न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। कोरोना की दूसरी लहर धीमी पड़ी है। वैज्ञानिक तीसरी लहर में बच्चों के ऊपर इसके प्रभावी होने की आशंका जता रहे हैं। ऐसे में आयुष विश्वविद्यालय में बच्चों को पिलाया जा रहा आयुर्वेदिक स्वर्ण प्राशन रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर कोरोना से बचाव में सहायक सिद्ध हो सकता है। श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल में रोजाना बच्चों को स्वर्ण प्राशन की एक बुंद पिलाई जाती है। अस्पताल के बाल रोग विभाग द्वारा रजिस्टर्ड फोन नंबर पर कॉल और मैसेज के माध्यम से लॉकडाऊन और कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए बच्चों को डोज दी जा रही है।
आयुर्वेदिक स्वर्ण प्राशन जन्म से 16 साल के बच्चों को चटाया जाता है। जो शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि करता है। कोरोना महामारी में लॉकडाऊन से पहले अस्पताल में स्वर्ण प्राशन लगभग 12 हजार बच्चों को पिलाया गया। लेकिन लॉकडाऊन और कोरोना महामारी के चलते इसकी गति धीमी पड़ी। अब रोजना बच्चों को रजिस्टर्ड नंबर पर फोन कॉल और मैसेज के द्वारा अभिभावकों को सूचित कर स्वर्ण प्राशन की एक बूंद दी जाती है।
ऐसे तैयार किया गया है स्वर्ण प्राशन
स्वर्ण प्राशन का जिक्र आयुर्वेद में आता है। जो बच्चों की मेघा, अग्नि और बल को बढ़ाने में कारगर है। प्रोफेसर डॉ अमित कटारिया ने बताया कि स्वर्ण प्राशन स्वर्ण भस्म, शंख पुष्पी और बह्म घृत को शहद में मिलाकर बनाया गया है। जिसका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। पुष्कर नक्षत्र में बच्चों को चटाने से इसका अधिक लाभ मिलता है। स्वर्ण प्राशन से बच्चों की बुद्धी तेज होती है। ऐसा शास्त्रों में कहा गया है।
श्रीकृष्णा आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रोफेसर डॉ.शंभु दयाल शर्मा ने बताया कि स्वर्ण प्राशन बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता के साथ-साथ बच्चों की मेघा को भी बढ़ाता है। अस्पताल में रोजाना 30 बच्चों को स्वर्ण प्राशन लॉकडाऊन के नियमों का पालन करते हुए पिलाया जाता है। विभाग की योजना बच्चों की संख्या को और बढ़ाने की रहेगी।
शारीरिक विकास में प्रभावी स्वर्ण प्राशन- डॉ बलदेव धीमान
आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ बलदेव धीमान ने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के ऊपर इसके प्रभावी होने की आशंका वैज्ञानिकों द्वारा जताई गई है। स्वर्ण प्राशन बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में प्रभावी सिद्ध हो सकता है। स्वर्ण प्राशन जन्म से 16 साल के बच्चों को पिलाया जाता है। जो शारीरिक सम्यक विकास और पाचन तंत्र को सही रखने में भी कारगर है। आयुर्वेद में भी स्वर्ण प्राशन का वर्णन आता है।