न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। आधुनिक जीवनशैली कई बड़े रोगों का कारण बनी है। देश की 20 फीसदी आबादी स्पाइन की किसी न किसी व्याधि से ग्रस्त है। अनुमानित 12 से 13 लाख भारतीय स्पाइन कैनाल स्टेनोसिस की समस्या से जुझ रहे है। हर प्रकार के इलाज के बाद भी स्पाइन डिसऑर्डर से मरीज को छुटकारा नहीं मिलता, लेकिन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति ऐसे रोगों में कारगर सिद्ध हो रही है। आयुष वीवी स्थित श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय व अस्पताल में स्पाइन कैनाल स्टेनोसिस जैसी रीढ़ की गंभीर बीमारी को बिना किसी सर्जरी ठीक किया गया है। सोमवार और वीरवार को स्पाइन डिसऑर्डर के मरीजों को विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा देखा जाता है।
रीढ़ की हड्डी व्यक्ति का आधार स्तंभ है। हड्डी में जरा सा विकार जीवनशैली को बिगाड़ देता है। अस्पताल के पंचकर्मा विशेषज्ञ डॉ. राजा सिंगला ने बताया रीढ़ की हड्डी में विकार अनुवांशिक, अधिक वजन उठाने, अधिक मात्रा में स्टेरॉयड, स्पाइनल ट्रामा से हो सकता है। इस रोग में व्यक्ति उठने-बैठने और चलने में असमर्थ हो जाता है,लेकिन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में ऐसी गंभीर बीमारी का इलाज संभव हुआ है।
डॉ. राजा सिंगला ने बताया कि नरवाना वासी नवनीत, उम्र 18 साल, जो स्पाइन कैनाल स्टेनोसिस की बीमारी से ग्रस्त था। नवनीत का स्पाइन डायमीटर एल-4 और एल-5 से 4.9 एमएम तक रिडयूस हो गया। तीन महीने पहले उसका इलाज शुरू हुआ। पंचकर्मा, औषधीय कल्प और आयुर्वेदिक द्रव्यों से साधित औषधी लेने से आज नवनती बिल्कुल ठीक है।
नरवाना वासी नवनीत ने बताया कि अधिक वजन उठाने से मुझे डिस्क में दर्द रहने लगा। उठने- बैठने और खड़े होने, यहां तक की झूकने में भी परेशानी होती थी। पैरों में भी झनझनाहट और जलन होने लगी थी। चंडीगढ़ और आस-पास के कई डॉक्टरों से इलाज चला, लेकिन कहीं से आराम नहीं मिला। कुछ डॉक्टरों ने सर्जरी तक करने के लिए बोल दिया। तब किसी से श्रीकृष्णा आयुर्वेदिक अस्पाल में इलाज की जानकारी मिली। डॉ राजा सिंगला को दिखाया और यहां से इलाज चला। कोरोना महामारी में बार-बार आना भी संभव नहीं था इसलिए डॉ. सिंगला द्वारा पत्र पोट्टली स्वेदन का कमर पर सेक और कोटम चुकादी तेल लगाने का परामर्श दिया। अब मैं पहले जैसे चल-फिर रहा हूं। इलाज अभी जारी है।