·सदन में दबाई जाएगी विपक्ष की आवाज़ तो सड़कों पर लड़ेंगे आमजन की लड़ाई- हुड्डा
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र,27 अगस्त। विधानसभा सत्र के बाद भी पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष अपने मुद्दों पर अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि सरकार किसान, मजदूर, कर्मचारी, कारोबारी और बेरोजगारी के मुद्दों से भाग नहीं सकती। उसे विपक्ष और जनता के सवालों का जवाब देना ही होगा। जिस तरह से 6 साल में एक के बाद एक घोटाले हुए और कोरोना काल में भी मिलीभगत करके करोड़ों रुपए के वारे-न्यारे किए गए, उन सभी की उच्च स्तरीय जांच ज़रूरी है। अगर सरकार सदन में विपक्ष की आवाज़ दबाने की कोशिश करेगी तो वह इस लड़ाई को सड़कों पर लड़ेंगे। वीरवार को हुड्डा कुरुक्षेत्र के पिपली स्थित पीडब्ल्यूडी विश्राम गृह में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इस मौके पर उनके साथ पूरे मंत्री अशोक अरोड़ा, लाडवा विधायक मेवा सिंह, पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा, पूर्व वित्त मंत्री हरमोहिंद्र सिंह चट्ठा व अन्य कांग्रेसी नेता उपस्थित रहे।
यहां हुड्डा ने कहा कि इस बार का विधानसभा सत्र औपचारिकता मात्र साबित हुआ क्योंकि सरकार ने दलील दी कि मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री व स्पीकर समेत 8-9 सदस्य और विधानसभा का स्टाफ़ संक्रमित है, इसलिए सत्र एक दिन का ही हो सकता है। कांग्रेस ने बिज़नेस एडवाइज़री कमेटी में मांग रखी थी कि अगर सरकार औपचारिकता पूरी करना चाहती है तो सिर्फ बहुत ज़रूरी विधायी कार्यों को ही निपटाया जाए। बाकि बिलों, विपक्ष के ध्यानाकर्षण प्रस्तावों, स्थगन प्रस्तावों और प्राइवेट मेंबर बिल पर मुख्यमंत्री की मौजूदगी में चर्चा की जाए। कांग्रेस ने सदन में 3 नए कृषि अध्यादेशों, घोटालों, पीटीआई की बर्खास्तदी, कर्मचारियों की छंटनी, बेरोज़गारी और अपराध पर चर्चा करने के लिए ध्यानाकर्षण और स्थगन प्रस्ताव दिए थे। लेकिन सरकार ने फिलहाल सभी पर चर्चा से इंकार कर दिया।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जनकल्याण की नीतियां बनाने की बजाय इस सरकार का सारा ध्यान घोटाले और कर्मचारियों की छंटनी करने पर है। इसीलिए बार-बार अपील करने के बावजूद सरकार ने बर्खास्त 1983 पीटीआई का दर्द नहीं समझा और भर्ती के लिए परीक्षा करवाई। लेकिन बाकी परीक्षाओं की तरह इस सरकार की पीटीआई परीक्षा का पेपर भी लीक हुआ। मीडिया ने ख़ुलासा किया था कि पेपर लीक के पीछे पूरा रैकेट काम कर रहा था, लेकिन सरकार इसको दबाने में लगी है। आशंका है कि सिर्फ हिसार में ही नहीं, बाकी जगहों पर भी पेपर लीक हुआ होगा।
क्योंकि अगर सिर्फ एक जगह पेपर लीक होता है तो उसे चंद सैकेंड में दुनिया के किसी भी हिस्से में पहुंचाया जा सकता है। पीटीआई ही नहीं, इस सरकार ने तो ख़ुद के भर्ती किए खेल कोटे के 1518 ग्रुप-डी कर्मचारियों को भी नौकरी से हटाने की तैयारी कर रखी है। इसके अलावा अलग-अलग महकमों में रोज़ कर्मचारियों की छटनी की जा रही है। ऊपर से क्लर्क भर्ती का फाइनल रिजल्ट घोषित नहीं किया जा रहा। TGT इंग्लिश और PGT संस्कृति को ज्वाइनिंग नहीं दी जा रही। 6 साल में एक भी जेबीटी भर्ती नहीं निकाली गई। जबकि हमारी सरकार में 20,000 से ज्यादा जेबीटी भर्तियां निकाली गई थी। लेकिन इस सरकार में 1 लाख एचटेट पास युवा भर्ती का इंतजार कर रहे हैं और सरकार भर्तियां निकालने की बजाए छंटनी करने में व्यस्त है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार की कन्फ्यूज़ कोरोना नीति की वजह से आज महामारी विकराल हो चुकी है। हरियाणा विधानसभा सत्र से पहले जब सभी सदस्यों का कोरोना टेस्ट करवाया गया तो मुख्यमंत्री और स्पीकर समेत 8 सदस्य कोरोना संक्रमित मिले। ये आंकड़ा 90 सदस्यीय (फिलहाल 89) सदन का 9% है। माननीय सदस्य इस महामारी के प्रति जानकार व जागरूक नागरिक हैं। जब इनमें संक्रमित सदस्यों की संख्या 9% है तो आम जनता का क्या हाल होगा, इसका अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है। प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति कैसी है।
हुड्डा ने मुख्यमंत्री के जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हुए कहा कि संक्रमण के इस दौर में सरकार द्वारा JEE-NEET की परीक्षा करवाने का फ़ैसला हैरान व परेशान करता है। सरकार को समझना चाहिए कि देश के अलग-अलग इलाकों में हालात ख़राब हैं। कहीं कोरोना ज़ोन है, कहीं लॉकडाउन तो कहीं बाढ़ का पानी। ज़्यादातर राज्यों में परिवहन सेवाएं बंद हैं। ऐसे में 25 लाख छात्र-छात्राएं और उनके परिवार सैंकड़ों किलोमीटर दूर परीक्षा कैसे दे पाएंगे? आख़िर सरकार लाखों लोगों के स्वास्थ्य को जोखिम मे क्यों डाल रही है? सरकार के इस तानाशाही और असंवेदनशील रवैये के ख़िलाफ़ कांग्रेस शुक्रवार को देशभर में प्रदर्शन करेगी।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बरोदा उपचुनाव की रणनीति पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि बरोदा में लोग सरकार को सबक सिखाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। बीजेपी की जनता विरोधी नीतिया औंर किसान विरोधी बयान ख़ुद ही उसकी लुटिया डुबो देंगे। हुड्डा ने कृषि मंत्री के उस बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया जिसमें वो जलभराव की समस्या को हल करने की बजाए किसान को मछली पालने की सलाह दे रहे थे। इससे पहले मुख्यमंत्री भी एक बार कह चुके हैं कि अगर किसान की धान नहीं बिक रही है तो वो चावल बनाकर बेचें। अगर किसान के चावल नहीं बिकेंगे तो हो सकता है कि कल को कोई सत्ताधारी नेता कहे कि खीर बनाकर बेचो। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार के ऐसे बेतुके बयानों से किसानों में रोष है।
उन्होंने किसान को देशद्रोही बताने वाले बीजेपी के बयान पर भी कड़ी आपत्ति जताई। हुड्डा ने कहा कि किसान की फसल को उचित रेट पर ख़रीदने की बजाए सरकार उन्हें बरगलाने में लगी है। 6 साल अनदेखी के बाद अब सरकार जनता को प्रलोभन देने में लगी है। लेकिन बरोदा की स्वाभिमानी जनता 6 साल के तिरस्कार का बदला इस उपचुनाव में ज़रूर लेगी। बरोदा किसान और जवान की धरती है। और किसान के बारे में तो अब सरकार ख़ुद मान रही है कि उसने जानबूझकर धान का रेट नहीं बढ़ाया। सच तो ये है कि इस सरकार ने 6 साल में किसी भी फसल के रेट में उचित बढ़ोत्तरी नहीं की।
पिछले 6 साल में के कांग्रेस सरकार के मुक़ाबले MSP की बढ़ोत्तरी ना के बराबर है। हमारी सरकार के दौरान धान के रेट में हर साल औसतरन 14-15 प्रतिशत बढ़ोत्तरी करते हुए 800 रुपये बढ़ाए। इसके अलावा खाड़ी देशों में एक्सपोर्ट की वजह से उस दौरान किसानों को MSP से कहीं ज़्यादा 4000 से 6000 रुपये तक धान का रेट मिला। दूसरी तरफ मौजूदा सरकार में MSP बढ़ोत्तरी दर घटकर सिर्फ 6 प्रतिशत सालाना रह गई। ज्यादातर किसानों को तो वो भी नहीं मिलता। गेहूं के रेट में हमारी सरकार के दौरान कुल 127 प्रतिशत यानी हर साल औसतन 13 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई। लेकिन मौजूदा सरकार में ये बढ़ोत्तरी घटकर सिर्फ 5 प्रतिशत रह गई। गन्ने के रेट को भी हमारी सरकार के दौरान करीब 3 गुणा बढ़ोत्तरी करते हुए 117 से 310 रुपये तक पहुंचाया गया। लेकिन इस सरकार ने 6 साल में महज़ 20 से 30 रुपये की बढ़ोत्तरी की। उसकी भी बरसों से पेमेंट रुकी हुई है।
नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि कांग्रेस सरकार से अपने वादे के मुताबिक किसान को स्वामीनाथन आयोग के सी2 फार्मूले के तहत MSP देने की मांग करती है। सरकार की तरफ से लाए गए 3 नए अध्यादेशों में MSP और दाना-दाना ख़रीदने का प्रावधान किया जाए। जो भी प्राइवेट एजेंसी MSP से कम में किसान की फसल ख़रीदे उसके लिए सज़ा का प्रावधान भी जोड़ा जाए। नहीं तो किसान किसान और कांग्रेस इन 3 अध्यादेशों का विरोध जारी रखेंगे।