथ रख दिया गया है। अब देखना होगा कि सड़क कार्य कितने दिन में पूरा होता है अन्यथा न्यायालय का ही रास्ता होगा। उल्लेखनीय है कि एडवोकेट ईशधन ने नगरवासियों तथा बाहर से आने वाले लाखों लोगों को परेशानी, मानसिक तनाव, चिड़चिड़ेपन और सांस की बीमारियों के साथ कोरोना को आमंत्रण देने वाली समस्या के स्थाई समाधान के लिए राज्य सरकार को 30 जून तक का अल्टीमेटम दिया था।
धनेश ईशधन ने यह अल्टीमेटम प्रशासनिक लापरवाही तथा स्थानीय जन प्रतिनिधियों की गैर जिम्मेवारी को उजागर करते हुए दिया था। उन्होंने कहाकि इस सड़क पर यात्रा करते समय लोगों को मानसिक एवं शारीरिक यातना, सांस में रेत, मिट्टी व धूल कणों के गुबार थोपे जा रहे हैं। उन्होंने इस विषय पर राज्य सरकार के समक्ष ट्विटर के माध्यम से भी बात रखी थी और अल्टीमेटम दिया था। धनेश ईशधन ने सड़क पर खर्च होने वाले 55 करोड़ रुपए की एक पारदर्शी एवं विश्वसनीय जांच की मांग की थी।