महामहिम राज्यपाल के नाम रेवाड़ी के डीसी को श्रीभगवान फौगाट ने सौंपा ज्ञापन
न्यूज डेक्स संवाददाता
रेवाड़ी,25 जून। आजादी की जंग में देश के अनगिनत वीर सपूतों ने हिस्सा,मगर इनमें से कुछ ही के परिवारों को स्वतंत्रता सेनानी परिवार होने का गौरव हासिल हुआ। हमें आजादी मिले सात दशक से ज्यादा समय बीत चुका है,मगर आज भी कई शहीद और स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के सदस्य इस सम्मान की आस में दर दर भटक रहे हैं,इन्हीं में से एक सौभाग्यशाली परिवार के सदस्य हैं श्रीभगवान फौगाट।
रेवाड़ी वासी श्रीभगवान फौगाट के पिता भी आजादी की जंग में कूदे थे। फौगाट के मुताबिक उनके पिता रामसिंह भी साल 2012 तक गुमनाम स्वतत्रता सेनानी रहे,मगर लंबे संघर्ष के बाद उनकी माता चमेली देवी को वीरांगणा का सम्मान और स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी होने का गौरव 2012 में हासिल हुआ था।
श्री फौगाट का कहना है कि यह संघर्ष उन्होंने सिर्फ अपने परिवार को सम्मान दिलाने के लिये ही नहीं किया,बल्कि उसके बाद से वह लगातार प्रयास कर रहे हैं कि जो भी उनके जैसे परिवार हैं और आजादी की जंग के गुमनाम सिपाही हैं,जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना को छोड़कर नेता जी सुभाष चंद्र बोस का साथ दिया था,उन गुमनाम सैनिकों को स्वतंत्रता सेनानी का सम्मान मिले। इस मिशन में उन्हें काफी सफलता भी हासिल हुई। अब वह उन गुमनाम स्वतत्रंता सेनानियों के परिवारों को सम्मान दिलाने के लिये उनका रिकार्ड तलाश कर रहे हैं। ताकि उनके परिवार की तरह उन जैसे अन्य स्वतंत्रता सेनानी परिवारों को भी पूरा सम्मान मिले।
उन्होंने कहा कि हमारे स्वतंत्रता सेनानी भारत के गौरव हैं,अगर इनके परिवारों को सरकार सम्मान देती है तो वह इन परिवारों का अधिकार है,क्योंकि इस देश में अगर आज हम आजादी की खुली सांस ले रहे हैं तो इसमें सबसे बड़ा योगदान हमारे देश के उन स्वतंत्रता सेनानियों का है,जिन्होंने न जाने की कितनी यात्नाएं सह कर विभिन्न मोर्चों पर अंग्रेजी हुकूमत से टक्कर ली।
उन्होंने कहा कि हमारे देश के उन वीर जवानों का भारत के प्रति राष्ट्रप्रेम का वो जज्बा ही था कि उन्होंने ब्रिटिश आर्मी में होने के बावजूद नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज को तन मन धन से सहयोग किया था और आईएनए में शामिल हो गये थे। उन्होंने कहा कि अनेक सैनिक वे भी थे जिन्होंने कोहिमा इंफाल में जंग के दौरान भारतीय ब्रिटिश सैनिक ने हल्ला बोलते हुए के टैंक हथियार नेता जी की सेना के सामने छोड़ कर नेताजी सुभाष चंद्र बोस का साथ दिया था।
फौगाट ने आज रेवाड़ी के डीसी को ज्ञापन देने के बाद यह जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा प्रदेश के गुमनाम आजाद हिंद फौज के सिपाहियों व शहीद सिपाहियों की वास्तविक गौरव गाथा गांवों के गौरव पट्टों तथा जिलों के स्मारकों पर अंकित कराने की मांग उन्होंने प्रदेश के महामहिम राज्यपाल से की है। महामहिम के नाम एक ज्ञापन डीसी को भेजा सौंपा गया है।
फौगाट ने बताया कि द्वितीय विश्वयुद्द में रहते पाये गये अंग्रेजी सेना के प्रदेश के सिपाहियों व शहीद सिपाहियों की गौरव गाथा गांव के गौरव पट्टों,जिले के स्मारकों पर अंकित किया गया है,जबकि वास्तव में यह आजाद हिंद फौज के सैनिक हैं,जिन्होंने ब्रिटिश सेना को छोड़ नेताजी का साथ दिया था।
फौगाट ने बताया कि वर्षों से इनका रिकार्ड आजाद हिंद फौज,नामिनल रोल राष्ट्रीय अभिलेखागार कार्यालय से ढूंढ कर राज्य जिला कार्यालयों पुनःपहुंचाया जाता रहा है और इन समाचार मीडिया द्वारा दिखाया जाता रहा है,लेकिन इसके बाद भी गौरव गाथा की वास्तविकता को इन स्मारकों, गौरव पट्टों पर नहीं दर्शाया गया है। अतः माननीय महामहिम राज्यपाल महोदय ज्ञापन पहुंचाये ताकि यह मांग पूरी होने के दिशा निर्देश जारी हो पाये।
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फोगाट जी हमें आप पर गर्व है।