ग्रामीणों को मनाने एसडीएम, एएसपी व तहसीलदार पहुंचे
परिजनों ने डाक्टर व स्टाफ के खिलाफ शिकायत देकर गिरफ्तारी की मांग की
न्यूज डेक्स संवाददाता
सफीदों। उपमंडल सफीदों एवं जिला जींद के सबसे बड़े गांव मुआना के उप स्वास्थ्य केंद्र में डिलीवरी के लिए आई गर्भवती महिला को ड्यूटी पर डाक्टर व स्टाफ ना मिलने पर 3 घंटे जिंदगी और मौत से जुझते हुए अस्पताल के बैंच पर ही बच्चे को जन्म देने और नवजात बच्चे की मौत का मामला गहरा गया है। सोमवार को गांव के उप स्वास्थ्य केंद्र में परिजन व काफी तादाद में ग्रामीण पहुंचे और अस्पताल के मुख्य गेट पर ताला जड़ दिया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। मामले की सूचना सफीदों प्रशासन को दी गई। गांव में पुलिस पहुंची और ग्रामीणों को मनाने का प्रयास किया लेकिन ग्रामीण नहीं माने।
उसके बाद एसडीएम डा. आनंद कुमार शर्मा, डीएसपी नीतिश कुमार, नायब तहसीलदार रामपाल शर्मा व सिटी एसएचओ रामकुमार मौके पर पहंचे। काफी कशमकश के बावजूद अधिकारी ग्रामीणों को मना पाने में कामयाब नहीं हुए और बैरंग लौट आए। ग्रामीणों ने अधिकारियों को साफतौर पर कहा कि जब तक आरोपी डाक्टर व स्टाफ के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करके उन्हे गिरफ्तार नहीं कर लिया जाता तब तक वे अस्पताल का ताला नहीं खोलेंगे। वहीं तालाबंदी के दौरान आरपीआई कार्यकत्र्ता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुनील गहलावत के नेतृत्व में मौके पर पहुंच गए और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए पूतला फूंका। उधर परिजनों ने अस्पताल के डाक्टर व स्टाफ के खिलाफ सफीदों थाने में शिकायत भी दी है।
परिवार के लोगों का आरोप था कि उप स्वास्थ्य केंद्र मुआना के डाक्टरों व स्वास्य कर्मचारियों की लापरवाही के कारण उनके नवजात बच्चे की जान गई है और बच्चे की मां जिंदगी और मौत से जूझ रही है। अगर मौके पर डाक्टर व स्टाफ होता तो उनके बच्चे की जान बच सकती थी। वहीं ग्रामीणों का कहना था कि गांव मुआना जिला जींद का सबसे बड़ा गांव जरूर है लेकिन इस गांव में कोई सुविधा नहीं है। गांव में उप स्वास्थ्य केंद्र नाम का है ना तो वहां पर डाक्टर आते है और ना ही स्वास्थ्य कर्मी। उन्होंने सरकार से मांग की कि घटना के सीधे तौर पर जिम्मेवार डाक्टर व स्टाफ के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करके उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
वहीं आरपीआई के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुनील गहलावत ने कहा कि प्रदेश की मनोहर लाल खट्टर सरकार हर गांव में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की बात करती है लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं है। मुआना गांव का यह उप स्वास्थ्य केंद्र केवल रैफरल केंद्र बना हुआ है। यहां पर लोगों के लिए कोई सुविधाएं नहीं है और लोग स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में दम तोडऩे को मजबूर हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि मुआना गांव में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाया जाए, बढिय़ा डाक्टरों व स्टाफ की नियुक्ति की जाए।
इसके साथ ही इस घटनाक्रम के पीछे दोषी है उसे खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाए। सफीदों के एसडीएम आईएएस डा. आनंद कुमार शर्मा, डीएसपी आईपीएस नीतिश कुमार, नायब तहसीलदार रामपाल शर्मा व सिटी एसएचओ रामकुमार मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने परिजनों को काफी समझाया-बुझाया लेकिन परिजन नहीं माने। परिजनों ने साफ किया कि अधिकारी उन्हे आरोपी डाक्टर व स्टाफ के खिलाफ दर्ज एफआईआर की काफी दिखा दें वे तम्त्काल तालाबंदी खोल देंगे। उसके बाद अधिकारी वापिस लौट गए तथा अस्पताल की तालाबंदी जारी थी।
उधर मृत बच्चे को पोस्टमार्टम के लिए सफीदों के नागरिक अस्पताल से पीजीआई रोहतक भेजा गया। पीजीआई रोहतक में पोस्टमार्टम ना होने की स्थिति में बच्चे को अब पीजीआई खानपुर भेजा गया है। वहीं बच्चे की मां कृष्णा को नागरिक अस्पताल सफीदों से छुट्टी देकर घर पर भेज दिया गया
है।
क्या था मामला
गौरतलब है कि रविवार दोपहर करीब एक बजे मुआना गांव निवासी कुलदीप की पत्नी कृष्णा को प्रसव की तकलीफ हुई। आनन-फानन में तेज प्रसव दर्द के बीच कुलदीप अपनी पत्नी कृष्णा को डिलीवरी के लिए गांव के स्वास्थ्य केंद्र पर ले गया। जब वे वहां पर पहुंचे तो वहां पर ना तो कोई डॉक्टरख्, ना नर्स और ना ही कोई स्वास्थ्य कर्मी मिला। वहां पर केवल दो सफाई कर्मचारी मिले। उनसे सफाई कर्मियों से नंबर लेकर डाक्टर व नर्स के पास फोन मिलाया तो वहां से सही जवाब नहीं मिला। इसके अलावा एंबूलेंस को फोन करने के बावजूद वह भी समय पर नहीं पहुंची। गर्भवती महिला को अस्पताल के बैंच पर लिटाया गया और वह प्रसव दर्द से करीब 3 घंटे तक तडफ़ती रही और जद्दोजहद के बाद महिला ने बैंच पर ही बच्चे को जन्म दे दिया और कुछ ही देर में पैदा हुए बच्चे की मौत हो गई। उसके बाद महिला को सफीदों के नागरिक अस्पताल में लाकर भर्ती करवाया गया।