न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। कॉस्मिक एस्ट्रो के डायरेक्टर व श्री दुर्गा देवी मन्दिर पिपली,कुरूक्षेत्र के अध्यक्ष डॉ.सुरेश मिश्रा ने बताया कि आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। यह उत्सव सदगुरु के प्रति सम्मान और कृतज्ञता को दर्शाता है। यह पर्व शुक्रवार 23 जुलाई 2021 को प्रात:काल 10:43 बजे से आरंभ होकर शनिवार 24 जुलाई 2021 की सुबह 08:07 बजे तक मनाया जाएगा।
भारतीय संस्कृति सद्गुरु को गोविंद से भी ऊँचा मानती है, इसलिए गुरुओं को समर्पित इस पावन पर्व की महत्ता गुरु पूर्णिमा नाम से ही समझी जा सकती है। सनातन परंपरा में सदगुरु को ईश्वर से भी ऊंचा स्थान दिया गया है। संतों ने सदगुरू को परमात्मा से भी बड़ा बताया है। परमात्मा का ज्ञान सदगुरू ही अनुभव करवा सकता है। अज्ञानी मनुष्य झूठे अहंकार में ही रहता है। जब परमात्मा की कृपा होती है तो जीवन में सदगुरू मिलता है और जब सदगुरू की कृपा होती है तो आत्म ज्ञान और परमात्म ज्ञान अनुभव होता है। महर्षि वेद व्यास जी को प्रथम गुरु की उपाधि प्राप्त है। उन्होंने मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान देकर कृतार्थ किया था। सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा पर तीर्थ स्नान ,गंगा स्नान तथा दान को पुण्य का कार्य माना गया है। इसी दिन अपने अपने गुरु की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
गुरु पूर्णिमा के लाभकारी उपाय :
पीपल के वृक्ष की जड़ों में मीठा जल डालने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर अपने साधक पर पूरी कृपा बरसाती है
गुरु पूर्णिमा की शाम को पति-पत्नी यदि साथ मिलकर चंद्रमा का दर्शन और उन्हें गाय के दूध का अर्घ्य देते हैं तो उनके दांपत्य जीवन में मधुरता आती है
गुरु पूर्णिमा की शाम को तुलसी जी के सामने शुद्ध देशी घी का दीपक जलाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है
गुरु पूर्णिमा की रात्रि को चंद्र दर्शन करने के बाद दूध, गंगाजल और अक्षत मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देने से चंद्र दोष दूर होता है
अर्घ्य देने के बाद चंद्रदेव के मंत्र ‘ॐ सों सोमाय नमः’ का जप करना न भूलें I सभी उपाय में भगवान में श्रद्धा और गुरु में विश्वास अति आवश्यक है I