पिछली बार के मुकाबले डेढ़ गुणा बढ़ाया मनरेगा का बजट – दुष्यंत चौटाला
2 साल में तीन गुणा हुआ मनरेगा का बजट, 2019-20 में 370 करोड़, 2020-21 में 802 करोड़ और इस बार 1200 करोड़ रुपये होंगे खर्च – दुष्यंत चौटाला
मनरेगा से किसानों को पहुंचाया जाएगा फायदा, संभावनाएं तलाशें अधिकारी – उपमुख्यमंत्री
न्यूज डेक्स हरियाणा
चंडीगढ़। हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने अधिकारियों को निर्देश दिए है कि वे मनरेगा के तहत किए जाने वाले कार्यों में ऐसी संभावनाओं को तलाशें जिनसे मजदूरों के साथ-साथ किसानों को भी लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि राज्य में पारंपरिक फसलों की बजाए अन्य नकदी फसलें लगाने के लिए किसानों को प्रेरित करें। दुष्यंत चौटाला ने कृषि एवं बागवानी के क्षेत्र में दूसरे राज्यों के ‘सफल-किसानों’ की तकनीक का अध्ययन करने के भी निर्देश दिए ताकि उनका प्रयोग करके प्रदेश के किसान और अधिक समृद्ध एवं खुशहाल हो सके। डिप्टी सीएम, जिनके पास ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग का प्रभार भी है, ने वीरवार को विभागीय अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता की और मनरेगा के तहत किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की।
बैठक के बाद दुष्यंत चौटाला ने जानकारी दी कि राज्य सरकार मनरेगा के तहत अधिक से अधिक काम करवा रही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में वर्ष 2019-20 के दौरान जहां मनरेगा योजना में 370 करोड़ रूपए के कार्य करवाए गए वहीं वर्ष 2020-21 के दौरान पिछले वर्ष से दो गुणा से भी अधिक 802 करोड़ रूपए खर्च किए गए। उन्होंने बताया कि इस बार ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा के तहत और अधिक कार्य करवाने के लिए अधिकारियों को कृषि, बागवानी, वन, सिंचाई, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी, लोक निर्माण विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, युवा एवं खेल मामले विभाग समेत अन्य विभागों में योजनाबद्ध ढंग से काम करने के निर्देश देते हुए 1200 करोड़ रूपए खर्च करने का लक्ष्य रखा है।
दुष्यंत चौटाला ने इस अवसर पर कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में किसानों के पास कृषि-जोत कम होती जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में करीब 80 प्रतिशत ऐसे किसान हैं जिनके पास पांच एकड़ से भी कम कृषि भूमि है। डिप्टी सीएम ने कहा कि अधिकतर किसान पारंपरिक फसलों की बिजाई करते आ रहे हैं, जबकि नकदी फसलों से किसान अधिक आय प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य इन छोटे किसानों को फसल विविधिकरण के लिए प्रेरित करते हुए उनका रूझान फल व सब्जियों के अलावा अन्य नकदी फसलों की तरफ करना है ताकि उनकी आमदनी बढ़ सके।